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मणिपुर के मुख्यमंत्री ने हिंसा के बाद चुराचांदपुर का दौरा रद्द किया, निषेधाज्ञा लागू

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अपडेटेड 29 अप्रैल 2023, 3:09 PM IST
मणिपुर के मुख्यमंत्री ने हिंसा के बाद चुराचांदपुर का दौरा रद्द किया, निषेधाज्ञा लागू
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मणिपुर के मुख्यमंत्री ने हिंसा के बाद चुराचांदपुर का दौरा रद्द किया, निषेधाज्ञा लागू

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने चुराचांदपुर जिले का अपना शुक्रवार का दौरा रद्द कर दिया, जहां गुरुवार की रात हुई घटनाओं के बाद निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं निलंबित कर दी गई हैं, जिसमें उपद्रवियों ने कार्यक्रम स्थल में आग लगा दी, कुर्सियों को जला दिया और अन्य सामग्रियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। बीरेन सिंह शुक्रवार को चुराचांदपुर के न्यू लमका टाउन के सद्भावना मंडप में जनसभा को संबोधित करने वाले थे और पीटी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में ओपन जिम का उद्घाटन करने वाले थे।

हालांकि, गुरुवार की रात सद्भावना मंडप में तोड़फोड़ हुई और प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़पें हुईं, जिसके कारण स्थानीय आदिवासियों की एक बड़ी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए सुरक्षा बलों ने आंसू गैस के गोले दागे, भीड़ ने शहर में शांति बनाए रखने के लिए तैनात सुरक्षा बलों पर पथराव भी किया।

दोनों तरफ कोई बड़ी चोट नहीं आई है। पुलिस ने दावा किया कि राज्य में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले म्यांमार के नागरिक भी आगजनी की घटना में शामिल हैं। बीरेन सिंह ने इंफाल में कहा कि पुलिस माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि स्थानीय विधायक एलएम खौटे, जिन्होंने उन्हें आमंत्रित किया था, उन्होंने कार्यक्रम को स्थगित करने का फैसला किया, जिसके बाद चुराचांदपुर जाने की उनकी योजना को टाल दिया गया है।

उन्होंने मीडिया से कहा, चुराचांदपुर निर्वाचन क्षेत्र से खौटे ने मुझसे अभी नहीं आने का अनुरोध किया है। मुख्यमंत्री ने स्थानीय संगठन द्वारा इस्तेमाल किए गए स्वदेशी शब्द पर भी सवाल उठाया, जिसने शुक्रवार को 8 घंटे के बंद का आह्वान किया। उन्होंने पूछा- क्या स्वदेशी लोग। हम स्वदेशी लोग हैं। नागा स्वदेशी लोग हैं। कुकी स्वदेशी लोग हैं। क्या स्वदेशी आदिवासी?

स्वदेशी जनजातीय नेताओं के फोरम (आईटीएलएफ) ने संरक्षित और आरक्षित वनों से राज्य सरकार की बेदखली अभियान के विरोध में चुराचंदपुर जिले में शुक्रवार सुबह 8 बजे से आठ घंटे के बंद का आह्वान किया। आईटीएलएफ ने एक बयान में कहा कि उन्होंने राज्य सरकार को आरक्षित वनों और संरक्षित वन, आद्र्रभूमि और वन्यजीवों से संबंधित सर्वेक्षण और ग्रामीणों के निष्कासन के बारे में अपनी शिकायतों और आशंकाओं को व्यक्त करते हुए कई ज्ञापन सौंपे थे।

अपनी मांगों के समर्थन में, आदिवासियों ने 10 मार्च को तीन जिलों में राज्य सरकार के खिलाफ विरोध रैलियां आयोजित कीं, जिन्हें कथित रूप से कुकी उग्रवादियों का भी समर्थन प्राप्त था। तीन जिलों- चुराचादपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल में शांतिपूर्ण विरोध हिंसक हो गया जिसमें इन घटनाओं में पांच लोग घायल हो गए।

अफीम की खेती पर राज्य सरकार की कार्रवाई और वन भूमि के अतिक्रमण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किए गए थे। राज्य सरकार ने इस महीने की शुरूआत में मणिपुर में तीन चचरें को यह कहते हुए ध्वस्त कर दिया था कि चर्च अवैध निर्माण थे। 10 मार्च की घटनाओं के बाद, मणिपुर सरकार ने तीन कुकी उग्रवादी संगठनों – कुकी नेशनल आर्मी (केएनए), जोमी रिवॉल्यूशनरी आर्मी (जेडआरए) और कुकी रिवोल्यूशनरी आर्मी (केआरए) के साथ हस्ताक्षरित त्रिपक्षीय वार्ता और ऑपरेशन निलंबन (एसओओ) से एकतरफा हाथ खींच लिया, भले ही केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक राज्य सरकार के फैसले को अपनी मंजूरी नहीं दी है।

यह भी बताया गया कि केएनए, जेडआरए और केआरए के कैडर राज्य में अफीम की खेती करने वालों को सरकार के खिलाफ भड़का रहे हैं, जो अवैध अफीम की खेती करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, और वन भूमि में अफीम के खेतों को नष्ट कर रही है, विशेष रूप से आरक्षित और संरक्षित जंगलों में। हालांकि, कुकी संगठनों के एक गुट ने आरोपों को खारिज कर दिया है।

दक्षिणी मणिपुर में पहाड़ी और जंगली चुराचंदपुर जिला, जो म्यांमार और मिजोरम की सीमा से लगा हुआ है, विभिन्न कुकी-चिन उग्रवादी समूहों का घर है। केंद्र और मणिपुर सरकार ने 22 अगस्त, 2008 को तीन उग्रवादी संगठनों के साथ त्रिपक्षीय समझौते और एसओओ पर हस्ताक्षर किए।

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