
सेल्स टैक्स व इन्कम टैक्स डिपार्टमेन्ट को रोजाना अरबों का चूना
हमारे संवाददाताओं ने विभिन्न शहरों का दौरा कर पाया कि किस तरह टैक्स माफिया प्रमुख व्यापारिक केन्द्रों पर अपना कब्जा जमा चुका है। इस टैक्स माफिया ने इन्कम टैक्स व सेल्स टैक्स डिपार्टमेन्ट के बडे-2 अफसरों को अपने शिकंजें में ले रखा है जिनकी सिर परस्ती में ये सारा गोरखधन्धा पनप व फल फूल रहा है। आज देश के सभी प्रमुख बाजारों में अधिकतर व्यापार ‘कच्ची पर्ची’ या ‘कबूतर’ (फर्जी बिल) के द्वारा होता है। माल धडल्ले से कच्ची पर्ची पर ही ट्रासर्पोट डिपार्टमेन्ट व सेल्स टैक्स डिपार्टमेन्ट के अधिकारियों की मिलिभगत से बार्डर पार होता है। जिससे देश के सेल्स टैक्स व इन्कम टैक्स डिपार्टमेन्ट को रोजाना अरबों का चूना लगता है।
बिना बिल या कच्ची पर्ची के करोबार या लेन देन को ‘ग्रे मार्किट’ कहा जाता है। यह शब्द बाजार में आम तौर पर प्रयोग किया जाता है। अगर आपको मोबाईल्स, कार स्टीरियों या और कोई विदेशी इलैक्ट्रोनिक सामान खरीदना है तो आपको वही सामान ग्रे मार्किट में आधी कीमत में मिल जाएगा। ये सभी खरीद फरोख्त खुले आम बिना किसी डर भय व कानून की परवाह किये बिना हो रही है और सरकार इस ओर आँखें मूंदे है- आखिर क्यों?
इस Corruption की भट्टी में कोन झुलस व पिस रहा है- आम आदमी व ईमानदारी से टैक्स भरने वाले नौकरी पेशे। काले धन के इस बेलगाम प्रचलन से अमीर और अधिक अमीर हो रहा है और गरीब और अधिक गरीब हो रहा है। जिसका परिणाम यह हो रहा है कि आम आदमी पैसा कमाने की होड़ में कानून तोडता है और जुर्म से अपना नाता जोड बैठता है। विभिन्न समयों पर लाई गई VDIS (Voluntary Disclosure of Income Scheme) जिसमें टैक्स चोरी करने वालों को प्उउनदपजल प्रदान की जाती है, जो हमारी सडी गली व्यवस्था का जीता जागता उदाहरण है।
जनता त्राहि-त्राहि कर रही है और वित्त मंत्री जी, उनके अधिकारी व सिपहसालार वातानुकुलित कमरों में बैठे भारत को विकसित देशों की श्रेणी में लाने की योजना बना रहे है। जहाॅं हमारा बुनियादी ढाॅचा ही चकनाचूर हो चुका है,
उस ढाॅंचे पर सवार होकर क्या हम अपने को विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा कर सकते हैं- जरा सोचिये ! ये कुछ भ्रष्ट अधिकारियों, व्यापारियों व टैक्स माफिया द्वारा देश की अर्थ व्यवस्था को फेल करने को एक सोची समझी साजिश है और सरकार सो रही है – कारण क्या है ?
हमारे संवाददाताओं ने समाज के विभिन्न वर्गों से इस धांधली को रोकने के उपाय व सुझाव मांगे। जो सुझाव हमें प्राप्त हुए इससे इस गोरख धन्धे पर लगाम लगाने में मदद मिल सकती है।
सुझाव नं. 1 इलाके के टैक्स इंस्पेक्टर की जवावदेही होनी चाहिए जिनके एरिया में कच्ची
पर्ची या ‘ग्रे मार्किट’ सिस्टम से कारोबार हो रहा है।
सुझाव नं. 2 सामाजिक संस्थाओं व सरकार के सहयोग से इस प्रकार की गतिविधियों को रोकने के लिए एक मुहिम चलानी चाहिए।
सुझाव नं. 3 जो व्यापारी इस प्रकार की गतिविधियों में लिप्त हों उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही हो ताकि लोग ऐसा करने से डरें।
आज का बड़ा सवाल यह है कि क्यों सरकार उचित कार्यवाही कर दोषियों को दण्डित नहीं
करती जबकि यह सब कुछ खुले आम सबकी आॅंखों के सामने हो रहा है। इसमें किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है। किसी भी थोक बाजार में आम व्यापारी बिना बिल के कच्ची पर्ची पर माल खरीदता बेचता मिल जाएगा। ये सारी चीजें कुछ बुनियादी सवाल उठाती हैंः-
- क्या हमारी अफसरशाही इतनी भ्रष्ट व ताकतवर हो गई है कि सरकार चाह कर भी कोई कदम नहीं उठा पा रही है?
- क्या राजनीतिक पार्टियाॅं ऐसे व्यापारियों को संरक्षण प्रदान करती हैं जो टैक्स की चोरी करते हैं क्योंकि ऐसे व्यापारी ही चंदे के रूप में इन राजनीतिक पार्टियों की थैलियाॅं भरते हैं?
- या हमारे पूरे तंत्र में ही कुछ बुनियादी खामियाॅं हैं?
