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हिमाचल प्रदेश में मंदिरों से पैसा मांग रही कांग्रेस सरकार, भाजपा इस फैसले के खिलाफ : जयराम ठाकुर

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अपडेटेड 28 फ़रवरी 2025, 2:52 PM IST
हिमाचल प्रदेश में मंदिरों से पैसा मांग रही कांग्रेस सरकार, भाजपा इस फैसले के खिलाफ : जयराम ठाकुर
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बीएनटी न्यूज़

शिमला। हिमाचल प्रदेश में मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों की धनराशि को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने राज्य सरकार के इस निर्णय की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए सरकार पर आरोप लगाया कि वह सनातन धर्म का विरोध करने के साथ-साथ मंदिरों की धनराशि का उपयोग अपनी योजनाओं के लिए करना चाहती है। इस निर्णय के विरोध में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मोर्चा खोल दिया है और आम जनता से भी इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया है।

जयराम ठाकुर ने अपने बयान में कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार ने हाल ही में एक आदेश जारी किया है, जिसमें मंदिरों और धार्मिक ट्रस्टों से धनराशि सरकारी खजाने में जमा करने को कहा गया है। यह निर्णय इसलिए लिया गया ताकि सरकार की फ्लैगशिप योजनाएं, जैसे कि ‘सुखाश्रय योजना’ और ‘सुख शिक्षा योजना’, चलाई जा सकें। ठाकुर के अनुसार, यह कदम बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और अस्वीकार्य है। उनका कहना है कि पहले कभी किसी सरकार ने मंदिरों या ट्रस्टों के धन का इस्तेमाल अपनी योजनाओं के लिए नहीं किया।

उन्होंने यह भी बताया कि हिमाचल प्रदेश में कुल 36 मंदिर सरकारी नियंत्रण में आते हैं, और सरकार ने इन मंदिरों से धनराशि प्राप्त करने के लिए न केवल आदेश दिया है बल्कि बार-बार उसका फॉलो-अप भी लिया जा रहा है जिसमें शीघ्र धनराशि हस्तांतरित करने का निर्देश दिया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी आपदा के समय सरकार द्वारा मंदिरों और ट्रस्टों की धनराशि का उपयोग करने का औचित्य फिर भी समझ में आता है। उदाहरण के लिए, कोविड-19 महामारी के दौरान या प्राकृतिक आपदाओं (जैसे बाढ़ और भूस्खलन) के समय, जब लोगों की जान बचाने और राहत कार्यों के लिए धनराशि की आवश्यकता थी। लेकिन इस बार सरकार मंदिरों से प्राप्त धनराशि का उपयोग अपनी सामान्य योजनाओं को चलाने के लिए कर रही है, जो एक नीतिगत रूप से गलत कदम है।

ठाकुर ने सरकार पर सनातन धर्म विरोधी रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एक तरफ सरकार सनातन धर्म और हिंदू परंपराओं का विरोध करती है, तो दूसरी ओर मंदिरों से धनराशि लेकर अपनी योजनाओं को पूरा करना चाहती है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेताओं ने हाल ही में संपन्न महाकुंभ में शामिल होने से परहेज किया और इसे लेकर कई नकारात्मक टिप्पणियां भी कीं।

ठाकुर ने मुख्यमंत्री के उस बयान का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कहा था कि 90 प्रतिशत से अधिक हिंदू आबादी वाले राज्य में उन्होंने हिंदूवादी पार्टी को हराया। यह सब सरकार की नीतियों में विरोधाभास को दर्शाता है।

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी घोषणा की कि भाजपा इस फैसले का विरोध विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों जगह करेगी। उन्होंने कहा कि आगामी बजट सत्र में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया जाएगा और सरकार के इस कदम के खिलाफ सशक्त विरोध दर्ज किया जाएगा।

उन्होंने धार्मिक ट्रस्टों, मंदिर समितियों और आम जनता से भी अपील की कि वे इस फैसले का पुरजोर विरोध करें। उनका मानना है कि यह फैसला न केवल विवादास्पद है, बल्कि जनता के बीच सरकार की छवि को भी नुकसान पहुंचा रहा है। उनके अनुसार, सरकार के पास कर्मचारियों के वेतन और पेंशन देने के लिए धन नहीं है, लेकिन इसके बावजूद उसने कई नई गारंटियां दी हैं और पूर्ववर्ती भाजपा सरकार की योजनाओं को बंद कर दिया है।

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