
BNT की खास रिपोर्ट:
बैंकों की कार्यप्रणाली पर बड़ा प्रश्रचिन्ह जो उच्चाधिकारियों की सांठ-गांठ के बिना नहीं हो सकता। इतना बड़ा घालमेल इंटरनल एवं कॉनकरंट ऑडिट्र्स क्यों नहीं पकड़ पाए। क्या ऑडिट्र्स भी हैं इस घोटाले में शामिल।
नीरव मोदी एवं उसके रिश्तेदार मेहुल चौकसी ने पीएनबी एवं अन्य सरकारी बैंकों को लगभग रु12 हजार करोड़ का चूना लगाया है। सूत्र बताते हैं कि यह आंकड़ा एक प्रारंभिक अनुमान है। सघन जांच के बाद यह आंकड़ा कई गुना बड़ सकता है।
डायमंड किंग नीरव मोदी ने सरकारी बैंकों की कार्यप्रणाली कितनी लचर है, इसमें सेंध लगाना कितना आसान है, इसको साबित किया है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है इसमें रोज नये नये खुलासे हो रहे हैं। नीरव मोदी एवं मेहुल चौकसी ने अपना साम्रराज्य कई देशों में फैला रखा है और लगभग 300 मुखौटा कंपनियों के जरिये लगभग रू20 हजार करोड़ का कालाधन सफेद किया गया। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बहुत सी कंपनियां ऐसी है जो सिर्फ कागजों पर मौजूद हैं और उनके मालिक के नाम और पते फर्जी हैं। इसमें से कई कंपनियां नीरव मोदी के रिश्तेदारों और मित्रों के नाम पर हैं। कई ऐसी कंपनियां भी हैं जिन्होंने हीरा व्यापार की आड़ में बड़ी मात्रा में विदेश में कालाधन जमा किया है, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।
कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला
नीरव मोदी, उनकी पत्नी अमी, उनके भाई निश्चल और उनके कारोबारी साथी मेहुल को अपनी तीन कंपनियों डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट और स्टैलर डायमंड के लिए कुछ सामान मंगाना था। ये सामान हॉन्ग कॉन्ग में खरीदा जाना था। सामान मंगाने के लिए इनके पास पैसे नहीं थे। इसके लिए इन्होंने 16 जनवरी, 2018 को मुंबई के पंजाब नेशनल बैंक से संपर्क किया। उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक से कहा कि वो इन सामानों को मंगाने के लिए एक लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी कर दे। आसान भाषा में समझें तो इस लेटर ऑफ अंडरटेकिंग के जारी करने का मतलब ये था कि पंजाब नेशनल बैंक नीरव मोदी और उनके लोगों को सामान मंगाने के लिए पैसे देने को तैयार है।
पंजाब नेशनल बैंक इसके लिए तैयार हो गया। बैंक की ओर से कहा गया कि वो बैंक में रू280 करोड़ नकद जमा कर दें। इसके बाद बैंक उनके लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी कर देगा। नीरव मोदी और उनके साथियों की ओर से कहा गया कि बैंक बिना नकद जमा कराए पहले भी ऐसा करता रहा है और वो इस तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करवाते रहे हैं। बैंक के एक अधिकारी को शंका हुई तो उसने कहा कि वो कागजात देखकर बताएंगे।
बैंक ने जब जांच शुरू की तो पता चला कि नीरव मोदी, उनकी कंपनी या फिर उनके किसी पार्टनर का बैंक में कोई रिकार्ड नहीं है। इसके बाद बैंक ने जांच शुरू की पता चला कि नीरव मोदी इस बैंक के दो अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से लेटर ऑफ अंडरटेकिंग बनवाते रहे हैं। जांच हुई तो पता चला कि ऐसे लेटर जारी करने में पंजाब नेशनल बैंक के डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने बैंक के ही एक और साथी मनोज खरात के साथ मिलकर खेल किया था। बैंकों में एक स्विफ्ट मैसेजिंग सिस्टम होता