रिव्यू : भारतीय टीम की पहली विश्व कप जीत पर आधारित है फिल्म ’83’
नई दिल्ली, 25 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| फिल्म : ’83’, अवधि: 163 मिनट।
निर्देशक : कबीर खान।
कलाकार : रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण, पंकज त्रिपाठी, ताहिर राज भसीन, साकिब सलीम, नीना गुप्ता, बोमन ईरानी, एमी विर्क , चिराग पाटिल, दिनकर शर्मा, निशांत दहिया, हार्डी संधू, साहिल खट्टर, आदिनाथ कोठारे और धैर्य करवा।
आईएएनएस रेटिंग: 4 स्टार
निर्देशक कबीर खान की फिल्म ’83’ भावनाओं से भरी और रोमांचक फिल्म है। यह फिल्म 1983 में भारतीय क्रिकेट टीम की पहली विश्व कप जीत पर आधारित है। इस फिल्म को देखने के बाद दर्शकों और प्रशंसकों में देशभक्ति की लहर दौड़ गई।
फिल्म को बनाने में करीब साढ़े तीन महीने का वक्त लगा जिसमें अभिनेता और अन्य कलाकारों ने खिलाड़ियों के पास जाकर उनकी भूमिका को समझा और लोगों को बेहतर ढंग से समझाया। फिल्म केवल क्रिकेट मैच पर आधारित है। लगभग 38 वर्षो के बाद इन यादों को दर्शकों के सामने बड़े पर्दे पर वापस लाया गया है।
जैसा कि फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसे भारतीय टीम के साथ उस दौरान व्यवहार किया गया था और सभी बाधाओं के बावजूद खिलाड़ियों ने विजेता के रूप में भारतीय टीम को उभारा। फिल्म में कपिल देव की बल्लेबाजी को दर्शाया गया है, जिसमें उन्होंने जिम्बाब्वे टीम के खिलाफ 175 रन की नाबाद पारी खेलकर इतिहास रचा था, इस महान खेल को उस दौरान रिकॉर्ड नहीं किया गया था, क्योंकि बीबीसी को नहीं लगता था कि यह शतक टीम के लिए काफी महत्वपूर्ण था।
निर्देशक कबीर खान ने ये फिल्म वहां से शुरू की है जहां क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास वर्ल्ड कप खेलने का न्यौता आता है। जिस कहानी की शुरुआत और अंत पता हो, उसके बीच के किस्से ही दर्शक का ध्यान बनाए रखने के लिए जरूरी हैं। फिल्म को अच्छे से दर्शाया गया है और आज के समय में जब दर्शक सिनेमा हॉल से लगभग दूरी बना चुके हैं उस समय ये फिल्म दर्शकों को सिनेमा हॉल में खींचने पर मजबूर करती है।
कबीर ने किसी भी खिलाड़ी की निजी जिंदगी में जाने का फैसला नहीं लिया। दर्शकों का मानना है कि फिल्म इमोशन, जोश और जज्बे से भरी हुई है।
फिल्म में कमेंटेटर फारुख इंजीनियर के रूप में बोमन ईरानी, पीआर मान सिंह के रूप में पंकज त्रिपाठी, कपिल की देखभाल और सहायक मां के रूप में नीना गुप्ता और कपिल की पत्नी रोमी के रूप में दीपिका पादुकोण को भूमिका निभाते हुए देखा गया।
कुल मिलाकर कहानी, कबीर खान की अधिकांश फिल्मों की तरह यह फिल्म जोश, इमोशन और जज्बे से भरी हुई है।