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त्रिपुरा में हिंसा की पृष्ठभूमि प्रशांत, अभिषेक ने पहले से रची थी : राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक

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अपडेटेड 25 नवंबर 2021, 11:10 AM IST
त्रिपुरा में हिंसा की पृष्ठभूमि प्रशांत, अभिषेक ने पहले से रची थी : राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक
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त्रिपुरा में हिंसा की पृष्ठभूमि प्रशांत, अभिषेक ने पहले से रची थी : राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक

नई दिल्ली, 25 नवंबर (बीएनटी न्यूज़)| केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री प्रतिमा भौमिक ने कहा कि त्रिपुरा में हिंसा की सभी घटनाएं प्रशांत किशोर और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) नेता अभिषेक बनर्जी द्वारा लिखित और पूर्व नियोजित हैं।

पश्चिम त्रिपुरा संसदीय क्षेत्र की लोकसभा सदस्य प्रतिमा भौमिक ने आईएएनएस को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि त्रिपुरा के लोग टीएमसी को करारा जवाब देंगे और अभिषेक बनर्जी व पीके (प्रशांत किशोर) राज्य के शांतिपूर्ण माहौल में खलल डालने की अपनी दुर्भावनापूर्ण योजना में सफल नहीं होंगे।

उन्होंने कहा कि टीएमसी ने जनादेश का अपमान किया है और पश्चिम बंगाल को देश और दुनिया के सामने बदनाम किया है। प्रतिमा ने कहा, “भाजपा को लोकतंत्र पर टीएमसी सिखाने की जरूरत नहीं है, इसके बजाय टीएमसी को लोकतंत्र सीखना चाहिए और सच्ची भावना से इसका पालन करना चाहिए।”

प्रश्न : टीएमसी त्रिपुरा में अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं पर हिंसा और हमलों के हालिया मामलों की शिकायत कर रही है, इस पर आपका क्या कहना है?

प्रतिमा : त्रिपुरा में भाजपा की सरकार 2018 में बनी थी और राज्य में हिंसा का कोई मामला सामने नहीं आया। राजनीतिक हिंसा त्रिपुरा की संस्कृति नहीं है। टीएमसी नेता पीके और उनके समूह आई-पीएसी के त्रिपुरा पहुंचने के बाद अगस्त से, पिछले चार महीनों में हिंसा के मामले सामने आए। हिंसा की सभी घटनाएं पीके और टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी द्वारा लिखित और पूर्व नियोजित हैं।

प्रश्न : आपका क्या मतलब है कि हिंसा की घटनाएं पूर्व नियोजित और लिखित होती हैं?

प्रतिमा : सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि मार्च 2018 से लेकर इस साल जुलाई तक राज्य में भाजपा की सरकार बनने के बाद से हिंसा की कोई घटना नहीं हुई है। मुझे बताइए, क्या आपने त्रिपुरा में किसी हिंसक घटना के बारे में सुना है? त्रिपुरा में कोई हिंसा नहीं हुई और त्रिपुरा में हिंसा की कोई जगह नहीं है। इस साल अगस्त में टीएमसी नेताओं और पीके ने राज्य का दौरा करना शुरू किया और पीके ग्रुप के सदस्यों ने त्रिपुरा में डेरा डाला। हिंसा की सभी घटनाएं पिछले चार महीनों में अगस्त से नवंबर तक दर्ज की गईं। पीके और टीएमसी के आने के बाद से ही हिंसा की घटनाएं शुरू हो गईं और इसलिए मैंने कहा कि पूरी बात पूर्व नियोजित और स्क्रिप्टेड है। पीके पटकथा लेखक हैं और अभिषेक बनर्जी त्रिपुरा में हिंसा के निर्माता हैं।

प्रश्न : क्या आप कह रही हैं कि त्रिपुरा में स्थिति शांतिपूर्ण है और हिंसा की वर्तमान घटनाएं पूर्व नियोजित हैं?

प्रतिमा : हां, त्रिपुरा में स्थिति शांतिपूर्ण है और टीएमसी ने स्थानीय निकाय चुनाव पर नजर रखकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। टीएमसी द्वारा लाए गए किसी बाहरी व्यक्ति के राज्य छोड़ने पर हिंसा की कोई रिपोर्ट सामने नहीं आएगी। आप राज्य में शांतिपूर्ण माहौल को महसूस करने के लिए त्रिपुरा आएं।

उनकी बॉडी लैंग्वेज देखिए, वे अंडरवल्र्ड डॉन की तरह व्यवहार कर रहे हैं, राजनेताओं की तरह नहीं।

प्रश्न : क्या आप बताएंगी कि कौन अंडरवल्र्ड डॉन की तरह व्यवहार कर रहा है?

प्रतिमा : तृणमूल कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता त्रिपुरा की जनता को धमका रहे हैं। वे लोगों के मन में डर पैदा कर पार्टी को स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि त्रिपुरा में उनका कोई सांगठनिक ढांचा नहीं है। त्रिपुरा में टीएमसी के पास कुछ भी नहीं है, उनके पास न तो बूथ कमेटी है और न ही राज्य कमेटी। वे राज्य में अपनी पार्टी स्थापित करने के लिए बाहर से लोगों को ला रहे हैं और इसी मकसद से लोगों को धमका रहे हैं। देखिए इनकी बॉडी लैंग्वेज, ये किसी राजनीतिक नेता या कार्यकर्ता की नहीं, बल्कि किसी अंडरवल्र्ड डॉन की है। अभिषेक बनर्जी अंडरवल्र्ड डॉन की तरह व्यवहार कर रहे हैं। मुझे विश्वास है कि त्रिपुरा के लोग उन्हें करारा जवाब देंगे और टीएमसी, अभिषेक बनर्जी और पीके राज्य के शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने की अपनी दुर्भावनापूर्ण योजना में सफल नहीं होंगे। लोग शांति और विकास चाहते हैं, न कि टीएमसी की हिंसक संस्कृति, जो वह पश्चिम बंगाल में करती है।

प्रश्न : टीएमसी तो कह रही है कि भाजपा सरकार के तहत त्रिपुरा में लोकतंत्र खतरे में है?

प्रतिमा : हम टीएमसी और उसके नेताओं से लोकतंत्र के बारे में नहीं सीखना चाहते। पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जो हुआ, वह सबने देखा।

महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया, पुरुषों को मार डाला गया, संपत्तियों को आग लगा दी गई, टीएमसी के गुंडों के हमले के डर से लाखों लोगों को राज्य से विस्थापित कर दिया गया और उन्होंने असम में शरण ली। टीएमसी ने जनादेश का अनादर किया है और पश्चिम बंगाल को देश और दुनिया के सामने बदनाम किया है। टीएमसी और उसकी नेता ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी के चेहरे काले हो गए हैं और उन्हें अपने चेहरे छिपाने की जगह नहीं मिलेगी। पश्चिम बंगाल में अपने ही लोगों की हत्या करने और अपनी ही महिलाओं के साथ दुष्कर्म करने के बाद इस पार्टी के नेता लोकतंत्र की बात कर रहे हैं। भाजपा को लोकतंत्र और लोकतांत्रिक मूल्यों पर पूरा भरोसा है और वह धार्मिक रूप से इसका पालन करती है। भाजपा को लोकतंत्र पर टीएमसी से शिक्षा लेने की जरूरत नहीं है, इसके बजाय टीएमसी को लोकतंत्र सीखना चाहिए और सच्ची भावना से उसका पालन करना चाहिए।

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