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पटरी पर लौटती आर्थिक गतिविधियों के बीच लगने लगे इश्तिहार

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अपडेटेड 23 अगस्त 2020, 10:33 AM IST
पटरी पर लौटती आर्थिक गतिविधियों के बीच लगने लगे इश्तिहार
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पटरी पर लौटती आर्थिक गतिविधियों के बीच लगने लगे इश्तिहार

नई दिल्ली, 23 अगस्त (बीएनटी न्यूज़)| कोरोना महामारी के चलते ठप पड़ी आर्थिक गतिविधियों के धीरे-धीरे पटरी पर लौटने के साथ-साथ महानगरों में सड़कों के किनारे खाली पड़े बिलबोर्ड नए इश्तिहार लगने लगे हैं और अखबारों के साथ विज्ञापन के पर्चे आने लगे हैं। हालांकि अखबारों में विज्ञापन का टोटा अभी तक बना हुआ है।

लंबे अरसे से विज्ञापन जगत जुड़ी अनुराधा बाली ने बताया कि कोरोना काल में जब लोगों ने अखबार पढ़ना बंद कर दिया तो विज्ञापनदाता भी अखबार के बजाय ऑनलाइन रूट की तरफ शिफ्ट हो गए जो कम खचीर्ला भी है।

बाली ने आईएएनएस से बातचीत में कहा, ” इसमें दो राय नहीं कि अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियां जैसे-जैसे पटरी पर लौट रही है, विज्ञापन और इश्तिहार की आवश्यकता शिद्दत से महसूस की जा रही है, मगर अखबार में विज्ञापन देने में अभी विज्ञापनदाता की दिलचस्पी काफी कम है, हालांकि वे दूसरे रूट को तलाश रहे हैं।”

विज्ञापनदाता कंपनियों ने कोरोना काल में शहरों में सड़कों के किनारे लगे होडिर्ंग और बिलबोर्ड पर इश्तिहार चस्पाना भी बंद कर दिया था, लेकिन अब जगह-जगह नए इश्तिहार दिखने लगे हैं। हालांकि विज्ञापन एजेंसी एडवर लैब के मीडिया डायरेक्टर सन्नी सिंह बग्गा ने बताया कि जिन जगहों पर होडिर्ंग महंगे हैं वहां अभी भी खाली पड़े हैं जबकि जहां सस्ते हैं वहां नए होडिर्ंग लगाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि गुरुग्राम इलाके में नेशनल हाइवे के पास के होडिर्ंग खाली हैं क्योंकि वहां होडिर्ंग के लिए 10 लाख रुपये प्रति महीना लगता है।

बग्गा ने बताया कि इस समय विज्ञापनदात ऑनलाइन मीडिया में विज्ञापन देने में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, जबकि अखबारों बहुत कम है।

प्रिंटिंग कारोबारी संदीप माहेश्वरी ने बताया कि देश में पूर्णबंदी होने पर उनका कारोबार बिल्कुल ठप पड़ गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे पटरी पर लौट रहा है। उन्होंने कहा कि अभी मजह 10-15 फीसदी ही काम मिल रहा है।

वहीं, एडवरटाइजिंग से जुड़े सुरेश गुप्ता ने बताया कि अभी 10 फीसदी भी काम नहीं मिल रहा है, लेकिन जैसे-जैसे आर्थिक गतिविधियां जोर पकड़ेगी इश्तिहार और विज्ञापन का काम बढ़ेगा।

एक अन्य कारोबारी ने बताया कि स्कूल, कॉलेज, कोचिंग सेंटर जैसे शैक्षणिक संस्थानों की तरफ से ज्यादा विज्ञापन व इश्तिहार दिए जाते हैं जोकि अभी बंद है, इसलिए विज्ञापन का कारोबार अभी ठंडा ही रहेगा।

देश में सरकारी विज्ञापन जारी करने वाली सबसे बड़ी संस्था भारत सरकार के विज्ञापन एवं ²श्य प्रचार निदेशालय (डीएवीपी) द्वारा भी कोरोना काल में बहुत कम विज्ञापन अखबारों मिल रहा है।

डीएवीपी के एक सूत्र ने बताया कि कोरोना काल के पहले से ही विज्ञापनों पर खर्च में सरकार ने कटौती शुरू कर दी थी, लेकिन महामारी के दौर में इसमें और कमी आ गई। उन्होंने कहा कि बहुत जरूरी मसलों के संबंध में ही सरकार विज्ञापन दे रही है।

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