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सशस्त्र क्रांति नही हुई होती तो आजादी मिलने में कई और दशक लग जाते: अमित शाह

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अपडेटेड 12 जनवरी 2023, 4:47 PM IST
सशस्त्र क्रांति नही हुई होती तो आजादी मिलने में कई और दशक लग जाते: अमित शाह
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सशस्त्र क्रांति नही हुई होती तो आजादी मिलने में कई और दशक लग जाते: अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को ‘क्रांतिकारियों’ पुस्तक का विमोचन किया। इस दौरान गृहमंत्री ने कहा कि अगर सशस्त्र क्रांति नही हुई होती तो आजादी मिलने में कई और दशक लग जाते। अमित शाह ने कहा कि सशस्त्र क्रांति से प्रज्वलित देशभक्ति की आग ने कांग्रेस द्वारा संचालित स्वतंत्रता आंदोलन को सफल होने में मदद की, लेकिन दुर्भाग्य से इन प्रयासों को इतिहास की किताबों में उचित मान्यता नहीं दी गई।

अमित शाह ने कहा कि आजादी के बाद जिनकी जिम्मेदारी थी कि स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास को भारतीय ²ष्टिकोण से मूल्यांकन करके आने वाली पीढ़ी के सामने प्रस्तुत करें। इसमें चूक हुई है।उन्होंने कहा कि अगर कोई शहीद हो गया और तब तक आजादी नहीं मिली और फिर इसी का मूल्यांकन करके इतिहास लिखेंगे, तो ये ठीक नही हैं। अमित शाह ने कहा कि अंग्रेज तो चले गए थे, मगर अंग्रेजियत छोड़ गए थे। उसी चश्मे से इतिहास लिखा गया। इसी के चलते कन्फ्यूजन है।

शाह ने कहा जब इतिहास की बात आती है, तो कई लोग कहते हैं कि उसे तोड़ा मरोड़कर पेश किया गया। कभी वामपंथियों का तो कभी अंग्रेजियत के चश्मे वालों का नाम आता है। कभी कोई कांग्रेस को भी लपेटे में लेता है। मैं अलग तरीके दे देखता हूँ। अब हमें कौन रोक सकता है। उन्होंने इतिहासकारों से से अनुरोध किया कि अब गौरवपूर्ण इतिहास की रचना करें।

शाह ने कहा कि सभी आंदोलन की नींव 1857 क्रांति ने ही रखी। इस इतिहास को आगे लाने का काम सिर्फ सरकार का नहीं बल्कि इतिहासकारों का भी है। उन्होंने कहा कि उस वक्त कांग्रेस के आंदोलन में मताधिकार की चर्चा नही थी। ये चर्चा होती थी कि अंग्रेजों से नेगोसिएशन कर आजादी कितनी मात्रा में ली जाए। उन्होंने बताया कि वीर सावरकर ने सशस्त्र क्रांति के अखिल भारतीय स्वरूप के लिए अभिनव भारत की स्थापना की थी। आजादी के बाद उसे बंद भी वीर सावरकर ने किया था।

अमित शाह ने बताया कि एक व्यक्ति का प्रयास भी देशभक्ति है, उसे हमें स्वीकार करना पड़ेगा और प्रचारित भी करना पड़ेगा। सावरकर जैसे लोगों ने जमीन पर लड़ाई लड़ने का काम किया है। उन्होंने कहा कि सेलुलर जेल देखकर मैं सोचता हूं कि पश्चिम के देश मानवाधिकार की बात कैसे कर सकते हैं? उन्होंने कहा, भारत के हर हिस्से के क्रांतिकारियों को सेलुलर जेल में रखा गया था और यह साबित करता है कि अंग्रेजों के खिलाफ हिंसक क्रांति कोई अकेला प्रयास नहीं था।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आजादी की लड़ाई में इतिहासकारों ने आंदोलनकारियों को चरमपंथियों बनाम नरमपंथियों के रूप में श्रेणीबद्ध किया, लेकिन अरविंद बोस ने उस समय एक अलग सूत्र दिया था। वो था नेशनलिस्ट बनाम लॉयलिस्ट। हमें इसको भी देखना चाहिए। उन्होंने अंत में कहा कि मैं फिर कह रहा हूं इस देश को आजाद कराने में कितने लोगों की शहादत, लोगों का खून शामिल है। उसे हम झुठला नहीं सकते हैं।

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