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वीवो का बड़ा घोटाला भारत में टैक्स भरने के बजाय दिखाया घाटा, चीन भेजे हजारों करोड़ रुपये

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अपडेटेड 26 सितंबर 2023, 5:45 PM IST
वीवो का बड़ा घोटाला भारत में टैक्स भरने के बजाय दिखाया घाटा, चीन भेजे हजारों करोड़ रुपये
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वीवो की इंडिया यूनिट पर रु62,476 करोड़ रुपये चीन भेजे जाने का आरोप है। यह कंपनी का क़रीब 50 प्रतिशत टर्नओवर है। चाइनीज स्मार्टफोन कंपनी वीवो पर कथित तौर पर मनी लॉन्डरिंग के आरोप हैं। वीवो भारत में टैक्स चुकाने के बजाय रुपये सीधे चीन भेज रहा था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कुछ दिनों पहले ही Vivo Mobile India Pvt. Ltd. और कंपनी से जुड़े 23 ठिकानों पर छापेमारी की थी। भारतीय जांच एजेंसियों ने इस छापेमारी के दौरान क़रीब रु465 करोड़ रुपये सीज भी किए थे।

प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने कहा कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराओं के तहत छापेमारी की जा रही है। उन्होंने बताया कि एजेंसी दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मेघालय, महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में वीवो और उससे संबंधित कंपनियों से जुड़े 44 स्थानों पर तलाशी ले रही है। वीवो इंडिया के एक प्रवक्ता ने कहा कि हम अधिकारियों के साथ सहयोग कर रहे हैं। लेकिन वो ये नहीं बता पाए की कंपनी के निदेशक क्यों फरार हो गए।

Vivo इंडिया ने नहीं किया टैक्स का भुगतान

ED ने बयान जारी करते हुए बताया है कि Vivo India ने व्यापार में भारी नुक़सान का हवाला देकर भारत में टैक्स का भुगतान नहीं किया लेकिन कंपनी बड़ी रक़म चीन भेजी है। इसका मतलब है कि वीवो ने टैक्स चोरी का रास्ता खोज लिया, जिसे किसी भी तरह से कानूनी नहीं माना जा सकता है। जांच एजेंसियों ने वीवो इंडिया से जुड़े हुए 119 बैंक अकाउंट का ब्लॉक कर दिया है, जिसमें रु465 करोड़, 73 लाख नकद और 2 किलो सोना जमा है। ईडी मनी लॉन्डरिंग मामले में जाँच कर रही है।

जांच में नहीं कर रहे सहयोग

ED का कहना है कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि वीवो के अधिकारियों कई गड़बड़ की है। इसके साथ ही वीवो ने यह भी आरोप लगाया है कि वीवो इंडिया के कर्मचारी और कुछ चीनी नागरिक उनकी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इसके साथ ही वीवो इंडिया के कर्मचारियों द्वारा जांच के दौरान कई डिजिटल उपकरणों को छिपाने का प्रयास भी किया। हालांकि वीवो का कहना है कि वह जांच अधिकारियों का भारतीय क़ानून के मुताबिक पूरा सहयोग कर रहा है। वीवो भारतीय स्मार्टफ़ोन मार्केट का बड़ा प्लेयर है। काउंटरपॉइंट रिसर्च की रिपोर्ट के मुताबिक़, इंडियन स्मार्टफ़ोन मार्केट में वीवो की हिस्सेदारी 15 प्रतिशत है।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच तेज करते ही मोबाइल कंपनी वीवो के दो निदेशक भारत छोड़कर भाग गए हैं। भारतीय समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, ईडी द्वारा चीनी फर्म के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच तेज करने के बाद विवो के निदेशक झेंगशेन ओउ और झांग झी भारत से भाग गए हैं।

प्रवर्तन निदेशालय को शक है कि यह कथित जालसाजी शेल या फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल करके अवैध रूप से कमाए गए धन की हेराफेरी करने के लिए की गई थी। इसमें से कुछ ‘आपराधिक आय’ को विदेश भेजा गया या भारतीय कर और प्रवर्तन एजेंसियों को धोखा देकर कुछ अन्य व्यवसायों में लगा दिया गया।

Xiaomi पर भी हो चुकी है कर्रवाई

वीवो पर हुई इस कार्रवाई को केंद्र सरकार द्वारा उन चीनी कंपनियों पर शिकंजा कसने के रूप में देखा जा रहा है, जिन पर मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स चेरी जैसे आरोप लगते आए हैं। इससे पहले कंपनी ने अप्रैल में ED ने शाओमी इंडिया पर विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन करने पर रु5,551 करोड़ सीज किए थे।

इस तरह के घोटालों से एक तरफ जहां राजस्व की घोर हानि होती है वहीं दूसरी तरफ लोगों का विश्वास कानून व्यवस्था और तंत्र पर shake होता है। लोगों में यह भावना घर कर रही है कि घोटालेबाज़ों का कुछ नहीं होगा। यह एक आम धारणा है कि ये घोटालेबाज अपनी money power एवं contacts का इस्तेमाल कर बच निकलेंगे। लोगों की इस धारणा को तोड़ना होगा। Example set करने होंगे।

घोटालेबाज़ों का राजनैतिक गठजोड़ भी एक बड़ी समस्या है। निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती। Investigating Agencies पर political pressure डाला जाता है। कानून की दृष्टि में सभी बराबर हैं। लेकिन क्या हकीकत में ऐसा है। देश में appropriate legal remedy लेना सबसे महँगा है। घोटालेबाज़ों को कानून का कोई भय नहीं है। क़ानूनों को कठोरता से लागू किया जाना चाहिए। जांच time-bound manner में की जानी चाहिए। संपत्तीयां जब्त कर नीलामी होनी चहिएI Financial crime के मामले लंबे समय तक अदालतों में लंबित नहीं रहने चाहिए। इनका fast-track कोर्ट में priority से निपटारा होना चाहिए। जरा सोचिए! फैसला आप खुद कीजिये।

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