
सिविल जजों के आर्थिक क्षेत्राधिकार को बढ़ाने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर
नई दिल्ली, 28 नवंबर (बीएनटी न्यूज़)| एक याचिकाकर्ता ने राष्ट्रीय राजधानी में स्थित जिला अदालतों में तैनात सिविल जजों के आर्थिक क्षेत्राधिकार को तर्कसंगत रूप से बढ़ाने के लिए रजिस्ट्रार जनरल और दिल्ली सरकार से उचित निर्देश देने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
याचिकाकर्ता एडवोकेट अमित साहनी द्वारा दायर याचिका के अनुसार, यह कहा गया है कि सिविल जजों के स्तर पर जिला न्यायालयों के आर्थिक क्षेत्राधिकार में संशोधन या वृद्धि करने की आवश्यकता है, ताकि सिविल जजों के सामने आने वाले गतिरोध और जिला जजों, अतिरिक्त जिला जजों पर मामलों के बोझ को एक साथ कम किया जा सके।
इस मामले में रजिस्ट्रार जनरल और शहर सरकार के अलावा दिल्ली बार काउंसिल और जिला अदालतों के विभिन्न बार एसोसिएशन भी प्रतिवादी हैं।
हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई एक दिसंबर 2021 को करेगा।
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली के जिला न्यायालयों में सिविल जजों का आर्थिक क्षेत्राधिकार केवल 3 लाख रुपये तक है और 2003 से इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
हालांकि, एडीजे, जिला न्यायाधीशों का आर्थिक क्षेत्राधिकार 2003 में 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 2015 में 2 करोड़ रुपये तक कर दिया गया है। यह दलील भी दी गई है कि दिल्ली उच्च न्यायालय और अन्य जिला न्यायालयों के आर्थिक क्षेत्राधिकार को समय-समय पर बदला या बढ़ाया गया है।
दलील में कहा गया है कि दिल्ली उच्च न्यायालय का आर्थिक क्षेत्राधिकार 1969 से 2015 के दौरान 25,000 रुपये से ऊपर 2,00,00,000 रुपये से अधिक हो गया है और जिला न्यायाधीश स्तर के आर्थिक क्षेत्राधिकार को 20 लाख रुपये से बढ़ाकर 2 रुपये कर दिया गया है। हालांकि सिविल जज स्तर के आर्थिक क्षेत्राधिकार में संशोधन नहीं किया गया है और यह अभी भी 3 लाख रुपये तक है।
इसमें आगे कहा गया है कि दिल्ली के पड़ोस में जिला न्यायालय – गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद असीमित आर्थिक क्षेत्राधिकार का आनंद लेते हैं। याचिका में कहा गया है कि जहां तक ??आर्थिक क्षेत्राधिकार का संबंध है, दिल्ली के जिला न्यायालयों को दिल्ली के आस-पास के इलाकों में स्थित जिला अदालतों के बराबर करने की जरूरत है।
याचिका में कहा गया है कि संशोधन के समय पहले के अवसरों पर सिविल जजों के आर्थिक क्षेत्राधिकार का वितरण आनुपातिक रूप से किया गया है, लेकिन 2003 के बाद से दिल्ली जिला न्यायालयों में तैनात सिविल जजों के आर्थिक क्षेत्राधिकार में कोई वृद्धि नहीं हुई है।
आगे यह भी कहा गया है कि यदि दीवानी न्यायाधीशों के आर्थिक क्षेत्राधिकार को बढ़ाकर 20 लाख से 30 लाख रुपये किया जाए। यह जिला और साथ ही अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों पर बोझ कम करेगा, क्योंकि ऐसे कुछ मामलों की सुनवाई सिविल न्यायाधीशों द्वारा की जाएगी। इसके अलावा, याचिका में कहा गया कि आर्थिक क्षेत्राधिकार बढ़ाने से हाईकोर्ट का बोझ भी कम होगा, क्योंकि ऐसे मामलों से उत्पन्न होने वाली अपीलें हाईकोर्ट के बजाय एडीजे या जिला न्यायाधीशों के समक्ष दायर की जाएंगी।