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विवादों को सुलझाने के लिए सुलह का रास्ता अपनाएं, अदालतों में जाना अंतिम उपाय होना चाहिए : सीजेआई

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अपडेटेड 05 दिसंबर 2021, 11:14 AM IST
विवादों को सुलझाने के लिए सुलह का रास्ता अपनाएं, अदालतों में जाना अंतिम उपाय होना चाहिए : सीजेआई
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विवादों को सुलझाने के लिए सुलह का रास्ता अपनाएं, अदालतों में जाना अंतिम उपाय होना चाहिए : सीजेआई

नई दिल्ली, 05 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन. वी. रमना ने शनिवार को कहा कि कारोबारी समुदाय को विवादों को सुलझाने के लिए अदालतों में जाने के बजाय मध्यस्थता एवं सुलह जैसे वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र पर जोर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अदालतों में जाना अंतिम उपाय होना चाहिए। न्यायमूर्ति रमना ने यह बात अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता और मध्यस्थता केंद्र, हैदराबाद में ‘हितधारकों’ के सम्मेलन में अपने संबोधन के दौरान कही।

उन्होंने कहा कि व्यापार में मतभेदों को शुरू में बातचीत के माध्यम से सुलझाया जाना चाहिए और अगर यह काम नहीं करता है तो पार्टियों (पक्षों) को ऐसे लोगों की तलाश करनी चाहिए, जो बातचीत से इस मुद्दे को हल कर सकें।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने आगे कहा, “अगर यह भी काम नहीं करता है, तो लोग अदालत में जाने का ही एकमात्र विकल्प मानते हैं। चालीस सालों तक कानूनी पेशे में विभिन्न पदों पर रहने के बाद मेरी सलाह है कि आपको अंतिम उपाय के रूप में ही अदालतों में जाने का विकल्प रखना चाहिए।”

सीजेआई ने आगे कहा कि एडीआर (वैकल्पिक विवाद समाधान) का विकल्प तलाशने के बाद ही इस अंतिम उपाय का उपयोग करना चाहिए।

मध्यस्थता और मध्यस्थता एक रिश्ते को बहाल करने के प्रयास हैं।

उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में हर दिन हम संघर्षों का सामना करते हैं – चाहे वह परिवार के सदस्यों के बीच हो या हमारे व्यवसाय या पेशेवर जीवन में।

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि कोई भी संघर्ष के बिना दुनिया की कल्पना नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, “संघर्षों का एक मानवीय चेहरा होता है और इसे हल करने के लिए हमारे ²ष्टिकोण में मानवीय होने में मदद मिलती है। संघर्ष से परे देखने की दूरदर्शिता होनी चाहिए।”

उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद के समाधान के पीछे सबसे महत्वपूर्ण कारक सही रवैया है। उन्होंने कहा, “मेरा सही ²ष्टिकोण से तात्पर्य है कि हमें अपने अहंकार, भावनाओं, अधीरता को छोड़कर व्यावहारिकता को अपनाना चाहिए। लेकिन, एक बार जब ये विवाद अदालत में आ जाते हैं, तो अभ्यास और प्रक्रिया में बहुत कुछ खो जाता है।”

न्यायमूर्ति रमना ने बताया कि देश में कुछ मध्यस्थता केंद्रों की मौजूदगी के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता समझौते वाले मामलों के लिए भारतीय पक्ष अक्सर देश के बाहर के मध्यस्थता केंद्र का विकल्प चुनते हैं, जिससे भारी खर्च होता है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि हैदराबाद केंद्र इस प्रवृत्ति को बदल देगा।

उन्होंने आगे कहा कि केंद्र के पास सर्वश्रेष्ठ बुनियादी ढांचा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञ इसके मध्यस्थ पैनल में हैं।

न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि महान भारतीय महाकाव्य महाभारत में भी भगवान कृष्ण ने पांडवों और कौरवों के बीच मध्यस्थता के जरिए विवाद खत्म करने का प्रयास किया था।

उन्होंने कहा, “यह याद रखना आवश्यक है कि मध्यस्थता की विफलता के विनाशकारी परिणाम हुए हैं।”

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