
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। दिल्ली के मुस्तफाबाद में इमारत ढहने से मरने वालों की संख्या बढ़कर 11 हो गई है। वहीं, हादसे में घायल तीन लोगों का अस्पताल में इलाज जारी है। मृतकों में एक ही परिवार के सात सदस्य शामिल हैं, जिनमें इमारत के मालिक 60 वर्षीय तहसीन, उनके बेटे, दो बहुएं और तीन पोते शामिल हैं।
शनिवार तड़के करीब 3 बजे यह घटना दयालपुर के डी1 गली में हुई, जहां चार मंजिला इमारत ढह गई, जिसमें 22 लोग मलबे में दब गए। आठ पीड़ितों को उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। अधिकारियों ने इमारत ढहने के कारणों की जांच शुरू कर दी। शुरुआती जांच में संदेह है कि इमारत की कमजोर नींव के चलते यह हादसा हुआ है। स्थानीय लोगों का दावा है कि इमारत की नींव सिर्फ चार इंच मोटी थी। हालांकि, विस्तृत जांच के बाद ही सटीक कारणों का पता चल पाएगा। प्रदेश की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने हादसे पर संवेदना व्यक्त करते हुए सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया।
सीएम रेखा गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मुस्तफाबाद में इमारत गिरने की दुखद घटना से मेरा दिल बहुत दुखी है। जांच के आदेश दे दिए गए हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। डीडीएमए, एनडीआरएफ, डीएफएस और अन्य एजेंसियां लगातार राहत और बचाव कार्यों में लगी हुई हैं। सभी घायलों के समुचित इलाज की व्यवस्था की गई है।”
दिल्ली विधानसभा के डिप्टी स्पीकर और विधायक मोहन सिंह बिष्ट ने भी हादसे पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि यह निस्संदेह एक दुखद और बेहद दर्दनाक घटना है, खासकर इसलिए क्योंकि पीड़ित गरीब परिवार से थे। बिल्डर ने पैसे कमाने के उद्देश्य से निर्माण की गुणवत्ता, संरचनात्मक क्षमता और सुरक्षा की अनदेखी करते हुए उन्हें गुमराह किया। इस प्रक्रिया में निर्दोष लोगों की जान चली गई, जो वास्तव में दुखद है।
घटनास्थल का दौरा करने के दौरान उन्होंने कहा कि मैंने एलजी और एमसीडी कमिश्नर से लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। मुस्तफाबाद में अवैध इमारतें हैं और इस घटना ने एमसीडी जैसे विभागों में गहरी जड़ें जमाए हुए भ्रष्टाचार को उजागर कर दिया है।
इससे पहले, अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (उत्तर पूर्व) संदीप लांबा ने पुष्टि की कि शुरू में बचाए गए 14 लोगों में से चार ने बाद में दम तोड़ दिया। उन्होंने यह भी कहा कि बचाव के शुरुआती चरणों के दौरान 8-10 लोगों के फंसे होने की आशंका थी। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के मोहन शहीदी ने कहा कि टीमों ने मलबे के नीचे संभावित हवा के झरोखों में जीवित बचे लोगों का पता लगाने के लिए प्रशिक्षित बचाव कुत्तों और उपकरणों का उपयोग किया।