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बिहार में आयोगों के पुनर्गठन के जरिए महागठबंधन की सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने की कवायद !

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अपडेटेड 28 जुलाई 2023, 11:26 AM IST
बिहार में आयोगों के पुनर्गठन के जरिए महागठबंधन की सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने की कवायद !
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बिहार में आयोगों के पुनर्गठन के जरिए महागठबंधन की सामाजिक समीकरण दुरुस्त करने की कवायद !

बिहार में काफी इंतजार के बाद आयोगों का पुनर्गठन किया जा रहा है। इस पुनर्गठन में अध्यक्ष और सदस्यों के मनोनयन को गौर से देखें तो साफ है कि सरकार आयोग, बोर्ड और निगमों में मनोनयन के जरिए सामाजिक समीकरण को दुरुस्त कर अगले चुनाव में इसका लाभ उठाने की तैयारी में है।

हाल में पांच आयोगों और दो बोर्डों के पुनर्गठन को देखने से इसके संकेत मिल रहे हैं कि महागठबंधन सरकार न केवल सामाजिक समीकरण बल्कि गठबंधन के सभी घटक दलों को बिना नाराज किए यह कार्य करने वाली है। फिलहाल इनमें जदयू और राजद के लोगों का बोलबाला है। आयोगों और बोर्डों में पिछड़ा, अति पिछड़ा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यकों को तो स्थान दिया गया है, सवर्णों को भी तरजीह दी गई है।

बिहार राज्य अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष पूर्व विधान पार्षद रियाजुल हक उर्फ राजू को बनाया गया। जबकि, किशनगंज के नौशाद आलम को उपाध्यक्ष बनाया गया है। जहानाबाद के मुजफ्फर हुसैन राही, रोहतास के महताब आलम उर्फ काबुल अहमद, पश्चिम चंपारण के इफ्तेखार अहमद उर्फ मुन्ना त्यागी, मुजफ्फरपुर के डॉ. इकबाल समी, नवादा की अफरोज़ा खातून, सीवान के मुर्तजा अली कैसर और बेगूसराय के मुकेश जैन को सदस्य भी मनोनीत किया गया।

भाजपा के नेता और पूर्व मंत्री नीतीश मिश्रा कहते हैं कि अल्पसंख्यक आयोग समाज के अल्पसंख्यक वर्ग के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। पूर्व में गठित बिहार अल्पसंख्यक आयोग में अल्पसंख्यक समुदाय के प्रायः सभी धर्मों को प्रतिनिधित्व मिलता था। वर्तमान में गठित आयोग में इन वर्गों का प्रतिनिधित्व नहीं होने से इनके हित निश्चित ही प्रभावित होंगे, जो कि आयोग के गठन की मूल भावना के विपरीत हैं। उन्होंने पूछा कि बिहार सरकार सिख, ईसाई और बौद्ध को अल्पंसख्यक नहीं मानती है ?

महिला आयोग की अध्यक्ष पूर्व सांसद अश्वमेध देवी को बनाया गया है, जो कुशवाहा समाज से आती हैं। जबकि, सदस्य बनी सुलोचना देवी धानुक जाती से आती हैं। सदस्य बनी श्वेता विश्वास सवर्ण जाति की नेता हैं। बिहार संस्कृत बोर्ड का अध्यक्ष राजद के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक भोला यादव को बनाया गया है।

तीन साल के लिये गठित इस बोर्ड में कुल बारह सदस्य मनोनीत किये गए हैं। नामांकित सदस्यों में विधायक विनय कुमार चौधरी ब्राह्मण जाति से हैं तो ललित नारायण मंडल अति पिछड़ा वर्ग से हैं। विधान पार्षद प्रेम चंद्र मिश्रा ब्राह्मण जाति से आते हैं तो प्रतिमा कुमारी अन्य पिछड़ा वर्ग की कुर्मी जाति से हैं। इसके अलावा राजद नेता चित्तरंजन गगन, मोकामा के मदन शर्मा, मधुबनी के रामशीष यादव, विश्वविद्यालय के संस्कृत शिक्षक आचार्य सियाराम प्रसाद यादव, मधुबनी के नारायण महतो सदस्य बने हैं।

मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष पूर्व विधान पार्षद सलीम परवेज बनाये गए हैं। मदरसा बोर्ड के विशेष सदस्यों में भाकपा माले के एमएलए महबूब आलम, सैयद रुकनुद्दीन अहमद, विधान परिषद सदस्य खालिद अनवर, मदरसा शिक्षक हूमायूं अख्तर तारिक, मधुबनी के अब्दुल करीम अंसारी, पूर्वी चंपारण के रियाजुल अंसारी और मुजफ्फरपुर के शब्बीर अहमद शामिल हैं।

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