स्टेशनरी, हार्डवेयर, बिल्डिंग मैटिरियल, कंफैक्शनरी, दवाई आदि किसी भी दुकान पर चले जाइए, बिना कैश मैमा (Cash Memo) के माल बेचा जा रहा है। ग्राहक लुट रहा है क्योंकि बिना कैस मिमो के माल की कोई गारंटी नहीं है। सरकारी विभाग कभी कभार रेड डाल कर अपनी मुसतैदी का नमूना जनता के सामने रखते है।
फैक्ट्री मालिक एवं दुकानदार अपने करोबार से संबंधित विभाग के अधिकारियों की सुविधाओं का पूरा ख्याल रखतें हैं। दिवाली आदि त्यौहारों पर अफसरों के यहाॅं बड़े-2 गिफ्ट पहुॅंचाना उनकी नियति बन गई है। एक फैक्ट्री मालिक की फैक्ट्री हब बन्द हो गई है। वह सज्जन हर दिवाली पर एक हफ्ते तक गाडी में गिफ्ट भरकर इंकम टैक्स, सेल्स टैक्स, बैंक आफिसर, एक्साईज एण्ड कस्टम्स आफिसरस्, वेट एण्ड मेजरमेन्ट डिपार्टमेन्ट के अफसरों के यहाॅं गिफ्ट पहुंचाता था । पूछने पर वह कहता था कि सब जान पहचान के लोगों के पास जाकर सलाम दुआ करनी पड़ती है। वर्ना काम कैसे चलेगा। अब उसकी फेक्ट्री बन्द हो चुकी है। अब वे कुछ मित्रों से ही मिलने जाता है। अब वो जान पहचान के लोग कहां गये। मतलब साफ है !
नाम न छापने के वादे पर एक फैक्ट्री मालिक ने बताया कि अब विभिन्न महकमों के अधिकारी स्वीटस ले जाने पर हिकरत की नजर से देखते हैं। उन्हें अब इलैक्ट्रोनिक्स सामान, सोने चांदी की चीजे, सुरा सुन्दरी, ज्यादा पसन्द है। यह अधिकारी कैश के अतिरिक्त हवाई जहाज के टिकट, बडे-2 होटलों के कमरों व वहाॅं खाने के बिल के पेमेन्टस की फरमाईश करते हैं।
आज आम आदमी इतना असहाय है कि बिना पर्ची के माल लेना उसकी मजबूरी है। बहुत से दुकानदार बिल देने से मना कर देते है। क्योंकि वह खुद बिल से माल नहीं खरीदते। अगर रकम देता है।
उनकी शिकायत की जाए तो अधिकारी सबूत मांगता है क्योंकि उसे मामले को दबाना है। शिकायतकर्ता से उसे कुछ नहीं मिलता और दुकानदार उसे केस दबाने के लिए अच्छी खासी रकम देता है।
हमारे संवाददाता ने बहुत से छोटे एवं मंझोले उद्योग निर्माताओं से बात की उनका कहना है कि दुकानदार बिल पर्चें से हमारा माल लेने के लिए तैयार नहीं। वह कहते है कि माल दे जाओ कच्ची पर्ची पर। नम्बर 2 में पैसे लेते रहो। छोटे फैक्ट्री मालिकों का कहना है कि हम इस चक्रव्यूह में फंसे हैं कि एक तो उधार माल दें और दूसरी तरफ घूंस में दिए गए पैसे को किताबों में कहां दिखाए। नमबर 2 की सेल में ग्राहक बुरी तरह पिस रहा है। पर्ची के इस करोबार में न केवल व्यापारी वरन् वस्तु निर्माता, दुकानदार, ट्रांसपोर्टर, रेलवे, सेल्स – टैक्स, इन्कम टैक्स डिर्पाटमेन्ट व बड़े-2 कानूनी दिमाग सहयोग दे रहे हैं। सरकार भ्रष्ट्राचार पर लगाम लगाने की बात कहती है लेकिन क्या सरकारी अधिकारी इस गोरखधन्धे को नहीं जानते। वे भी अपने परिवारों के साथ विभिन्न दुकानों पर जाते हैं तो क्यों नहीं कच्ची पर्ची का सिलसिला रूकता। अगर कच्ची पर्ची पर सरकार अंकुश लगा दे तो काले धन की उत्पत्ति पर रोक लगेगी। सरकार का राजस्व बढ़ेगा। हमारे देश में लोग टैªफिक नियमों का पालन करने में उदासीन थे। लेकिन जब कोर्ट ने इन नियमों का पालन कराने के लिए संबंधित विभाग को कड़े निर्देश दिए और साधारण चालान 100 की जगह 600 कर दिया तो अब इसका असर धीरे-2 ट्रैफिक नियमों के पालन में दिखाई देने लगा है।
आम आदमी की यही राय है कि नये कर लगाने की बजाय वित्त मंत्रालय कच्ची पर्ची सिस्टम के खिलाफ एक मुहीम चलाये कानून तोडने वालों पर हैवी पेनल्टी लगाये। नियमों का कडाई से पालन कराये। भ्रष्ट अधिकारियों को दण्डित करे। हमारे न्यायपालिका आज काफी सक्रिय हो गई है। अगर कोर्ट एरिया इंस्पेक्टर (सेल्सटैक्स एवं इंकमटैक्स) की जवाबदेही सुनिश्चित करें तो न केवल खोरख धन्धे पर काबू पाया जा सकता है बल्कि सरकार का राजस्व भी बढेगा। मीडिया भी इस गोरखधन्धे को रोकने में एक अहम भूमिका अदा कर सकता है साथ ही आम जन को भी जागरूक होना चाहिए और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज बुलन्द करनी चाहिए इसके लिए जिम्मेवार हम सब हैं।