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आयकर कानून की पुरानी ‘खिचड़ी’ व्यवस्था के सरलीकरण के लिए सरकार ला रही न्यू इनकम टैक्स बिल

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अपडेटेड 03 फ़रवरी 2025, 12:37 PM IST
आयकर कानून की पुरानी ‘खिचड़ी’ व्यवस्था के सरलीकरण के लिए सरकार ला रही न्यू इनकम टैक्स बिल
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। देश में 1961 का इनकम टैक्स कानून अभी भी चल रहा है। आम बजट 2025-26 को संसद के पटल पर रखते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने घोषणा की कि अब एक नए इनकम टैक्स लॉ की देश को जरूरत है और इसके लिए सदन में एक बिल इसी सत्र में रखा जाएगा। ऐसे में देश में नए इनकम टैक्स कानून के लिए एक समीक्षा कमेटी बनाई गई थी।

वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण के दौरान यह ऐलान किया था कि अब 12 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री होगी। इसके साथ ही नए इनकम टैक्स बिल का भी ऐलान किया। जिसको लेकर घोषणा की गई कि इसी बजट सत्र में इस बिल को पेश किया जाएगा। तब वित्त मंत्री ने सदन में कहा था कि यह नया बिल टैक्स सिस्टम को सरल बनाने के लिए लिया गया है।

सरकार की तरफ से 1961 के इसी इनकम टैक्स कानून के तहत नई टैक्स रिजीम लागू की गई थी। सरकार ने 2024-25 के बजट में यह कहा था कि देश में इनकम टैक्स को बदलने की जरूरत है।

अब सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से कमेटी की सिफारिश पर नए इनकम टैक्स का बिल पूरी तरह से तैयार कर दिया गया है। ऐसे में जब नया इनकम टैक्स कानून पारित होगा तो यह कानून 1961 के इनकम टैक्स कानून की जगह लेगा।

सरकार के सूत्रों की मानें तो यह नया इनकम टैक्स एक्ट 21वीं सदी की जरूरतों के हिसाब से बनाया जा रहा है। इस तकनीक के दौर में टैक्सपेयर को काफी चीजें खुद करना होता है। ऐसे में लोगों के लिए इस इनकम टैक्स में ऐसा बदलाव होगा जो सामान्य मानवीय को अच्छी तरह से समझ में आ सके। यह सिस्टम इतना सरल बनाने की कोशिश है कि लोगों को इसमें कोई परेशानी न हो।

सूत्रों की मानें तो 6 फरवरी को यह बिल संसद के पटल पर रखा जाएगा। इसके साथ ही इस बिल के सरलीकरण को ऐसे समझा जा सकता है कि पुराने आयकर कानून में लगभग 6 लाख के करीब शब्द हैं जो इस नए बिल में 3 लाख के करीब रह जाएंगे और यह करदाताओं को समझने के लिए भी आसान होगा।

सूत्रों की मानें तो नए इनकम टैक्स की भाषा को सरल बनाने पर भी सरकार काम कर रही है। दरअसल अभी जो इनकम टैक्स रूल है उसमें एक कोट में किसी चीज की व्याख्या अलग होती है, दूसरे में अलग। यानी यह कानून पूरी तरह से खिचड़ी की तरह बन गया है। सूत्रों के अनुसार इनकम टैक्स का जो वर्तमान मूल कानून है उसमें हर बार कोई न कोई चीज जोड़ी जाती रही। इस तरह इसमें सैकड़ों बार बदलाव किया गया। ऐसे में अब देश के लिए नए इनकम टैक्स कानून की जरूरत पड़ी।

भारतीय संसद ने आयकर अधिनियम पारित किया था, जो 1 अप्रैल 1962 को लागू हुआ था। तब से इसी कानून में बार-बार संशोधन कर नई चीजें जोड़ी जा रही थीं। जो कई मायनों में बेहद पेचीदा हो गया था। अब इसके सरलीकरण की प्रक्रिया के तहत इस नए कानून को बनाने की जरूरत सरकार को महसूस हुई ताकि लोगों को यह बेहद आसानी से समझ में आए। सूत्रों की मानें तो इसके लिए जो ड्राफ्ट तैयार किया गया है वह काफी सरल और लोगों के लिए समझने के लिए आसान होगा।

वहीं सूत्रों की मानें तो लोगों को इस बात का भी अंदेशा है कि नए इनकम टैक्स रूल्स के लागू हो जाने के बाद कहीं पुरानी टैक्स रिजीम को तो सरकार समाप्त नहीं कर देगी। लेकिन, सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से ऐसी कोई सोच अभी सामने नहीं आई है। सरकार भी यह मानती है कि 78 प्रतिशत के करीब टैक्सपेयर अभी तक नई टैक्स रिजीम में शिफ्ट कर चुके हैं। फिर भी सूत्र बताते हैं कि सरकार पुरानी टैक्स रिजीम को लेकर कोई ज्यादा छेड़छाड़ करने के मूड में नहीं है।

दूसरी तरफ सूत्रों की मानें तो सरकारी योजनाओं पर सरकार लोगों की निवेश को लेकर निर्भरता भी कम करने का प्रयास कर रही है ताकि लोग अन्य जगहों पर ज्यादा निवेश करें और इससे सामान्य जन को ज्यादा फायदा मिल सके। ऐसे में म्यूचुअल फंड, एसआईपी से लेकर शेयर मार्केट तक के ऑप्शन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। इसके साथ ही टैक्सपेयर को इतना बड़ा रिलीफ देने के पीछे भी सूत्रों के अनुसार सरकार की मंशा यह है कि बाजार में क्रयदारी बढ़े और इससे बाजार की गति में परिवर्तन हो और इसका भी सीधा लाभ अर्थव्यवस्था की सेहत को होगा।

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