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पूर्व विधायक को ईडी ने किया गिरफ्तार रु754 करोड़ हड़पने का आरोप

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अपडेटेड 18 अप्रैल 2025, 12:43 AM IST
पूर्व विधायक को ईडी ने किया गिरफ्तार रु754 करोड़ हड़पने का आरोप
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समाजवादी पार्टी के नेता व पूर्व विधायक विनय शंकर तिवारी और गंगोत्री इंटरप्राइजेस के महाप्रबंधक अजीत पांडेय को ईडी ने रु754 करोड़ के बैंक धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया है। ईडी ने उनके 11 ठिकानों पर छापेमारी की। पूर्व विधायक की कंपनी ने बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों से रु1,129 करोड़ की क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था लेकिन इस राशि को अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया गया। ईडी की टीमों ने उनके लखनऊ, गोरखपुर, नोएडा और मुंबई के 11 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। विनय तिवारी को लखनऊ के न्यू हैदराबाद व अजीत पांडेय को महराजगंज से गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में ईडी ने चार्जशीट भी तैयार कर ली है और जल्द ही कोर्ट में पेश करने की तैयारी कर रही है।

विनय शंकर तिवारी, पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी के बेटे हैं. तिवारी परिवार का नाम लंबे समय से पूर्वांचल की राजनीति और शक्ति के केंद्र के रूप में देखा जाता रहा है। विनय शंकर गोरखपुर जिले की चिल्लूपार सीट से विधायक रह चुके हैं।

बैंकों को हुआ था रु754 करोड़ का नुकसान

पूर्व विधायक की कंपनी गंगोत्री इंटरप्राइजेस लिमिटेड ने बैंक आफ इंडिया के नेतृत्व वाले सात बैंकों के कंसोर्टियम से रु1,129 करोड़ की क्रेडिट सुविधाओं का लाभ लिया था। कंपनी के निदेशकों व प्रमोटरों तथा गारंटरों ने इस राशि को अन्य कंपनियों में डायवर्ट कर दिया था। इसके चलते बैंकों को रकम नहीं मिली और करीब रु754 करोड़ का नुकसान हुआ था।

बैंकों की शिकायत पर सीबीआइ ने इस मामले में केस दर्ज किया था। इसके बाद ईडी ने भी इस मामले में मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत विनय शंकर तिवारी सहित कंपनी के सभी निदेशकों व प्रमोटरों तथा गारंटरों के विरुद्ध केस दर्ज कर जांच शुरू की थी और नवंबर 2023 में विनय शंकर तिवारी की रु72 करोड़ की संपत्ति जब्त कर ली थी। इनमें विनय शंकर तिवारी की लखनऊ, गोरखपुर व महराजगंज में स्थित कुल 27 संपत्ति शामिल थीं, जिनमें कृषि योग्य भूमि, व्यवसायिक कांप्लेक्स, आवासीय परिसर, आवासीय भूखंड आदि शामिल हैं।

ईडी के सामने नहीं पेश हुए थे विनय शंकर तिवारी

ईडी ने इस मामले में विनय शंकर तिवारी को कई बार पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वह ईडी के सामने पेश नहीं हुए थे। नतीजतन सोमवार को ईडी की टीमों ने उनके ठिकानों पर छापेमारी की और उन्हें लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। ईडी ने उनके लखनऊ स्थित पांच,नोएडा व गोरखपुर में दो-दो और दिल्ली व मुम्बई में एक-एक ठिकाने पर छापेमारी की है। ईडी के सूत्रों के अनुसार, गोरखपुर, लखनऊ और नोएडा के ठिकानों से विभिन्न संपत्तियों के कई दस्तावेज मिले हैं। गिरफ्तारी के बाद, तिवारी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है, और मामले की जांच जारी है। ED का कहना है कि उन्होंने धोखाधड़ी के मामले में साक्ष्य जुटाने के बाद यह कदम उठाया है।

इस मामले में जल्द ही और आरोपितों की भी गिरफ्तारी हो सकती है। सूत्रों के अनुसार ईडी ने उनके खिलाफ चार्जशीट तैयार कर ली थी। जल्द ही उसे कोर्ट में पेश किया जाना है।

इस तरह के घटनाओ से लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ व सत्ता लोलुप्ता भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये।

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