
पंजाब के सामाजिक न्याय अधिकारिता और अल्पसंख्यक मंत्री डॉ. राज कुमार वेरका ने पोस्ट मैट्रिक स्कॉलरशिप घोटाले के दोषियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। डॉ. वेरका ने कहा कि इस मामले में 100 कॉलेज शामिल हैं और इनकी तरफ रु100 करोड़ रुपये से अधिक की वसूली बनती है। उन्होंने कहा कि इस मामले पर मंत्रीमंडल द्वारा चर्चा की जा चुकी है। साथ ही इस संबंध में एडवोकेट जनरल की भी राय प्राप्त हो गई है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने रू50 लाख से अधिक वसूली के लिए केस दर्ज करने को कहा है। साथ ही गरीब बच्चों के साथ धोखा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
गौरतलब है कि प्राथमिक रिपोर्टों के आधार पर डॉ. वेरका के निर्देश पर पांच अधिकारियों और कर्मचारियों को पहले ही चार्जशीट किया जा चुका है। इनमें डिप्टी डायरेक्टर परमिन्दर सिंह गिल, डीसीएफए चरणजीत सिंह, एसओ मुकेश भाटिया, सुपरिटेंडंट रजिन्दर चोपड़ा और वरिष्ठ सहायक राकेश अरोड़ा शामिल हैं। डॉ. राज कुमार वेरका ने कहा कि वह कथित पोस्ट-मैट्रिक एससी स्कॉलरशिप घोटाले की निष्पक्ष और पारदर्शी कार्रवाई यकीनी बनाएंगे। उन्होंने कहा कि एससी स्कॉलरशिप फंड में हेरा-फेरी करने वाले कॉलेज जो रकम वापस करने में असफल रहे हैं, के विरुद्ध भी अब सख़्त कार्रवाई की जा रही है। डॉ. वेरका ने कहा कि वह किसी भी स्तर पर अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे और ऐसे मामलों में कड़ी कार्रवाई को निजी तौर पर यकीनी बनाएंगे।
उत्तराखंड छात्रवृत्ति घोटाला
इससे पहले कथित रु500 करोड़ के छात्रवृत्ति घोटाले मामले में एसआईटी ने देहरादून के तीन शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। जिन तीन शिक्षण संस्थानों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है उनमें सहस्त्रधारा रोड पर गुजराड़ा में स्थित के द्रोणा कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्निकल एजुकेशन, वसंत विहार के इंदिरा नगर में देहरादून इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट टेक्नॉलोजी, इंस्टिट्यूट ऑफ मीडिया मैनेजमेंट ऑफ टेक्नॉलोजी हैं। तीनों संस्थाओं के खिलाफ आरोप है कि यहां साल 2012 से लेकर साल 2016 के बीच फर्जी दस्तावेजों के आधार दाखिला दिखाकर समाज कल्याण विभाग से छात्रवृत्ति के नाम पर लाखों रुपए का घोटाला किया गया है।
बता दें कि समाज कल्याण विभाग ने वर्ष 2012 से 2013 और वर्ष 2015 से 2016 के बीच उत्तराखंड के शिक्षण संस्थानों में एससी-एसटी और ओबीसी को फीस प्रतिपूर्ति के लिए करोड़ों रुपये दिए थे। लेकिन, यह पैसा छात्रों तक नहीं पहुंचा। घोटाला उजागर होने पर सरकार ने घोटाले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी। अब तक एसआईटी छात्रवृत्ति के करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी करने पर विभिन्न कॉलेजों के संचालकों को गिरफ्तार कर चुकी है।
आरोप है कि इस घोटाले में हरिद्वार, सहारनपुर और देहरादून के कई कॉलेजों ने फर्जी तरीके से छात्रवृत्ति हड़प ली थी। शैक्षिक सत्र 2012-13 से लेकर 2014-15 के बीच हरिद्वार, देहरादून और सहारनपुर के कई निजी कॉलेजों ने छात्रों का आईटीआई, पॉलीटेक्निक और बीटेक में दाखिला दिखा छात्रवृत्ति हड़प ली। वर्ष 2017 में शिकायत हुई और इसके बाद तत्कालीन अपर सचिव वी.षणमुगम की जांच में तमाम फर्जी दाखिले होने की पुष्टि हुई।