है, जिसके जरिए बैंक हर घंटे लाखों डॉलर ट्रांसफर करते हैं। विदेश में क्रेडिट हासिल करने के लिए इस्तेमाल होने वाले ‘स्विफ्ट’ से जुड़े मैसेज पंजाब नेशनल बैंक के सॉफ्टवेयर सिस्टम में तुरंत नहीं दिखते हैं ऐसा इसलिए होता है कि क्योंकि इन्हें बैंक के कोर बैंकिंग सिस्टम में एंट्री किए बिना जारी किया जाता है। गोकुलनाथ शेट्टी ने इसका ही फायदा उठाया था। उसने विदेश में क्रेडिट हासिल करने के लिए लेटर ऑफ अंडरटेकिंग तो जारी कर दिए, लेकिन वो मुंबई स्थित पंजाब नेशनल बैंक के कोर सिस्टम में दर्ज नहीं हुआ। ऐसे में नीरव मोदी और उनके साथियों को पैसे तो मिल जाते थे, लेकिन वो खुद पंजाब नेशनल बैंक को पैसे देने की जिम्मेदारी से बच जाते थे।
जब बैंक ने अपनी जांच पूरी कर ली, तो सीबीआई को सूचना दी गई. पंजाब नेशनल बैंक के मैनेजिंग एडिटर सुनील मेहता के मुताबिक- ‘पूरा खेल 2011 में शुरू हुआ था। बैंक की ओर से इसे जनवरी 2018 में पकड़ा गया, जब नीरव की ओर से बैंक से फिर से लेटर जारी करने की बात कही गई थी। बैंक ने तीन-चार दिनों तक अपनी जांच की और फिर 29 जनवरी को सीबीआई से शिकायत की। 30 जनवरी की सीबीआई ने केस दर्ज कर लिया। इसके बाद बैंक ने अपने 10 अधिकारियों को निलंबित कर दिया।
एएनआई के मुताबिक-
नीरव मोदी की पत्नी अमेरिकी नागरिक हैं। उन्होंने 6 जनवरी, 2018 को ही भारत छोड़ दिया था। एक और आरोपी मुकुल चोकसी ने 4 जनवरी, 2018 को देश छोड़ दिया था। नीरव मोदी के भाई निश्चल मोदी बेल्जियम के नागरिक हैं। निश्चल मोदी ने 1 जनवरी, 2018 को ही भारत छोड़ दिया था। 31 जनवरी, 2018 को ही सीबीआई ने इन सबके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया था।
सीबीआई को इन सबकी तलाश रू280 करोड़ के मामले में थी। इस बीच बैंक और सीबीआई जांच कर रहे थे। पता चला किनीरव मोदी और उनके साथियों ने इसी तरीके से बैंक से अब तक करीब रू11,400 करोड़ निकाल लिए हैं। इससे संबंधित कोई रिकॉर्ड न होने की वजह से बैंक के अधिकारियों को पता भी नहीं चला कि बैंक से पैसे निकाले गए हैं। 14 फरवरी को बैंक की ओर से रू11,400 करोड़ के घोटाले का मामला दर्ज करवाया गया। 15 फरवरी को बैंक के सीनियर अधिकारी सामने आए। घोटाले पर उन्होंने बयान देते हुए कहा कि बैंक के अधिकारियों की मिलीभगत से 2011 से ही ये घोटाला चल रहा था।
कौन है नीरव मोदी ?
नीरव मोदी के पिता भी हीरे के व्यापार से जुड़े थे और वह दुनिया में हीरा व्यवसाय के केन्द्र के रूप में मशहूर बेल्जिमय के एंटवर्प शहर में धंधा करने चले गये थे। लेकिन नीरव मोदी को कुछ और की तलाश थी। वह मुंबई लौट गये और अपने मामा मेहुल चौकसी से इस बिजनेस की बारीकियां सीखीं। अमेरिका के मशहूर वार्टन स्कूल से बीच में ही पढ़ाई छोडऩे वाले नीरव मोदी अपनी डिजाइनिंग क्षमता को धार देने के लिए कई देशों में भटके, तब जाकर वह इस कौशल में निपुण हुए। इन्हें पहली कामयाबी तब मिली, जब 2010 में इनकी डिजाइन की गई गोलकोंडा हीरों का 12.29 कैरेट का एक नेकलेस 35.60 लाख डॉलर (लगभग रू16 करोड़) में बिका। इसके बाद तो इन्होंने फिर मुड़कर नहीं देखा। हालांकि, 2005 में ही नीरव मोदी अपनी कंपनी से सात गुणा बड़ी अमेरिकी कंपनी को खरीद चुके थे। नीरव मोदी अपनी कंपनी में सलाहकार के रूप में फेसबुक की कंट्री हेड कृतिका रेड्डी की सेवाएं ले चुके हैं।
1. फ्रॉड कैसे शुरू हुआ, किन सर्विसेस का इस्तेमाल हुआ?
