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नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने नेकपा गुटों का एकीकरण रद्द किया, कट्टेल को सौंपी कमान

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अपडेटेड 09 मार्च 2021, 10:33 AM IST
नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने नेकपा गुटों का एकीकरण रद्द किया, कट्टेल को सौंपी कमान
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नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने नेकपा गुटों का एकीकरण रद्द किया, कट्टेल को सौंपी कमान

काठमांडू, 9 मार्च (बीएनटी न्यूज़)| नेपाल के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एक आश्चर्यजनक और अप्रत्याशित फैसले में सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के धड़ों के एकीकरण को रद्द कर दिया और उनके लिए दो अलग-अलग दलों में विभाजित होने का मार्ग प्रशस्त किया। अनुभवी कम्युनिस्ट नेता ऋषिराम कट्टेल ने साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की वैधता को चुनौती दी थी, जिसपर फैसला देते हुए, सुप्रीम कोर्ट ने ओदश दिया, “वास्तविक नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (नेकपा) का नेतृत्व कट्टेल करते हैं, न कि प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली या पुष्पा कमल दहल ‘प्रचंड’ के नेतृत्व वाले गुट के।”

सुप्रीम कोर्ट ने कट्टेल को नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी की कमान सौंप दी।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी को असमंजस और अव्यवस्था की स्थिति में धकेल दिया है।

नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (नेकपा) का नेतृत्व ओली और प्रचंड को देने के चुनाव आयोग के फैसले को खारिज करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा है कि तत्कालीन नेकपा-एमाले और तत्कालीन नेकपा (माओवादी सेंटर) विलय से पूर्व की स्थिति में वापस आ जाएंगे और अगर वे विलय चाहते हैं तो उन्हें राजनीतिक दल अधिनियम के तहत चुनाव आयोग में आवेदन करना चाहिए। ओली के सीपीएन-यूएमएल और दहल के सीपीएन (माओवादी सेंटर) ने मई 2018 में अपने विलय की घोषणा की थी।

प्रचंड ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारी उम्मीदों से परे है।” प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने फैसले के बाद एक आपात बैठक भी की।

लेकिन ओली गुट फैसले से खुश है। 2017 के चुनाव में ओली की नेकपा-एमाले सबसे बड़ी पार्टी थी। बाद में इसका प्रचंड के नेतृत्व वाले नेकपा (माओवादी सेंटर) में विलय हो गया और 2018 में नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया और लगभग दो-तिहाई सीटों के साथ संसद में सबसे बड़ी पार्टी बन गई।

पार्टी के महासचिव और वित्तमंत्री, बिष्णु पांडे ने कहा, “हम फैसले का सम्मान करते हैं, हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं।”

ओली और प्रचंड दोनों गुट दो दलों के रूप में काम कर रहे थे, हालांकि प्रधानमंत्री ओली द्वारा 20 दिसंबर को सदन भंग किए जाने और चुनाव घोषित करने के बाद वे तकनीकी रूप से विभाजित नहीं हुए हैं। ओली के फैसले ने सत्ता पक्ष के अंदर हंगामा और विरोध पैदा कर दिया है।

प्रचंड के नेतृत्व वाले गुट ने पहले ही चुनाव आयोग से यह कहते हुए वैधता का दावा किया है कि उसके पास केंद्रीय समिति के अधिकांश सदस्य हैं। लेकिन चुनाव आयोग पार्टी विभाजन पर फैसला नहीं ले सका,क्योंकि ओली भी यही दावा कर रहे हैं।

कट्टेल ने मई, 2018 में ओली और दहल के तहत नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (नेकपा) को पंजीकृत करने के चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती दी थी।

पीठ ने कहा है कि नई पार्टी को चुनाव आयोग में पंजीकृत नहीं किया जा सकता, जब उसके पास पहले से ही समान नाम वाली पार्टी पंजीकृत हो।

यह फैसला प्रतिनिधि सभा की निर्धारित बैठक से कुछ घंटे पहले आया, जहां नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के दो धड़े अपना बहुमत दिखाने के लिए जूझ रहे हैं।

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