कोरोना काल में भ्रामक विज्ञापन की 1402 शिकायतें मिलीं : अधिकारी
नई दिल्ली, 16 मार्च (बीएनटी न्यूज़)| केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 लागू किए जाने के बाद कोरोना काल में भ्रामक विज्ञापनों को लेकर 1,402 शिकायतें आई हैं, जिनमें एक सेलिब्रिटी के खिलाफ की गई शिकायत भी शामिल है। यह जानकारी सोमवार को केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दी। उन्होंने बताया कि भ्रामक विज्ञापनों से जुड़ी शिकायतों में 33 मामलों का समाधान किया जा चुका है। अधिकारी ने बताया कि इस साल ग्रीवेंस अगेंस्ट मिस्लीडिंग ऐडवर्टाइजमेंट्स (गामा) पोर्टल पर 1,402 शिकायतें आई हैं, जिनमें से एक शिकायत किसी सेलिब्रिटी से भी संबंधित थी। हालांकि उन्होंने शिकायत से संबंधित सेलिब्रिटी के नाम का जिक्र नहीं किया, लेकिन यह बताया कि बाद में उस विज्ञापन को वापस ले लिया गया।
उन्होंने बताया कि गामा पोर्टल 2015 में बना था और इस पोर्टल पर बहुत सारी इन्क्वायरी आती हैं, जिन्हें शिकायत नहीं कही जा सकती है, इसलिए उनको खारिज कर दिया जाता है। इस तरह के 732 इन्क्वायरी थीं, जिन्हें खारिज कर दिया गया।
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस के मौके पर यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान आईएएनएस के एक सवालों पर अधिकारी ने बताया कि गामा पोर्टल पर जो शिकायतें आती हैं, उनमें से जो दूसरे मंत्रालयों से संबंधित होते हैं, इसलिए उन्हें संबद्ध मंत्रालय के पास भेज दिया जाता है। उन्होंने बताया कि इस साल अब तक प्राप्त 1,402 शिकायतों में से 532 विभिन्न मंत्रालयों से संबंधित थे, जिनमें स्वास्थ्य, वित्त, शिक्षा, खाद्य व अन्य शामिल हैं।
सेलिब्रिटी से संबंधित सवाल पर उन्होंने बताया कि सिर्फ एक मामला आया था जो कोविड से संबंधित था, लेकिन उसमें तो दावा किया जा रहा था उसे वापस ले लिया गया।
अधिकारी ने बताया कि गामा पोर्टल पर विज्ञापन के कंटेंट को लेकर सवाल किए जाते हैं, लेकिन उपभोक्ता मामले विभाग विज्ञापन को कंटेंट के नजरिए से नहीं देखता है, बल्कि उसमें किए गए दावे को देखता है कि कहीं उसमें कुछ भ्रामक बात तो नहीं कही गई है।
नए उपभोक्ता कानून में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) को भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाने का अधिकार दिया गया है। साथ ही, भ्रामक विज्ञापनदाताओं/समर्थनकर्ताओं/प्रकाशकों पर जुर्माना लगाने का अधिकार सीसीपीए को दिया गया है। नए कानून में भ्रामक विज्ञापनदाताओं के लिए जुर्माना के साथ-साथ जेल की सजा का भी प्रावधान है।