
उत्तराखंड में एसएससी (UKSSSC) परीक्षा का प्रश्नपत्र लीक (Paper Leak) मामला, इस पहाड़ी राज्य में सबसे बड़े भर्ती घोटाले के रूप में सामने आया है। इस घोटाले का किंगपिन एक रसोइया निकला, जिसने स्कूली शिक्षक, विश्वविद्यालय और सचिवालय के स्टाफ, निचली अदालतों के कर्मचारियों को इस गंदे खेल में शामिल कर करोड़ों रुपए जुटा लिया। ज्यों-ज्यों इस मामले की पड़ताल हो रही है, घोटाले से जुड़े अहम सबूत और किरदार सामने आ रहे हैं। उत्तरकाशी के जखोल का जिला पंचायत सदस्य हाकम सिंह (District Panchayat member Hakam Singh) की चर्चा इसलिए भी ज्यादा हो रही है, क्योंकि उसकी पहुंच नौकरशाहों से लेकर राजनेताओं तक है। इसके अलावा चर्चा इस बात की भी है कि नौकरशाह और राजनेताओं के रहमों करम के बिना हाकम सिंह बावर्ची और ड्राइवर की नौकरी करने के बावजूद एक बड़े एंपायर का मालिक कैसे बन गया।
उत्तराखंड में इन दिनों एसएससी पेपर लीक मामले ने शिक्षा जगत से लेकर सियासी हलकों तक हलचल मचा रखी है। वजह है इस पहाड़ी राज्य के अस्तित्व में आने के 22 साल के भीतर सबसे बड़ा भर्ती घोटाला। सरकारी नौकरी के नाम पर फर्जीवाड़े की जांच शुरू हुई तो लिस्ट में एक के बाद एक कई नाम सामने आए। स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने जब एक साथ 22 लोगों को इस भर्ती घोटाले में आरोपी बनाया, तो सबके कान खड़े हो गए। पैसे लेकर सरकारी नौकरी दिलाने का इतना बड़ा ‘खेल’ राज्य में चल रहा था, इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। बीते मंगलवार को STF ने इस घोटाले के किंगपिन हाकम सिंह समेत दो आरोपियों को हिरासत में लेने की मांग की।
STF के सूत्र बताते हैं कि एक-एक उम्मीदवार से प्रश्नपत्र के लिए रु15 से रु20 लाख तक लिए गए। आरोप है कि पेपर लीक करने के आरोपियों ने रु10 करोड़ तक की रकम जुटाई।
पेपर लीक का यह पूरा खेल चेन मार्केटिंग या पिरामिड स्टाइल से खरीद-बिक्री की प्रक्रिया के तहत चल रहा था। यानी एक अभ्यर्थी प्रश्नपत्र खरीदता और वह उसे दूसरे अभ्यर्थी को बेच देता था। SSC की भर्ती परीक्षा में लगभग 1.60 लाख बेरोजगार युवाओं ने अपनी किस्मत आजमाई थी। मगर जब फाइनल सेलेक्शन की बारी आई, तो पता चला कि पैसों के दम पर पूरी चयन प्रक्रिया में ही गड़बड़ घोटाला किया गया है। STF के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि जब तक इस मामले के अहम सबूत और इससे जुड़े लोगों तक हम नहीं पहुंच जाते, यह जांच चलती रहेगी।
शिक्षक हो या कर्मचारी, सब शामिल हैं खेल में
भर्ती घोटाले का यह खेल आनन-फानन में नहीं खेला गया, बल्कि इसके पीछे सोची-समझी योजना बनाकर इसे अंजाम तक पहुंचाया गया। साल 2021 के अंत में जब पूरा राज्य आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू कर रहा था, उसी समय घोटाले की योजना बनाई गई। सरकारी स्कूलों के शिक्षक, जिला अदालतों के निचले स्तर के कर्मचारी, सचिवालय का स्टाफ, एक इंजीनियर, कोचिंग इंस्टीट्यूट संचालक और कई अन्य लोग इस गंदे खेल में शामिल हुए। इन सबका मकसद एक था, भर्ती घोटाला। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग यानी UKSSSC ने विभिन्न सरकारी विभागों के लिए 916 पदों की वैकेंसी निकाली। आरोप है कि इन लोगों ने इस परीक्षा के प्रश्नपत्रों को लीक कर घोटाले को अंजाम दिया।
कौन है हाकम सिंह और कैसे हुई लीक?
