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कैदियों की जल्द रिहाई के लिए सीजेआई ने सॉफ्टवेयर लॉन्च किया, तेजी से प्रसारित होंगे अदालती आदेश

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अपडेटेड 01 अप्रैल 2022, 11:16 AM IST
कैदियों की जल्द रिहाई के लिए सीजेआई ने सॉफ्टवेयर लॉन्च किया, तेजी से प्रसारित होंगे अदालती आदेश
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कैदियों की जल्द रिहाई के लिए सीजेआई ने सॉफ्टवेयर लॉन्च किया, तेजी से प्रसारित होंगे अदालती आदेश

नई दिल्ली, 1 अप्रैल (बीएनटी न्यूज़)| प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) एन.वी. रमना ने गुरुवार को इलेक्ट्रॉनिक मोड के माध्यम से न्यायालय के आदेशों को तेजी से प्रसारित करने के लिए ‘फास्ट एंड सिक्योर ट्रांसमिशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डस’ (फास्टर) नामक एक सॉफ्टवेयर लॉन्च किया। लॉन्च इवेंट के दौरान, प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि कैदियों की रिहाई में देरी के संबंध में पिछले साल जुलाई में एक समाचार प्रकाशित होने के बाद फास्टर अस्तित्व में आया। उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने तीन दिन पहले कैदियों को जमानत दे दी थी, हालांकि जेल अधिकारियों के पास आदेशों की भौतिक प्रतियां पहुंचने में देरी हुई।

प्रधान न्यायाधीश ने जोर देकर कहा कि फास्टर का उद्देश्य उस स्थिति को खत्म करना है, जहां शीर्ष अदालत द्वारा उन्हें जमानत देने के बाद भी कैदियों की रिहाई में देरी होती है। उन्होंने बताया कि जेल अधिकारियों को जमानत आदेशों की प्रमाणित हार्ड कॉपी नहीं मिलने के कारण देरी हो जाती है।

उन्होंने कहा, “फास्टर का उद्देश्य सुप्रीम कोर्ट या किसी भी अदालत द्वारा पारित आदेशों को बिना किसी हस्तक्षेप के सुरक्षित रूप से प्रसारित करना है।”

प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सॉफ्टवेयर को निष्पादित करने के लिए उच्च न्यायालय स्तर पर 73 नोडल अधिकारियों का चयन किया गया है और नोडल अधिकारियों और अन्य अधिकारियों के कुल 1,887 ईमेल आईडी हैं।

फास्टर प्रमाणीकरण के लिए शीर्ष अदालत के अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर वाले जमानत आदेश भेजेगा और यह जानकारी केवल ईमेल का संचालन करने वाले अधिकारियों द्वारा ही प्राप्त हो सकती है, जिससे गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित होती है।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल जुलाई में कहा था कि सूचना प्रौद्योगिकी में उछाल के युग में ऐसा प्रतीत होता है कि जेल अधिकारी ‘कबूतरों के माध्यम से संचार के प्राचीन तरीकों’ पर भरोसा कर रहे हैं। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आदेशों की सुरक्षित और तेजी से डिलीवरी के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली विकसित करने के निर्देश जारी किए गए थे।

प्रधान न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन महासचिव संजीव एस. कलगांवकर को न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से परामर्श करने के लिए कहा, ताकि शीर्ष अदालत से जेलों तक संचार का एक सुरक्षित प्रत्यक्ष इलेक्ट्रॉनिक मोड विकसित किया जा सके।

उन्होंने कहा, “सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के इस युग में हम अभी भी कबूतरों के आदेशों को संप्रेषित करने के लिए आसमान की ओर देख रहे हैं।”

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