
सिस्टम को एम्स की तरह रैनसमवेयर हमले से बचाना जरूरी : बीएसएफ डीजी
सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के महानिदेशक पंकज कुमार सिंह ने बुधवार को कहा कि साइबर सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। खासतौर से 5जी आने के बाद चिंता और बढ़ गई है। उन्होंने कहा कि हमें अपने सिस्टम को एम्स में रैनसमवेयर अटैक जैसे हमलों से बचाना होगा। ये सुरक्षा के मद्देनजर बेहद जरूरी है। बीएसएफ के डीजी बल के स्थापना दिवस की पूर्व संध्या पर सालाना प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित कर रहे थे। पंकज कुमार सिंह ने कहा कि सीमा पार से आने वाले ड्रोन एक बड़ी चुनौती है, मगर बीएसएफ ने काफी हद तक इनके सर्विलांस की तकनीक हासिल कर ली है। स्वदेशी तकनीक के जरिए इन पर नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि बड़े और बजनी ड्रोन तस्करों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे हैं, इन्हें मारने में भी आसानी होती है। वहीं डीजी ने बताया कि फूलप्रूफ एंटी ड्रोन सिस्टम पर भी काम चल रहा है। बहुत जल्द यह सिस्टम बीएसएफ को मिल जाएगा।
बीएसएफ के डीजी ने बताया कि फोर्स में अब ज्यादा से ज्यादा स्वदेशी खोजी कुत्तों को प्रशिक्षण देकर तैयार किया जा रहा है। इनमें विदेशी कुत्तों के मुकाबले गलती की गुंजाइश बेहद कम होती है। जिन स्वदेशी कुत्तों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उनमें रामपुर हाउंड (उत्तर प्रदेश), मुधोल हाउंड (कर्नाटक/महाराष्ट्र), राजपलायम (तमिलनाडु) और गद्दी (कश्मीर) नस्ल के कुत्ते शामिल हैं। इसके अलावा बीएसएफ की एयर विंग और वाटर विंग भी मोर्चे पर तैनात है।
बीएसएफ के आधुनिकीकरण के बारे में पंकज कुमार सिंह ने बताया कि ड्रोन का इस्तेमाल कई सकारात्मक गतिविधियों के लिए भी किया जा रहा है। ड्रोन के जरिए दूरदराज वाले इलाकों में टेलीमेडिसिन सेवा शुरू की गई है। वहीं अब उपद्रवियों पर काबू पाने के लिए आंसूगैस छोड़ने में भी ड्रोन का इस्तेमाल होगा।
पंकज सिंह ने बताया कि बल में सभी जवानों और अफसरों की एसीआर भरने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम तैयार किया जा रहा है। कई बार समय पर एसीआर न भरने के कारण संबंधित अधिकार या जवान की पदोन्नति में देरी हो जाती है।