डब्ल्यूएचओ की तुर्कमेनिस्तान के शून्य कोविड मामले के दावे को पहली सार्वजनिक चुनौती
नई दिल्ली, 9 नवंबर (बीएनटी न्यूज़)| विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने तुर्कमेनिस्तान के उस दावे पर संदेह जताया है कि जिसमें उसने दावा किया है उसके यहां कोविड-19 के शून्य मामले हैं। वरिष्ठ डब्ल्यूएचओ आपात अधिकारी कैथरीन स्मॉलवुड ने कहा, (यह) लगभग दो वर्षो से दुनियाभर में एक महामारी के रूप में फैल रहा है। एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, यह संभावना नहीं है कि वायरस तुर्कमेनिस्तान में फैल नहीं रहा है।
तुर्कमेनिस्तान उत्तर कोरिया सहित उन गिने-चुने देशों में से एक है, जो दावा कर रहे हैं कि उनके यहां कोई कोरोनावायरस का मामला नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्मॉलवुड की टिप्पणियां डब्ल्यूएचओ द्वारा तुर्कमेनिस्तान के दावे के लिए पहली सार्वजनिक चुनौती का प्रतिनिधित्व करती हैं, क्योंकि अनौपचारिक रूप से देश में कोविड के मामलों की संख्या बढ़ रही है।
विश्लेषकों का कहना है कि तुर्कमेनिस्तान के कोरोनावायरस पर आधिकारिक आंकड़े अविश्वसनीय हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच में यूरोप और मध्य एशिया डिवीजन के उप निदेशक राहेल डेनबर ने कहा, एक कारण सरकार की अत्यधिक दमनकारी, निरंकुश प्रकृति है।
उन्होंने कहा कि तुर्कमेनिस्तान सरकार का डेटा को दबाने और सच्चाई को उजागर करने वाले लोगों को दंडित करने का एक लंबा इतिहास है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि तुर्कमेन भाषा में सार्वजनिक स्वास्थ्य साक्षरता को बढ़ावा देने वाली वेबसाइट ‘सैगलिग डॉट ओआरजी’ के संस्थापक अयनबत यायलीमोवा ने कहा कि यह विज्ञान-सम्मत नहीं है। यदि आप इसे माप नहीं सकते तो आप वास्तव में समस्या से निपट नहीं सकते। डब्ल्यूएचओ को विज्ञान को बढ़ावा देना चाहिए।
आलोचकों ने अधिकारियों पर डब्ल्यूएचओ के अधिकारियों के के समक्ष चीजों के साथ छेड़छाड़ करने और उनकी यात्रा के दौरान उनसे महामारी के सबूत छिपाने का भी आरोप लगाया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि विदेश स्थित तुर्कमेन डॉट न्यूज के संपादक रुस्लान मायतिएव ने कहा कि डब्ल्यूएचओ की यात्रा के लिए सरकार अच्छी तरह से तैयार थी।
रुस्लान ने कहा, उन्होंने डॉक्टरों का सही चयन किया कि प्रतिनिधिमंडल देश में मिलेगा और वे उन्हें सही अस्पतालों में ले गए और उन्हें सही मरीज दिखाए।