
संघर्ष विराम के लिए टीटीपी के साथ गुप्त वार्ता कर रहा पाकिस्तान
इस्लामाबाद, 6 नवंबर (बीएनटी न्यूज़)| पाकिस्तान सरकार और सैन्य प्रतिष्ठान प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ गुप्त वार्ता कर रहे हैं।
देश में सुरक्षा बलों और अन्य नागरिक इलाकों पर चल रहे लक्षित आतंकवादी हमलों को रोकने और संघर्ष विराम समझौते पर सहमत होने के उद्देश्य से यह वार्ता की जा रही है।
टीटीपी की ओर से पाकिस्तान में सुरक्षा बलों और अन्य नागरिक इलाकों पर आतंकवादी हमले किए गए हैं और सरकार शांति कायम करने के प्रयास कर रही है और इसी दिशा में काम करते हुए अब यह बातचीत शुरू की गई है।
विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों और टीटीपी के प्रतिनिधियों ने पड़ोसी अफगानिस्तान में कई दौर की बातचीत की है और एक समझौते की दिशा में काम कर रहे हैं, जो एक संघर्ष विराम या युद्ध विराम को लागू करेगा।
सूत्र ने आगे खुलासा किया कि पाकिस्तान और टीटीपी के बीच वार्ता की सुविधा और मध्यस्थता अफगान आंतरिक (गृह) मंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी द्वारा की जा रही है, जो तालिबान की घातक शाखा हक्कानी नेटवर्क का प्रमुख भी है और एफबीआई के सबसे वांछित आतंकियों में से है।
गुप्त वार्ता बड़े पैमाने पर महत्वपूर्ण है, क्योंकि टीटीपी समूह पाकिस्तान में 14 साल के लंबे विद्रोह पर देखा गया है और यह सैकड़ों आतंकवादी हमलों को अंजाम दे चुका है, जिसमें हजारों लोगों की जान जा चुकी है। टीटीपी द्वारा लक्षित हमलों में हालिया उछाल को अफगानिस्तान में अफगान तालिबान के अधिग्रहण से जोड़ा जा रहा है।
अफगान तालिबान नेतृत्व के टीटीपी के साथ-साथ पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान के साथ घनिष्ठ संबंध हैं, इसलिए इस मामले में अफगानिस्तान की भी महत्वपूर्ण भूमिका कही जा सकती है। यही वजह है कि हक्कानी नेटवर्क के नेता द्वारा मध्यस्थता की जा रही है।
सूत्रों ने खुलासा किया कि बातचीत कम से कम दो सप्ताह से चल रही है और अभी भी दोनों पक्षों के बीच विचार-विमर्श की प्रक्रिया चल रही है।
इस्लामाबाद और टीटीपी के बीच बातचीत के दावे को हाल ही में टीटीपी ने खारिज कर दिया था।
हालांकि, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने 1 अक्टूबर को पुष्टि की थी कि उनकी सरकार टीटीपी के कुछ गुटों के साथ बातचीत कर रही है और जिसे उन्होंने एक सुलह प्रक्रिया कहा है।
उन्होंने कहा कि अगर संघर्ष विराम समझौता होता है तो उनकी सरकार टीटीपी आतंकवादियों को माफ करने को तैयार है।
यह पूछे जाने पर कि क्या अफगान तालिबान वार्ता को सुगम बना रहा है, खान ने यह भी पुष्टि की है कि वार्ता अफगानिस्तान में हो रही है।
उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान कहा, बातचीत अफगानिस्तान में हो रही है, इसलिए, इस मायने में कह सकते हैं कि हां, ऐसा ही है।
दिलचस्प बात यह है कि अफगानिस्तान में इस्लामाबाद और टीटीपी के बीच बातचीत की खबरें भी काबुल में पाकिस्तान के राजदूत मंसूर अहमद खान की जानकारी में नहीं हैं। हालांकि उन्होंने टीटीपी के साथ बातचीत की संभावना से इनकार नहीं किया है।
यह भी बताया गया है कि टीटीपी के कुछ गुटों ने पहले ही अपने लड़ाकों को संघर्ष विराम का पालन करने का आदेश दिया है। विवरण के अनुसार, टीटीपी के हाफिज गुल बहादर गुट ने अपने लड़ाकों को 20 दिनों के लिए संघर्ष विराम का पालन करने और पाकिस्तानी सरकार और सुरक्षा बलों के खिलाफ अपने सभी अभियानों को रोकने का निर्देश दिया है।
सूत्र ने कहा, टीटीपी की मांगों में पाकिस्तान की जेल में 100 लड़ाकों की रिहाई शामिल है। बदले में, सरकार ने एक राष्ट्रव्यापी संघर्ष विराम की मांग की है। एक बार विराम पर सहमति हो जाने के बाद, पाकिस्तानी सुरक्षा बल टीटीपी के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे और आतंकी समूह टीटीपी सुरक्षा बलों या नागरिकों पर हमले जैसी कोई कार्रवाई नहीं करेगा।
सूत्र ने बताया कि दोनों ही पक्ष संघर्ष विराम के लिए अपनी मांगों और शर्तो पर बातचीत में व्यस्त है।