- LCयानी लेटर ऑफ क्रेडिट: इसकी शुरुआत तब हुई जब डायमंड फर्म्स ने रफ स्टोन्स के एक्सपोर्ट के लिए लेटर ऑफ क्रेडिट (LC) के लिए पीएनबी से संपर्क करना शुरू किया। रुष्ट एक आम बैंकिंग टूल की तरह है, जिसकी शर्तों के मुताबिक, पीएनबी की नीरव मोदी की फर्म की तरफ से ओवरसीज सप्लायर्स को पेमेंट करना था। ये पेमेंट निश्चित अवधि जो कि 3 महीने की थी, उसके लिए किया गया। पीएनबी को ये पैसा इसके बाद नीरव मोदी से रिकवर करना था। मार्केट में ये भी सुविधा दी गई है कि अगर रुष्ट की अवधि खत्म होने तक क्लाइंट यानी नीरव मोदी पैसे वापस नहीं कर पा रहे हैं, तो उसे लौटा दिया जाए।
- फेक LoUs यानी लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग: धोखाधड़ी को लेटर्स ऑफ अंडरटेकिंग ( LoUs) के आधार पर अंजाम दिया गया, जिन्हें लोकल बैंक ने जारी किया। नीरव मोदी के केस में ये बैंक पीएनबी था। पीएनबी के इम्प्लॉईज ने फेक रुशह्य जारी किए जिनके आधार पर कुछ भारतीय बैंकों, जिनमें एक्सिस और इलाहाबाद बैंक शामिल थे, की विदेश शाखाओं ने पीएनबी को डॉलर में लोन दिया। ये रुशह्य पुराने समय की हुंडी की तरह है, जिसके जरिए गारंटी लेकर क्लाइंट को दूसरी जगहों पर बड़ी रकम हासिल करने की सुविधा दी जाती थी।
- NOSTRO Accounts: ये विदेश में बैंक का अकाउंट होता है। इस केस में ये बैंक पीएनबी था। पीएनबी को NOSTRO Accounts में ही इलाहाबाद और एक्सिस की फॉरेन ब्रांच ने फेक रुशह्य के आधार पर फॉरेन करंसी में लोन दिया। इसके बाद ये रकम NOSTRO Accounts से तय विदेशी पार्टियों के अकाउंट में ट्रांसफर की गई।
- SWIFT network: फर्जी रुशह्य के आधार पर पीएनबी के इम्प्लाईज ने इलाहाबाद और एक्सिस बैंक को फंड रिक्वायरमेंट का मैसेज भेजने के लिए SWIFT network का गलत इस्तेमाल किया। SWIFT का इस्तेमाल करने के लिए इम्प्लाई को नेटवर्क में लॉगइन करना होता है और अकाउंटर नंबर और स्विफ्ट कोड जैसी फील्ड में डिटेल भरनी होती है। इसे एक सुपरवाइजर अपना सपोर्ट देता है। ये प्रक्रिया तब पूरी होती है, जब बैंक डिटेल्स के कन्फर्मेशन और वैलिडेशन का मैसेज रिसीव करता है। क्योंकि, ये फ्रॉड SWIFT पासवर्ड का इस्तेमाल करके हुआ था इसलिए बैंक के कोर सिस्टम में ये कभी रिकॉर्ड नहीं हुआ। इसी के चलते पीएनबी का मैनेजमेंट लंबे अरसे तक अंधेरे में रहा।
2. सीबीआई ने केस कब दर्ज किया, अब तक जांच में क्या हुआ?
