
संवेदनशील पद पर तैनात बैंक कर्मियों को मिला करेगा ‘सरप्राइज’ अवकाश
आरबीआई ने दिए नीरव मोदी मामले को ध्यान में रखकर आदेश
ट्रेजरी और करेंसी चेस्ट ऑपरेशंस जैसे संवेदनशील पदों पर काम करने वाले बैंक कर्मचारियों को हर साल 10 दिन के लिए ‘सरप्राइज’ अवकाश पर भेजा जाएगा।
आरबीआई ने कर्मचारियों के भ्रष्टाचार पर काबू पाने के कदमों के लिए तय विवेकपूर्ण जोखिम प्रबंधन उपाय के तहत ऐसे अवकाश के लिए अनिवार्य तौर पर शामिल किया है। यह अवकाश कर्मचारी को बताए बिना अचानक दिया जाएगा ताकि उसकी अनुपस्थिति में उनके कामकाज की जांच हो सके। आरबीआई ने बैंकों को इसे छह माह के अंदर अपनी अवकाश नीति में शामिल करने का आदेश दिया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यह कदम भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी और उसके मामा मेहुल चोकसी की तरफ से पंजाब नेशनल बैंक में किए गए फर्जीवाड़े का अध्ययन करने के बाद उठाया है।
मोदी और चोकसी बैंक कर्मचारियों की मदद से फर्जी लैटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) बनवाकर पीएनबी को करीब रू13,500 करोड़ का चूना लगाने के आरोप में वांछित हैं। आरबीआई का कर्मचारियों को अप्रत्याशित अवकाश पर भेजने का मकसद ऐसे फर्जीवाड़े का जल्द और सही पता लगाना है।
ग्रामीण विकास बैंकों और सहकारी बैंकों समेत सभी बैंकों को भेजी सूचना में आरबीआई ने उन्हें अपने यहां ‘अनिवार्य अप्रत्याशित अवकाश’ नीति लागू करने के लिए कहा है।
आरबीआई के मुताबिक, एक विवेकपूर्ण परिचालन जोखिम प्रबंधन उपाय के रूप में, बैंक एक ‘अप्रत्याशित अवकाश’ नीति लागू करेंगे, जिसमें संवेदनशील पदों या संचालन के क्षेत्रों में तैनात कर्मचारियों को हर साल अनिवार्य रूप से 10 या ज्यादा दिन के लिए छुट्टी पर भेजा जाएगा। यह छुट्टी इन कर्मचारियों को पहले से सूचित किए बिना दी जाएगी यानी यह पूरी तरह आश्चर्य में डालने वाली होगी।
बता दें कि इससे पहले 23 अप्रैल 2015 को भी आरबीआई ने इस मुद्दे पर दिशानिर्देश जारी किए थे, लेकिन तब ऐसे अवकाश के लिए दिनों की संख्या स्पष्ट नहीं की गई थी।
आरबीआई ने यह भी निर्देश दिया है कि अप्रत्याशित अवकाश के दौरान संबंधित बैंक कर्मचारी को आंतरिक या कॉरपोरेट ईमेल को छोड़कर किसी भी तरीके से बैंक का कोई अन्य कार्य करने की इजाजत नहीं होगी।