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कोरोना टीकाकरण में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के हौसलों के आगे छोटे पड़े पहाड़

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अपडेटेड 17 सितंबर 2022, 4:53 PM IST
कोरोना टीकाकरण में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के हौसलों के आगे छोटे पड़े पहाड़
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भोपाल/निवाड़ी, 17 सितंबर (बीएनटी न्यूज़)| कहा जाता है कि अगर हौसले बुलंद हों तो कोई भी बाधा रास्ते को रोक नहीं सकती, मध्य प्रदेश में चल रहे कोरोना टीकाकरण के अभियान मंे भी ऐसा हुआ है। पहाड़, नदी, नाले से लेकर जंगल भी उन महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को अपने लक्ष्य यानि की टीकाकरण के पात्र लोगों तक पहुंचने से रोक रही सके। यही कारण है कि खेत-खलिहानों में किसान और उनके परिवारों से लेकर दूर-दराज की बस्तियों में निवासरत लोगों तक का टीकाकरण हो रहा है।

कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई का बड़ा हथियार टीकाकरण है। मगर ग्रामीण इलाके में टीककरण करना कोई आसान काम नहीं है। मध्यप्रदेश के निवाड़ी जिले में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर ऐसा जुनून हावी रहा कि उन्होंने हर विषम हालात को मात दी और अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाबी हासिल की।

निवाड़ी जिले के ओरछा में स्वास्थ्य विभाग और बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था यूनिसेफ द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में निवाड़ी जिले की महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने अपनी कहानी सुनाई और यह कहानी उन विषम हालातों से लड़ने की थी जो उन्होंने टीकाकरण के दौरान लड़ी। उन्हें अपने अभियान को सफल बनाने में समाज के जागरूक लोगों के साथ स्वास्थ्य विभाग और पुलिस महकमे की भी मदद मिली।

निवाड़ी के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम उमा अहिरवार ने टीकाकरण में अपनी पूरी क्षमता दांव पर लगा दी। उन्होंने न तो दिन देखा और न ही रात, यही कारण रहा कि उन्होंने 70 हजार से ज्यादा लोगों का टीकाकरण किया है, एक दिन में ढाई हजार तक लोगों को टीका लगाया।

उमा बताती हैं कि उनके लिए यह काम आसान नहीं था, मगर जुनून ऐसा था कि वे अपनी जिम्मेदारी को पूरा करना चाहती थी, दिन और रात को उन्होंने नहीं देखा। कई बार उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ा, दिक्कतें भी आई मगर हिम्मत नहीं हारी। उन्हें अपने परिवार, समाज के जागरूक लोगों का पूरा साथ मिला। कई बार तो लोग टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं हुए, मगर जब उन्हें समझाया गया और टीकाकरण के लाभ बताए गए तो वे टीकाकरण के लिए राजी हुए।

ऐसी कहानी है सुनीता अहिरवार की भी है। वे बताती हैं कि कई बार लोग टीका लगवाने के लिए तैयार नहीं हुए क्योंकि वे डरते थे मगर उन्हें यह बताया गया कि यह टीकाकरण उनकी जिंदगी को सुरक्षित बनाने में मददगार होगा।

इस इलाके की एएनएम राम कुमारी अहिरवार भी मानती हैं कि टीकाकरण के दौरान कई तरह की मुसीबतें आई, परेशानी आई मगर लोगों का साथ मिला। परिणामस्वरूप टीकाकरण का अभियान सुचारु रुप से चल रहा है।

यूनिसेफ की मध्य प्रदेश प्रमुख मारग्रेट ग्वाडा का कहना है, “मध्य प्रदेश ने 97 प्रतिशत पात्र लोगों को कोरेाना वैक्सीनेशन की पहली खुराक और 94 प्रतिशत को दूसरी खुराक के साथ कोरोना की कुल 130 मिलियन खुराक दी गई। यह मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य विभाग के सर्वोच्च अधिकारी, पहली पंक्ति के कार्यकर्ताओं से लेकर जमीन पर मौजूद सभी टीकाकरण के अभियान से जुड़े कार्यकर्ताओं के प्रयासों और समर्पण से संभव हुआ।

मारग्रेट ने आगे कहा कि हमें अपनी इसी ऊर्जा का उपयोग एहतियाती खुराक के साथ पात्र आबादी तक पहुंचने और मध्य प्रदेश के सभी बच्चों के लिए नियमित टीकाकरण के अभियान में लगाने की जरुरत है, ताकि प्रत्येक बच्चे को टीकाकरण का अधिकार मिल सके।

टीकाकरण के संचालक डॉ संतोष शुक्ला भी मानते हैं कि लोगों में कई तरह की भ्रांति रही हैं जिन्हें दूर कर इस अभियान को सफल बनाया गया है। कई तरह की बाधाएं आई, नदी, नालों को पार करते हुए टीकाकरण के दल खेत-खलिहान, जंगलांे से होते हुए दूरदराज के इलाकों में बसे लोगों तक पहुंचे। विभाग की कोशिश है कि इस अभियान को नई ऊंचाई दी जाए।

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