‘अंकल सैम की इस बुरी समस्या को ठीक किया जाना चाहिए’
बीजिंग, 17 अप्रैल (बीएनटी न्यूज़)| अमेरिका से मिली खबर के मुताबिक, अमेरिका और ईरान ने 15 अप्रैल को ऑस्ट्रिया के वियना में अप्रत्यक्ष वार्ता बहाल की, ताकि 2015 में संपन्न ईरानी नाभिकीय समझौते को बचा सके। एक दिन पहले ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेइ ने स्पष्ट रूप से कहा कि अगर अमेरिका पुन: इस समझौते में वापस लौटना चाहता है, तो उसे सर्वप्रथम ईरान पर लगायी गई पाबंदी को हटाना चाहिए। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद के 70 से अधिक वर्षों में अमेरिका ने सैन्य आक्रमण, पाबंदी लगाकर विद्रोह को उत्तेजित करने आदि कार्रवाइयों से हस्तक्षेप करने की नीति लागू करता रहा है। दुनिया पर पूर्ण आधिपत्य बनाए रखने के लिए अमेरिका हमेशा यह नीति अपनाता है।
बाईडन के सत्ता पर आने के बाद उन्होंने कई बार कहा कि अमेरिका मानवाधिकार को अमेरिकी विदेशी नीति के केंद्र में रखेगा। यह मानवाधिकार को प्रभुसत्ता पर रखने वाले अमेरिकी राजनेताओं द्वारा हस्तक्षेप करने को छिपाने की हरकत है। एक सरल कारण है कि यदि एक देश की प्रभुसत्ता खो जाती है, तो उसके लोगों के मानवाधिकार की रक्षा कैसी की जा सकती है।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 1965 में पारित घोषणापत्र में कहा गया है कि किसी भी देश को चाहे किसी कारण से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दूसरे देश के अंदरूनी या विदेशी मामलों में हस्ताक्षेप नहीं करना चाहिए, राजनीतिक, सैन्य और आर्थिक आदि कदमों से दूसरे देशों को धमकी नहीं देनी चाहिए, दूसरे देशों की सत्ता को पलटने की कार्रवाई का किसी भी तरीके का समर्थन नहीं करना चाहिए। जबकि घोषणापत्र में उपरोक्त निषिद्ध बातें अमेरिकी ने की हैं।
कोविड-19 महामारी के विश्व में फैलने के दौरान अमेरिका ने भी बार बार कई देशों के खिलाफ एकतरफावादी पाबंदी लगाई और गंभीर रूप से विश्व एकता महामारी रोकथाम कार्य को बर्बाद किया और मानवतावादी संकट को तीव्र किया।
अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप न करना संयुक्त राष्ट्र चार्टर का बुनियादी सिद्धांत है। अमेरिका का मूल्य अंतर्राष्ट्रीय मूल्य नहीं है, अमेरिका द्वारा बनाया गया नियम अंतर्राष्ट्रीय नियम भी नहीं है। अंकल सैम की इस बुरी समस्या को ठीक किया जाना चाहिए।