- ऑफिशियल्स ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को बताया, नीरव मोदी ने एक जनवरी को ही देश छोड़ दिया था, इसके काफी बाद सीबीआई के पास शिकायत पहुंची थी। सीबीआई ने नीरव मेदी के खिलाफ सर्कुलर जारी किया और 31 जनवरी को एफआईआर दर्ज की। सीबीआई ने 3-4 फरवरी को सर्च की और कम्प्यूटर्स सीज किए, जांच एजेंसी ने इसकी तस्वीरें भी लीं। सूरत और मुंबई में 20 जगहों पर सर्च हुई। पीएनबी ने सीबीआई को 150 फेक रुशह्य की लिस्ट सौंपी, जिसके जरिए नीरव मोदी से जुड़ी फर्म्स को पैसा ट्रांसफर किया गया।
- CBI ने कहा, हमने नीरव की वाइफ एमी मोदी के वर्ली (मुंबई) स्थित घर पर 3-4 फरवरी को छापा मारा। जरूरी बिल और एप्लीकेशन समेत 95 डॉक्युमेंट्स जब्त किए। इस मामले में पीएनबी ऑफिशियल्स से पूछताछ की गई है और एक को अरेस्ट भी किया गया है। 4 फरवरी को लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया।
- नई शिकायतों को एनालाइज किया जा रहा है, इसके बाद फैसला लिया जाएगा कि नई एफआईआर दर्ज की जाए या फिर रू280 करोड़ के फर्जी ट्रांजैक्शंस के केस को ही बढ़ाया जाए। इस केस में हांगकांग स्थित इलाहाबाद और एक्सिस बैंक की शाखाओं को रुशह्य जारी किए गए थे।
3. कहां कहां छापे मारे गए और क्या कदम उठाया गया?
- श्वष्ठ ने गुरुवार को हीरा कारोबारी नीरव मोदी और गीतांजलि जेम्स के 17 ठिकानों पर छापे मारकर मुंबई स्थित 6 प्रॉपर्टियां सील कर दीं। सर्च के दौरान रू5,100 करोड़ के स्टॉक्स, हीरे और सोने के जेवर जब्त किए गए हैं।
- इसके अलावा बैंक अकाउंट्स में पड़ी रू9 करोड़ की रकम और फिक्स्ड डिपॉजिट्स को भी फ्रीज कर दिया गया है। कुछ रिकॉर्ड्स की जांच फिर से की जा रही है। सीबीआई ने नीरव की पत्नी एमी के मुंबई स्थित घर पर 3-4 फरवरी को छापा मारा था।
4. इस फ्रॉड से बिजनेस पर क्या असर?
LIC और म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों के करीब रू1,700 करोड़ रुपए डूब गए हैं। LIC ने दिसंबर 2017 में पीएनबी में अपनी हिस्सेदारी 1.41% से बढ़ाकर 13.93% कर दी थी। क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट के तौर पर ली गई हिस्सेदारी के चलते LIC को रु1,120 करोड़ का झटका लगा। 42 म्युचुअल फंड कंपनियों की बैंक में 8.1% हिस्सेदारी है, उन्हें रू640 करोड़ का झटका लगा है।
5. फ्रॉड में किन कंपनियों का नाम?
- पीएनबी की शिकायत के मुताबिक, डायमंड का कारोबार करने वाली तीन कंपनियों डायमंड आर यूएस, सोलर एक्सपोर्ट्स और स्टेलर डायमंड्स ने 16 जनवरी को कॉन्टैक्ट किया। नीरव मोदी, उसकी पत्नी, भाई और बिजनेस सहयोगी इन कंपनियों में पार्टनर हैं। ये कंपनियां विदेशी सप्लायरों को भुगतान के लिए शॉर्ट टर्म क्रेडिट (कर्ज) चाहती थीं।
- बैंक अधिकारियों ने लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) देने से पहले 100% कैश मार्जिन मांगा। तीनों फर्मों ने कहा कि वे पहले भी यह सुविधा लेती रही हैं, हालांकि बैंक के रिकॉर्ड में ऐसा कहीं नहीं दिखा। मार्च 2010 से बैंक के फॉरेक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने मनोज खरात नाम के एक अन्य बैंक अधिकारी के साथ मिलकर इन कंपनियों को फर्जी तरीके से एलओयू दे दिया।
- वित्त मंत्रालय के फाइनेंशियल सर्विस डिपार्टमेंट के सेक्रेटरी राजीव कुमार ने बताया कि यह मामला मशहूर डायमंड ज्वेलर नीरव मोदी और गीतांजलि जेम्स से जुड़ा है। एक बैंक अधिकारी ने बताया कि गिनी और नक्षत्र जैसी दूसरी बड़ी ज्वेलरी कंपनियों के लेनदेन की भी जांच की जा रही है।
- पीएनबी एमडी सुनील मेहता ने कहा, गड़बड़ी ज्यादातर भारतीय बैंकों की फॉरेन ब्रांचों की वजह से हुई।
6. धोखाधड़ी की रकम की पीएनबी के लिए क्या अहमियत?
