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प्रशांत किशोर का राजनीतिक बदलाव का मॉडल संदेह के घेरे में है : जेडीयू

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अपडेटेड 10 फ़रवरी 2025, 8:53 PM IST
प्रशांत किशोर का राजनीतिक बदलाव का मॉडल संदेह के घेरे में है : जेडीयू
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बीएनटी न्यूज़

पटना। जनता दल (यूनाइटेड) ने सोमवार को प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी की फंडिंग से लेकर उसकी राजनीतिक गतिविधियों पर सवाल उठाए।

जदयू के मुख्य प्रवक्ता और विधान परिषद के सदस्य नीरज कुमार ने प्रशांत किशोर की राजनीतिक गतिविधियों एवं जन सुराज और उसकी कार्यप्रणाली पर गंभीर संदेह जताते हुए कहा कि जन सुराज पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष का चेहरा तक सामने नहीं आता। प्रशांत किशोर स्वयं को पार्टी का संरक्षक बताते हैं, लेकिन चुनाव आयोग के दस्तावेजों में उनका नाम तक दर्ज नहीं है। इससे पार्टी के वास्तविक नेतृत्व और नियंत्रण को लेकर भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

विधान पार्षद नीरज कुमार एवं जदयू नेता अजीत पटेल ने एक संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर की पार्टी को प्रत्यक्ष रूप से फंडिंग नहीं मिल रही, बल्कि ‘ज्वाय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन’ नामक स्वयंसेवी संस्था को आर्थिक सहायता प्राप्त हो रही है। इस एनजीओ का वित्तीय प्रबंधन संदिग्ध व्यक्तियों के हाथों में है, जो बार-बार अपने निदेशकों को बदलते रहते हैं।

जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कई दस्तावेज दिखाते हुए आरोप लगाया कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए एनजीओ का इस्तेमाल कानूनी और नैतिक रूप से गलत है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में इस एनजीओ को 48.75 करोड़ रुपए की डोनेशन प्राप्त हुई, जिसमें सबसे बड़ा डोनेशन (14 करोड़ रुपए) रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड से प्राप्त हुआ। बिहार की राजनीति के लिए ज्यादातर चंदा तेलंगाना और हैदराबाद की कंपनियों से क्यों आ रहा है? यह भी एक महत्वपूर्ण प्रश्न है।

उन्होंने यह भी कहा कि कंपनियों की वास्तविक पूंजी बहुत कम है, लेकिन उन्होंने करोड़ों रुपए का दान दिया है। ‘रामसेतु इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड’ जैसी कंपनियों के नाम और निदेशक बार-बार बदले गए हैं। प्रशांत किशोर खुद को गांधीवादी बताते हैं, लेकिन उनकी पदयात्रा पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। ‘ज्वाय ऑफ लिविंग ग्लोबल फाउंडेशन’ एक चैरिटेबल संस्था के रूप में पंजीकृत है, लेकिन इसे राजनीतिक कार्यों में लिप्त पाया गया है। इसके निदेशक हर दो से तीन वर्षों में बदल दिए जाते हैं, जिससे जवाबदेही तय न हो सके। इस एनजीओ के माध्यम से प्रशांत किशोर की पार्टी को अपारदर्शी रूप से फंडिंग दी जा रही है। यदि प्रशांत किशोर पारदर्शिता की बात करते हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी की वित्तीय जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए।

उन्होंने कहा कि क्या प्रशांत किशोर बिहार में कॉर्पोरेट लॉबी का नया राजनीतिक मॉडल ला रहे हैं? प्रशांत किशोर द्वारा प्रस्तुत राजनीतिक बदलाव का मॉडल संदेह के घेरे में है। यदि वे सच में बिहार के भविष्य के लिए काम कर रहे हैं, तो उन्हें अपनी पार्टी की वित्तीय पारदर्शिता सुनिश्चित करनी चाहिए। अन्यथा, यह पूरा अभियान सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट और कॉर्पोरेट लॉबी का खेल प्रतीत होता है।

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