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पालघर लिंचिंग : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, पुलिस पर हुई है कार्रवाई

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अपडेटेड 08 अक्टूबर 2020, 2:57 PM IST
पालघर लिंचिंग : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, पुलिस पर हुई है कार्रवाई
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पालघर लिंचिंग : महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, पुलिस पर हुई है कार्रवाई

नई दिल्ली, 8 अक्टूबर (बीएनटी न्यूज़)| महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि उन्होंने अप्रैल में पालघर जिले में दो साधुओं और एक अन्य व्यक्ति के साथ हुई कथित मॉब लींचिंग (हिंसक भीड़ द्वारा पिटाई) से जुड़े पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की है। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, आर. सुभाष रेड्डी और एम. आर. शाह की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार के वकील ने कहा कि राज्य द्वारा की गई कार्रवाई को अदालत के समक्ष रिकॉर्ड पर रखा गया है और पिछले महीने इस मुद्दे पर हलफनामा भी प्रस्तुत किया गया है।

हलफनामे में, महाराष्ट्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि सेवा से बर्खास्तगी से लेकर वेतन कटौती तक की कार्रवाई 18 कर्मियों के खिलाफ की गई है। याचिकाकर्ताओं में से एक ने यह भी बताया कि उसे मंगलवार रात राज्य द्वारा दायर किए गए लगभग 1,000 पन्नों का हलफनामा मिला है।

पीठ ने कहा कि वह आज इस मामले को कैसे तय कर सकती है और इसके साथ ही पीठ ने याचिकाकर्ताओं को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा और कहा कि इसके बाद अदालत इस मामले को उठाएगी।

पीठ ने कहा, “हर कोई अंतिम समय में जवाब क्यों दाखिल कर रहा है? हमने हलफनामा नहीं पढ़ा है। हम आज कैसे फैसला कर सकते हैं? हमें इसे स्थगित करना होगा। याचिकाकर्ताओं को उनके जवाब के लिए समय दें।”

राज्य सरकार के वकील ने पीठ को सूचित किया कि मामले में आरोप पत्र दायर किया गया है और पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई की गई है। पीठ ने मामले को 16 नवंबर से शुरू होने वाली सप्ताह में सुनवाई के लिए निर्धारित किया।

शीर्ष अदालत ने कहा, “राज्य द्वारा एक हलफनामा दायर किया गया है। याचिकाकर्ताओं को दो सप्ताह के भीतर हलफनामे पर जवाब दाखिल करने दें।”

हलफनामे में महाराष्ट्र पुलिस ने कहा है कि 18 पुलिसकर्मियों को विभिन्न दंड दिए गए हैं और उनमें से कुछ को सेवा से बर्खास्त भी किया गया है। साथ ही, उनमें से कुछ को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने की कार्रवाई भी की गई है।

इसमें कहा गया है कि पुलिस कर्मियों ने कारण बताओ नोटिस का जवाब दिया है। कारण बताओ नोटिस पर उनके जवाब पर विचार करने और उनकी सुनवाई करने के बाद, पुलिस महानिरीक्षक, कोंकण रेंज ने 21 अगस्त को अंतिम आदेश जारी किए हैं, जिसमें दोषी पुलिस कर्मियों पर सजा का प्रावधान है।

16 अप्रैल को, मुंबई से सूरत जाने वाले दो संतों की कार को सैंकड़ों लोगों की भीड़ द्वारा रोका गया था। इस भीड़ ने कार पर डंडे पत्थरों से हमला किया, जिसके परिणामस्वरूप संतों की मृत्यु हो गई। पीड़ितों की पहचान 70 वर्षीय कल्पवृक्षगिरीमहाराज , 35 वर्षीय सुशील गिरी महाराज और 30 वर्षीय नीलेश तेलगड़े (ड्राइवर) के तौर पर हुई थी।

वकील शशांक शेखर झा की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई है और मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है।

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