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पर्दे के पीछे का काला हाथ किसी से छिपा नहीं

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अपडेटेड 04 अप्रैल 2021, 2:42 PM IST
पर्दे के पीछे का काला हाथ किसी से छिपा नहीं
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पर्दे के पीछे का काला हाथ किसी से छिपा नहीं

बीजिंग, 4 अप्रैल (बीएनटी न्यूज़)| वैश्विक जनमत क्षेत्र में शिनच्यांग के बारे में झूठ और सच के बीच लड़ाई जोर-शोर तरीके से जारी है। लेकिन झूठ हजारों बार दोहराये जाने के बाद भी सच नहीं बन सकता। ज्यादा से ज्यादा लोग यह जानते हैं कि शिनच्यांग के बारे में तथाकथित जातीय नरसंहार व मजबूर श्रम जैसे आरोप बिलकुल गलत हैं। अमेरिकी न्यू लाइन रणनीति व अमेरिका में अफवाहें फैलाने वाली मशीनों का खुलासा होने से इसका वास्तविक चेहरा लोगों के सामने आ गया है। इस प्रतिष्ठान के नाम में रणनीति, नीति और न्यू लाइन जैसे शब्द जुड़े हैं, जो देखने में एक थिंक टैंक जैसा लगता है। लेकिन वास्तव में वह अकादमिक आड़ में चीन की नीतियों का विरोध कर रहा है।

पहला, इस अनुसंधान प्रतिष्ठान ने लंबे समय तक धार्मिक उग्रवादी शक्ति व आतंकवादी शक्ति से संपर्क रखा। दूसरा, यह अनुसंधान प्रतिष्ठान तथाकथित स्वतंत्र संस्थान नहीं है, वह अमेरिका की हेग्मोनिक कूटनीति का सहायक है। तीसरा, न्यू लाइन रणनीति व नीति अनुसंधान प्रतिष्ठान वास्तव में एक अकादमिक संस्थान नहीं है। वह फेयरफैक्स यूनिवर्सिटी के अधीन है। पर इस यूनिवर्सिटी में केवल 153 विद्यार्थी हैं। साथ ही, इस की शैक्षिक योग्यता भी संदिग्ध है।

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