उत्तराखंड राज्य की स्थापना के बाद से अब तक के सबसे बड़े इस घोटाले का किंगपिन हाकम सिंह नाम का शख्स है। एक रसोइए के तौर पर आजीविका शुरू करने वाले हाकम सिंह के मंसूबे हमेशा से ऊंची उड़ान भरने वाले थे। इसलिए उसने जल्द ही बड़े नेताओं और शासन-प्रशासन के गलियारों से संपर्क बनाना शुरू कर दिया। आरोप है कि हाकम सिंह ने एसएससी भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक करने के लिए लखनऊ के प्रिंटिंग प्रेस के अपने सूत्र का इस्तेमाल किया। इसके बाद जब भर्ती परीक्षा का
ऐलान हुआ, तो अभ्यर्थियों को अलग-अलग लोकेशन पर बुलाया गया। जिन अभ्यर्थियों से पैसे लिए गए उन्हें देहरादून, धामपुर और जिम कॉर्बेट पार्क के पास स्थित रिसॉर्ट में बुलाया गया। अभ्यर्थियों को आंसर-की देकर उसे क्रमवार याद करने का निर्देश दिया गया। इसके बाद सबको उनके परीक्षा केंद्रों तक पहुंचा दिया गया।
आलीशान रिजॉर्ट के कायल थे वीवीआईपी
उत्तरकाशी में हाकम सिंह का एक आलीशान रिजॉर्ट है। इस रिजॉर्ट की बनावट और कारीगरी को देखकर हर कोई तारीफ करता है। अपने इस रिजॉर्ट में हाकम सिंह लगातार बड़े-बड़े लोगों को इनवाइट करता था। इतना ही नहीं, अधिकारियों और राजनेताओं के संपर्क में आने पर हाकम सिंह ने खनन के काम पर भी अपना हाथ आजमाया।
आयोग के सचिव को किया निलंबित
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग भर्ती परीक्षा लीक मामले में बड़ी कार्रवाई की गई है। जानकारी के मुताबिक UKSSSC के तत्कालीन सचिव संतोष बडोनी को अपनी जिम्मेदारियों में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है। इस आदेश को लेकर सरकार की ओऱ से एक लेटर भी जारी कर दिया गया है। इसमें कहा गया है कि बडोनी ने अपने पदीय कर्तव्यों और दायित्वों के प्रति घोर लापरवाही और उदासीनता बरती है।
STF ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के आदेश पर पिछले महीने यानी 22 जुलाई को ही इस मामले में एफआईआर दर्ज की थी। शुरुआती जांच के आधार पर 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। पड़ताल थोड़ी और बढ़ी तो मामले के तार उत्तराखंड के बाहर उत्तर प्रदेश तक से जुड़ते चले गए। फिर देहरादून, रामनगर, सहारनपुर और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तक से गिरफ्तारियां होने लगीं। पता चला कि भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड हाकम सिंह पहले बावर्ची रहा है। रसोइया के पेशे से ही उसका संपर्क एक बड़े नेता के साथ हुआ और फिर उसके दिन बहुरने लगे। STF की जांच में पता चला कि बावर्ची से भर्ती घोटाले का मास्टरमाइंड बनकर हाकम सिंह ने करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की।
भारत बेरोजगारी के जवालामुखी के मुहाने पर बैठा है। तुरंत कठोर कदम उठाने पड़ेंगे। अगर फौरन remedial measure नहीं लिए गए तो परिणाम भयंकर होंगे। आज जब एक चपरासी के लिए सरकारी नौकरी निकलती है तो Ph.D, एमबीए, आदि तक line मे लग जाते हैI हर जाह व्यापम जैसे जाल, भर्तियों मे घोटाले फैले हुए हैI बढ़ती बेरोजगारी के लिए काफी हद तक सड़ी-गली शिक्षण व्यवस्था व महंगी higher-education हैI फिर होता वोट-बैंक के लिए रिज़र्वेशन का खेलI भर्ती-घूस व शिक्षा-घूस देने वाला, वसूलता है इसे आम जनता सेI क्या मौजूदा शिक्षा प्रणाली हमारे समाज के स्तर को गिराकर दिन प्रतिदिन पतन की ओर नहीं ले जा रही है? जरा सोचिए। फैंसला आप खुद कीजिये