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कोलकाता : जादवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में पहली बार एबीवीपी ने रामनवमी पर की पूजा

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अपडेटेड 06 अप्रैल 2025, 10:50 PM IST
कोलकाता : जादवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में पहली बार एबीवीपी ने रामनवमी पर की पूजा
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बीएनटी न्यूज़

कोलकाता। जादवपुर यूनिवर्सिटी कैंपस में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के छात्रों ने दीवार पर ‘आजाद कश्मीर’ और ‘फ्री फिलिस्तीन’ जैसे लिखे नारों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। छात्रों ने इन नारों के ऊपर भारतीय तिरंगा लगाया और नारेबाजी की। इस प्रदर्शन के दौरान “जहां हुए बलिदान मुखर्जी, वह कश्मीर हमारा है”, “जय हिंद”, और “भारत माता की जय” जैसे नारे गूंजे। यह प्रदर्शन रामनवमी के मौके पर कैंपस में पहली बार आयोजित श्री राम पूजा के दौरान हुआ। एबीवीपी ने इसे ऐतिहासिक दिन करार दिया।

जेयू एबीवीपी के रेजिडेंट सदस्य निखिल दास ने बातचीत में कहा, “हम खुश हैं कि आज कैंपस में पूजा हो रही है। यह पहली बार है जब रामनवमी पर श्री रामचंद्र जी की पूजा हो रही है। राम मानवता के सबसे उत्तम प्रतीक हैं। इस खास मौके पर हमने सभी को कैंपस में आमंत्रित किया है। कोई भी आ सकता है, हमें कोई दिक्कत नहीं है।”

उन्होंने यूनिवर्सिटी प्रशासन पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया। निखिल ने कहा, “इफ्तार के लिए परमिशन मिलती है, लेकिन रामनवमी के लिए नहीं। ‘फ्री कश्मीर’ और ‘फ्री मणिपुर’ जैसे नारे लिखने की आजादी दी जाती है, लेकिन पूजा की अनुमति नहीं मिलती। यह गलत है। फिर भी हमने पूजा का आयोजन किया। छात्रों के साथ शिक्षक और गैर-शिक्षण स्टाफ भी शामिल हैं। हम सब मिलकर इसे मना रहे हैं और बहुत खुश हैं।”

गणित विभाग के प्रोफेसर बुद्धदेव एस ने भी इस मुद्दे पर अपनी राय दी। उन्होंने आईएएनएस से कहा, “मुझे ठीक से नहीं पता कि यूनिवर्सिटी ने पूजा की अनुमति दी थी या नहीं। अगर मना किया, तो यह ठीक नहीं है। कैंपस में कृष्ण पूजा होती है, तो रामनवमी की पूजा क्यों नहीं? अगर प्रशासन ने मना किया, तो इसके पीछे कोई कारण होना चाहिए।”

उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अकादमिक माहौल में धार्मिक गतिविधियां होनी चाहिए। प्रोफेसर ने कहा, “अगर यूनिवर्सिटी कोई नीति बनाती है कि कोई धार्मिक आयोजन नहीं होगा, तो ठीक है। लेकिन बिना फैसले के रामनवमी को रोकना गलत है। जब इफ्तार की अनुमति दी जाती है, तो इसमें भेदभाव क्यों?”

एबीवीपी के छात्र सोमसूर्य बनर्जी (यूजी थर्ड ईयर) ने प्रदर्शन का मकसद बताया। उन्होंने कहा, “हमारा संदेश साफ है- ‘आजाद कश्मीर’ जैसा कुछ नहीं होता। यह एक मिथक है, जो कभी हकीकत नहीं बनेगा। जब तक राष्ट्रवादी छात्र और लोग हैं, कश्मीर भारत से अलग नहीं होगा। यह हमारा प्रतीकात्मक विरोध है। पूजा के बाद हम तिरंगे को हटाकर अपने साथ ले जाएंगे, क्योंकि यह एक सबूत है। कानूनी कार्रवाई चल रही है।”

सोमसूर्य ने नक्सलियों, माओवादियों और अलगाववादियों को चेतावनी भी दी। उन्होंने कहा, “जितना चाहे लिख लो, हमारा विरोध जारी रहेगा। कानून कार्रवाई करेगा और तिरंगा हर बार लहराएगा।”

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