नई दिल्ली, 25 मार्च (बीएनटी न्यूज़)| रेलवे ने ट्रेनों को अब शत प्रतिशत विद्युतीकरण करने और पूरी तरह से डीजल मुक्त करने की शुरुआत कर दी है। इसके तहत रेललाइन के विद्युतीकरण के साथ-साथ एयरकंडीशनर और लाइड के लिए भी डीजल की जरूर नहीं पड़ेगी। दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि में तेल की बढ़ती कीमतों के कारण रेलवे का ये कदम और भी महत्वपूर्ण हो गया है। भारतीय रेलवे द्वारा ट्रेन के कोचों में इस परिवर्तन के परिणामस्वरूप राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को सालाना करीब 3800 करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी। अब केवल ट्रेने के संचालन के लिए ओवरहेड केबल्स का इस्तेमाल किया जाता था, लेकिन अब इस माध्यम का उपयोग ट्रेनों के अंदर प्रकाश और एयर कंडीशनिंग के लिए भी किया जाएगा। फिलहाल भारतीय रेलवे ने 1586 ट्रेनों (992 रेक) को एंड ऑन जेनरेशन (ईओजी) से हेड ऑन जेनरेशन (एचओजी) में बदल दिया है।
रेलवे के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी जी.के. बंसल के अनुसार, “इस कदम से कार्बन डायऑक्साइड उत्सर्जन में लगभग 5.8 लाख टन प्रतिवर्ष की कमी आएगी, साथ ही महंगे आयातित डीजल की बचत के मामले में 3854 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की बचत होगी।”
इसका कार्यान्वयन फरवरी 2022 में पूरा हुआ था। बंसल के अनुसार, एचओजी प्रणाली की कुल लागत केवल 60 करोड़ रुपये थी और यह पूरी तरह से स्वदेशी है।
हालांकि दिल्ली रेल मंडल भी अब पूरी तरह से डीजल मुक्त हो गया है। नोली-शामल-टपरी रेल लाइन तथा सोनीपत-गोहाना रेललाइन का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है। मुख्य संरक्षा आयुक्त ने इन दोनों रेलखंडों पर बिजली इंजन से रेल चलाने की अनुमति दे दी है। इसके साथ ही शत प्रतिशत विद्युतीकरण वाला यह उत्तर रेलवे का पहला मंडल बन गया है। इससे न सिर्फ ट्रेनों व मालगाड़ियों की रफ्तार बढ़ेगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।
जल्द ही दिल्ली से सहारनपुर के बीच बिजली इंजन से ट्रेनों की आवाजाही शुरू हो जाएगी। बिजली इंजन से ट्रेनों की आवाजाही शुरू होने से मुजफ्फरनगर-मेरठ सिटी-गाजियाबाद होकर गुजरने वाली ट्रेनों व मालगाड़ियों को इस रेलमार्ग से भेजा जा सकेगा। इससे सहारनपुर-मेरठ सिटी-गाजियाबाद रेलखंड पर दबाव कम करने में मदद मिलेगी। अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली से सहारनपुर के बीच इलेक्ट्रिक मल्टीपल यूनिट (ईएमयू) ट्रेनों की संख्या बढ़ाई जा सकेगी जिससे यात्रियों को सुविधा होगी।