
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। जमात-ए-इस्लामी हिंद ने वक्फ कानून को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी के नेतृत्व में सोमवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। इस दौरान उन्होंने कहा कि वक्फ कानून के विरोध में जमात भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ खड़ी है।
जमात-ए-इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सदातुल्लाह हुसैनी ने बीएनटी न्यूज़ से बातचीत में कहा, “वक्फ कानून देश के मुसलमानों के खिलाफ है। मुझे लगता है कि इस कानून से वक्फ के एडमिनिस्ट्रेशन को बेहतर बनाने में कोई मदद नहीं मिलती है। किरेन रिजिजू से सवाल किया जाना चाहिए कि अगर बोर्ड में मुस्लिमों की जगह गैर-मुस्लिम आएंगे तो उनके आने के बाद वक्फ का एडमिनिस्ट्रेशन कैसे बेहतर होगा। सरकार का तो कहना है कि इस कानून से सुधार होगा, मगर हमारा मानना है कि इसमें बदलाव से और भी दिक्कत आएगी। एडमिनिस्ट्रेशन को और खराब करने वाले, करप्शन को बढ़ाने वाले और मुसलमानों के हकों को छीनने वाले प्रावधान इस कानून में शामिल किए गए हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने तय किया है कि इस कानून के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किया जाएगा और सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की जाएगी। इस मुद्दे को लेकर जमात भी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ खड़ी है।”
जमात-ए-इस्लामी हिंद के वाइस प्रेसिडेंट मलिक मोतिम खान ने बीएनटी न्यूज़ से बातचीत में कहा, “वक्फ एक्ट में जो संशोधन किया गया है, वो देश के संविधान के खिलाफ है। मैं मानता हूं कि संसद को कानून बनाने का हक है, लेकिन कोई भी कानून संविधान के दायरे में रहकर बनाना चाहिए। मैं वक्फ कानून को गैर-कानूनी मानता हूं और इसको लेकर हम न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। साथ ही जनता के बीच भी इसे उठाया जाएगा। मुझे पूरी उम्मीद है कि देश की जनता हमारा पूरा साथ देगी और इस कानून में हम बदलाव की मांग करेंगे। हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा यकीन है। हालांकि, पिछले दिनों कोर्ट ने भी कुछ ऐसे फैसले सुनाए हैं, जिससे आवाम का भरोसा टूटा है। मगर इन सबके बावजूद हम कोर्ट का रूख करेंगे।”
वहीं, जमात-ए-इस्लामी हिंद के वाइस प्रेसिडेंट प्रोफेसर सलीम इंजीनियर ने बीएनटी न्यूज़ से बातचीत में कहा, “मेरा मानना है कि वक्फ एक काला कानून है। वक्फ कानून पक्षपातपूर्ण और घृणा फैलाने वाला है, जो समाज को बांटने का काम कर रहा है। खास तौर से मुसलमानों को उनके धार्मिक अधिकारों से वंचित करने के लिए ही इसे लाया गया है। मौजूदा सरकार इस कानून के जरिए राजनीतिक फायदा उठाने के लिए देश को खतरे में डाला है। मैं समझता हूं कि इस कानून का पूरे देश में विरोध होगा। लोगों की भावनाओं को सामने लाया जाएगा। साथ ही शांतिपूर्ण तरीके से कानूनी रास्ता भी अपनाया जाएगा।”