SIT प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन हरिद्वार और देहरादून सहायक समाज कल्याण अधिकारी सोम प्रकाश ने सिडकुल के कमलेश फार्मा मेडिकल को रु20 लाख, कृष्णा प्राइवेट आईटीआई कमलापुर छुटमलपुर, सहारनपुर को रू54 लाख, ओम संतोष प्राइवेट आईटीआई सहारनपुर को रु50 लाख, यूपी कॉलेज ऑफ पॉलीटेक्निक को रू30 लाख, बाबूराम डिग्री कॉलेज सालियर को रु41 लाख, स्वामी विवेकानंद कॉलेज ऑफ एजूकेशन रुड़की को रू25 लाख और महर्षि दयानंद प्राइवेट आईटीआई धनौरी को रू53 लाख से अधिक की छात्रवृत्ति का वितरण किया था। जांच के दौरान सामने आया कि सात शिक्षण संस्थानों को ढाई करोड़ से अधिक छात्रवृत्ति बांट दी गई थी, जबकि छात्रों ने उक्त शिक्षण संस्थानों में दाखिला ही नहीं लिया था।
उत्तर-प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला
2015-16 से 2019-20 तक फर्जी आईटीआई कॉलेजों ने छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ करते हुए छात्रवृति की करीब रु23 करोड़ की रकम डकार ली थी। छात्रों ने मुख्यमंत्री पोर्टल में लगातार शिकायत की थी कि उनकी छात्रवृति के खातों में छेड़छाड़ कर दूसरों के खातों में छात्रवृति की रकम भेजी जा रही है।
समाज कल्याण अधिकारी रमा शंकर गुप्ता ने बताया कि छात्रवृति घोटाले को लेकर 67 निजी आईटीआई संस्थानों को रिकवरी का नोटिस भेजा गया था। तीन कॉलेजों से रू4 लाख की 100 प्रतिशत रिकवरी कर ली गई है। कोरोना की वजह से जिन कॉलेजों को नोटिस नहीं मिला है उनको दोबारा से नोटिस भेजनी की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बाकी बचे हुए निजी आईटीआई संस्थानों से जल्द ही रिकवरी की जाएगी। उन्होंने कहा कि करीब रु23 करोड़ का छात्रवृति घोटाला का किया गया था।
छात्रवृत्ति, शुल्क प्रतिपूर्ति सहित विभिन्न योजनाओं में 2017 से 2021 के दौरान किए गए करीब रू100 करोड़ के वित्तीय घोटाले की जांच के लिए लखनऊ से जिला समाज कल्याण विभाग पहुंची एसआइटी ने पुराना रिकार्ड खंगाला। टीम ने चार वर्ष के दौरान शासन से किए गए भुगतान और विभिन्न मदों में उनकी पूर्ति का ब्योरा तलब किया। साथ ही विभिन्न बैंकों में जाकर समाज कल्याण विभाग अधिकारी के पदनाम से खोले गए खातों की भी जांच की।
मध्य-प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाला
परमेडिकल स्कोलरशिप घोटाले पर पर्दा डालने का काम किया जा रहा है। लोकयुक्त ने जनवरी 2014 मे पहला केस दर्ज़ किया, इसके बाद जुलाई 2014 मे फिर केस दर्ज़ हुए। जांच अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया की यह घोटाला रू100 करोड़ से ज्यादा का है। यहाँ पर खोले गए कॉलेज मे कटनी, झाबुआ, नीमच, खरगोन, खंडवा, धार जिले के विध्यार्थीयों को प्रवेश के बाद स्कोलरशिप दे दी गई। जांच मे पाया गया एक छात्र को रु75,000 तक स्कोलरशिप दी गई, एक छात्र को तीन कॉलेज मे छात्रव्रतति दी गई, कुछ कॉलेज के ना बिल्डिंग मिली और ना स्टाफ, एक प्रोफेसर दो कॉलेज मे काम करता पाया, आदि। पायोनीर इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल साइन्स, जी मालवा कॉलेज, रितुंजय इंस्टीट्यूट, असपाइर इंस्टीट्यूट, अक्षान्शु अकादेमी, अक्षय अकैडमी, एअसखरब कॉलेज, मलवांचाल महाविध्यालय, श्री साई बाबा कॉलेज, लिब्रल कॉलेज, न्यू अरा कॉलेज मुहु, सनराइस एकडेमी, केवलश्री इंस्टीट्यूट ऑफ परामेडिकल कॉलेज।
भारत बेरोजगारी के जवालामुखी के मुहाने पर बैठा है। तुरंत कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। अगर फौरन remedial measure नहीं लिए गए तो परिणाम भयंकर होंगे। आज जब एक चपरासी के लिए सरकारी नौकरी निकलती है तो Ph.D, एमबीए, आदि तक line मे लग जाते हैI हर जाह व्यापम जैसे जाल, भर्तियों मे घोटाले फैले हुए हैI बढ़ती बेरोजगारी के लिए काफी हद तक सड़ी-गली शिक्षण व्यवस्था व महंगी higher-education हैI फिर होता वोट-बैंक के लिए रिज़र्वेशन का खेलI भर्ती-घूस व शिक्षा-घूस देने वाला, वसूलता है इसे आम जनता सेI क्या मौजूदा शिक्षा प्रणाली हमारे समाज के स्तर को गिराकर दिन प्रतिदिन पतन की ओर नहीं ले जा रही है? जरा सोचिए। फैंसला आप खुद कीजिये।