- धोखाधड़ी की रकम 2016-17 में बैंक के रू1,325 करोड़ के मुनाफे का 8 गुना, बैंक के रु35,365 करोड़ के मार्केट कैप का एक तिहाई और रू5 लाख करोड़ के कुल कर्ज का 2.5% है।
- बुधवार को बीएसई में पीएनबी के शेयरों में 8% की गिरावट आई। इसके इन्वेस्टर्स को करीब रू3,800 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। पीएनबी देश का दूसरा सबसे बड़ा सरकारी बैंक है।
7. किस लेवल के अफसर शामिल हैं?
- वित्त मंत्रालय के अफसरों के मुताबिक यह धोखाधड़ी 2011 से चल रही थी। इसमें डिप्टी जनरल मैनेजर (डीजीएम) स्तर तक के अधिकारी शामिल थे। मंत्रालय ने इस मामले से जुड़े सभी बैंकों से तीन दिनों में रिपोर्ट मांगी है।
- इससे पहले 5 फरवरी को सीबीआई ने नीरव, उसकी पत्नी एमी, भाई निशाल और बिजनेस पार्टनर मेहुल चीनूभाई चौकसी के खिलाफ केस दर्ज किया था।
8. बैंक कर्मचारियों के खिलाफ क्या एक्शन लेगा?
पीएनबी के एमडी ने कहा, हमने माना है कि हमारे कर्मचारियों ने सिस्टम से धोखा किया है। इसलिए उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया है। आप ये तय मानिए कि कोई भी कितना भी बड़ा क्यों ना हो, हम किसी को छोडऩे वाले नहीं हैं। ये हमारी साख का सवाल है। हमने एफआईआर दर्ज की हैं। आरोपी ग्रुपों के खिलाफ रेड चल रही हैं।
9. चूक क्यों, क्या ये एनपीए है?
प्रकाश बियाणी ने कहा, इस फ्रॉड से एनपीए से कोई लेना-देना नहीं है। यह बैंक स्टाफ के साथ साठगांठ करके धोखाधड़ी हुई है। वैसे ही जैसे बैंक स्टाफ की मदद से किसी के खाते से पैसा निकाल लेना। इसमें बैंक स्टाफ ने सिस्टम का पालन नहीं किया। जिन्हें लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करने का पावर नहीं था, उन्होंने जारी कर दी और ये रिकॉर्ड में भी नहीं है।
10. नीरव मोदी के ब्रांड से कौन सी सेलिब्रिटीज जुड़ी है?
- नीरव मोदी के ब्रांड से हॉलीवुड एक्ट्रेस केट विंसलेट, ताराजी हेन्सन, कार्ली क्लॉस और वायोला डेविस और प्रियंका चोपड़ा, अनुष्का शर्मा जैसी एक्ट्रेस और मॉडल्स ऑस्कर जैसे समारोह में पहन चुकी हैं।
- इनमें कई नीरव की ब्रांड एम्बेसडर भी रही हैं। दुनिया के डायमंड कैपिटल एंटवर्प में जन्मे नीरव नीरव मोदी ब्रांड नाम से प्रोडक्ट बेचते हैं। नीरव की नेटवर्थ रु11,500 करोड़ है।
आरबीआई एवं वित्त मंत्रालय को इसमें फौरन कदम उठाने चाहिये। दोषियों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही की जानी चाहिये तथा बैंकिंग प्रणाली में जहां भी छेद हैं उस पर डाट लगानी चाहिये ताकि लोगों का भरोसा भारतीय अर्थ व्यवस्था में तथा बैंकिंग सिस्टम में कायम रहे। साथ ही क्या यह सरकार, regulatory authority की नाकामी नहीं है जो यह फर्जीबाड़ा सालो साल चलता रहा व इन्हे आसानी से देश छोड़ने का अवसर भी मिल गयाI जरा सोचिए, फैसला आप खुद कीजिये!