
‘जापान को रेडियोधर्मी परमाणु अपशिष्ट जल समुद्र में डालने का निर्णय रद्द करना चाहिए’
बीजिंग, 27 जून (बीएनटी न्यूज़)| 25 जून को संयुक्त राष्ट्र समुद्र कानून संधि के 31वें संस्थापक देशों के सम्मेलन में जापानी प्रतिनिधि ने अपने बयान में कहा कि उपचारित परमाणु अपशिष्ट जल हानिरहित है। जापान की संबंधित कार्रवाइयों को अंतर्राष्ट्रीय परमाणु संस्था की अनुमति मिली है। जापान का यह कथन बिलकुल झूठ है, जिसका मकसद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को गुमराह करना है और अपने स्वार्थी व्यवहार को सही ठहराना है। यदि परमाणु अपशिष्ट जल सचमुच हानिरहित है, तो जापान खुद इस्तेमाल क्यों नहीं करता, जबकि समुद्र में क्यों डालना चाहता है? टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी ने कहा कि परमाणु अपशिष्ट जल का स्वच्छ निपटारा करने के बाद अधिकांश ट्रिटियम के अलावा अधिकांश परमाणु तत्वों को मिटाया जा सकता है।
लेकिन हाल में इस कंपनी ने समाज से परमाणु अपशिष्ट जल के ट्रिटियम तत्वों को फिल्टर करने के लिए प्रौद्योगिकी के लिए खुला कॉल किया। फिल्टर तकनीक भी नहीं जानती, जापान सरकार कैसे कह सकती कि परमाणु अपशिष्ट जल हानिरहित है?
जापान ने कहा कि उसकी कार्रवाई खुली और पारदर्शी है, लेकिन क्या जापान ने चीन और दक्षिण कोरिया जैसे पड़ोसी देशों से पूरी तरह सलाह-मश्विरा किया? जापान के इस निर्णय जारी होने के बाद प्रशांत रिम देशों और प्रशांत द्वीप देशों के मंच आदि संगठनों ने इस पर ध्यान दिया, लेकिन जापान ने गंभीरता से प्रतिक्रिया नहीं दी।
परमाणु अपशिष्ट जल का निपटारा जापान अकेले की बात नहीं है। जर्मन समुद्री विज्ञान अनुसंधान संस्था के मुताबिक जल की निकासी के 57 दिनों में रेडियोसक्रिय पदार्थ प्रशांत के अधिकांश क्षेत्रों में फैल सकेगा। 3 सालों के बाद अमेरिका और कनाडा पर भी असर पड़ेगा। 10 सालों के बाद विश्व के सभी समुद्री क्षेत्रों में फैलेगा। निस्संदेह यह वैश्विक समुद्री वातावरण, खाद्य पदार्थों की सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य पर बड़ा असर पड़ेगा।
जापान को विश्व की आवाज सुननकर परमाणु अपशिष्ट जल के समुद्र में डालने के निर्णय को तुरंत बंद करना चाहिए और पारिस्थितिकी और मानव स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाला ऐतिहासिक पापी नहीं बनना चाहिए।