
मध्य प्रदेश के मशहूर व्यापमं घोटाले को लेकर अक्सर सवाल उठते रहते हैं। किन्तु अब राज्य में सामने एक और अजीबोगरीब घोटाले ने सभी का ध्यान खींचा है। दरअसल, अब राज्य में विवाह घोटाला की चर्चा चल रही है। पैसाखोरों ने राज्य में शादी-विवाह को भी लूट का माध्यम बना लिया। अनुमान है कि शिवराज सरकार की एक चर्चित योजना में धोखाधड़ी कर करोड़ों रुपये का गबन कर लिया गया।
बताया जा रहा है कि विवाह घोटाले को भी बड़ी ही शातिराना ढंग से अंजाम दिया गया है। अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने इसकी विस्तृत जांच शुरू कर दी है। इस घोटाले को ‘कोविड-19 वेडिंग स्कैम’ भी कहा जा रहा है। दरअसल, देश में कोरोना महामारी के संकट काल के समय राज्य में कागजों पर हजारों शादियां करा दी गईं थी और सरकारी खजाने में इन्हीं शादियों के नाम पर जमकर लूट मचाई गई। आरोप है कि एक संगठित रैकेट ने कोरोना के दौरान लागू किए गए लॉकडाउन में कागजों पर यह शादियां दिखाकर मुख्यमंत्री विवाह योजना से करोड़ों रुपये निकाल लिए।
जनपद विदिशा के सिरोंज में CEO समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। आपको बता दें कि सीईओ पर अन्य साथी अफसरों के साथ मिलकर विवाह घोटाला करने का आरोप है। आपको बता दें कि मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना घोटाले में फर्जी तरह से शादियां दिखाने वाले जनपद सीईओ सहित तीन लोगों की गिरफ्तारी हो गई है। इन लोगों ने पूर्व की शादियों और जिनकी शादी नहीं हुई, उनके नाम पर सरकारी योजनाओं का करोड़ों रुपए निकालकर सरकारी राशि को हजम कर लिया था। आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने इनकी गिरफ्तारी की। आपको बता दें कि शिकायत के बाद त्रिपाठी को 4 जनवरी को सस्पेंड कर दिया गया था। आर्थिक अपराध अन्वेषण प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने आज इनकी गिरफ्तारी की। यही नहीं शोभित त्रिपाठी राज्य सरकार के मंत्री गोपाल भार्गव के रिश्तेदार बताए जाते हैं। सिरोंज जनपद में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत आरोपियों की मिलीभगत से कई गलत शादियों की राशि निकाली गई। कई ऐसे लोगों के नाम इस योजना की राशि निकाली गई जिन्हें यह पता ही नहीं चला कि उनके नाम पर योजना लाभ लेकर सरकारी राशि निकाल ली गई। इन लोगों के खातों में राशि भेजे जाने की जगह आरोपियों ने दूसरे खातों में राशि जमा करा ली है।
यह मामला सिरोंज के विधायक उमाकांत शर्मा के विधानसभा में उठाए जाने पर सामने आया था। जिसमें विधानसभा अध्यक्ष गिरोश गौतम ने भी आर्श्चय व्यक्त किया था।
पहले यह माना जा रहा था कि विदिशा के सिरोंज में लगभग 3,500 फर्जी विवाह कराए गए हैं। लेकिन सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जब जांच के आदेश दिये और ED ने जब इसकी छानबीन शुरू की, तो पता चला कि कम से कम ऐसी 50,000 फर्जी शादियां लॉकडाउन के दौरान हुई हैं। यहां बता दें कि शिवराज सरकार की इस चर्चित योजना के तहत प्रत्येक जोड़े को रु51,000 दिये जाते हैं।
मामला राजगढ़ जिले के तलेन का है। जहां वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान विवाह सहायता योजना में लाखों रुपए का घोटाला किया गया। इस घोटाले में नगर परिषद के कर्मचारी भी शामिल थे और सभी ने मिलकर मलाई खाई। इन घोटालेबाजों ने कागजों में उन महिलाओं की फर्जी शादी करा दी। जिनकी पहले ही शादी हो चुकी है और कई के तो 10-15 साल के बच्चे भी हैं।
इस तरह आरोपियों ने विवाह सहायता योजना के तहत सरकार से मिलने वाले 51 हजार रुपए अपने खाते में डलवाकर हड़प लिए. आरोपी कर्मचारियों ने दर्जनों महिलाओं के नाम पर इस तरह का फर्जीवाड़ा कर लाखों रुपए के वारे-न्यारे कर लिए।
ऐसे हुआ भ्रष्टाचार का खुलासा दरअसल जिन महिलाओं के नाम पर घोटाला किया गया था, जब उन्हें इसकी भनक लगी तो उन्होंने इसकी शिकायत राजगढ़ कलेक्टर से की. शिकायत के बाद राजगढ़ कलेक्टर ने मामले की जांच कराई तो तत्कालीन सीएमओ रमेंश चंद्र इस घोटाले में दोषी पाए गए। फिलहाल सीएमओ पर कार्रवाई के लिए कलेक्टर ने आयुक्त नगरीय प्रशासन संचनालय, भोपाल को पत्र लिखा है। इस मामले में एडीएम कमल नागर का कहना है कि भ्रष्टाचार में जितने भी अधिकारी-कर्मचारी शामिल हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है। सिर्फ कानून लाने या कानून बदलने से कुछ नहीं होगा। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये।