
गोलमाल है भई सब गोलमाल है।
Department कुम्भकरण से भी गहरी नींद में सोता है और सिर्फ पैसा उगाही के लिये ही उठता है
संबंधित अधिकारी अपनी Power एवं Position को abuse एवं misuse अपनी जेबें भरने के लिए करते हैं। कानून का उल्लंघन करने वालो को
सजा दिलवाने के लिए नही। BNT की टीम को लगभग छह महिने की मेहनत के बाद जो पुख्ता जानकारी व सबूत हाथ लगे वे drug control, sales tax अधिकारियों और pharma raw material traders की सांठ गांठ की पोल खोलते है।… एक नंगा सच … । A naked Truth…
आज हम आपको बताएगें कि किस तरह चंद रूपयों के लालच में अधिकारी इंसानी जिन्दगी से खेल रहे है। सुनकर कुछ अटपटा जरूर लगता है लेकिन ये सच है। दवाईयाँ जो इंसानी जिन्दगी बचाती है, लेकिन अगर उनकी गुणवत्ता सही नहीं हो तो वो इंसानी जिन्दगी ले भी सकती हैं। अब सवाल ये पैदा होता है, कि जो फाॅर्मा राॅ मैटिरीयल दिल्ली के भागीरथ पैलेस में खरीद फरोख्त हो रहा है उसकी गुणवत्ता की क्या गारंटी है। भागीरथ पैलेस फार्मा राॅ मैटिरीयल की देश की सबसे बड़ी मन्डी है। यहाँ रोज अरबों का कारोबार होता है। लेकिन 90 प्रतिशत कारोबार होता है कच्ची पर्ची पर। जो व्यापारी 15 प्रतिशत से 20 प्रतिशत कारोबार White में यानी Bill पर करता है, उसे इस बाजार में बड़ी सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। आप ही सोचिए की जिस कारोबार की बुनियाद ही कच्ची पर्ची पर हो वहाँ पर संबंधित अधिकारी कैसे मैटिरियल की गुणवत्ता पर Check एवं Control रखेगें। फार्मा राॅ मैटिरीयल बड़ी बड़ी पैकिगस् में आता है और भागीरथ में बैठें व्यापारी उसे छोटी पैकिगस् में बना कर उन पर Computerized Label लगाकर या तो गाडी की डिग्गीयों में transport करते हैं या फिर भागीरथ पैलेस में ऐसे विश्वसनीय transporter मौजूद हैं जो कच्ची पर्ची पर माल destination तक पहुचाते है। इसका यहाँ पूरा नेटवर्क बना हुआ है। ये नेटवर्क इतना मजबूत एवं पुख्ता है जुबानी जमा खर्च पर ही अरबों का कारोबार होता है।
Drug Control Deptt. के अधिकारी अपने कत्र्तव्यों की जानबूझ कर अनदेखी करते हैं। हालात यहां तक खराब है कि उन्हीं की देख रेख में चलता है दवाईयों का गोलमाल। Drug & Cosmetics Act, 1940 ंand Rules framed there under में खास तौर पर प्रावधन है कि सभी दवाई निर्माता,wholesaler, retailers, traders & dealers सभी चीजों की खरीद फरोख्त का true & fair Record रखेगें लेकिन किसी भी chemist, wholesaler या trader के पास चले जाईए, ना तो वो सारा माल बिल पर खरीदते हैं और ना ही सारा माल बिल पर बेचते हैं। और अगर बिना बिल के कच्ची पर्ची पर कारोबार चल रहा है तो उस माल की quality की क्या गारंटी है? यह एक बड़ा सवाल है। क्या यह आम आदमी की जिन्दगी के साथ खिलवाड नहीं है? अगर यह पैसे के लिए जिन्दगी का सौदा नहीं तो और क्या है।
हमने पत्रा लिखकर Delhi Drug Control Department को इस सच्चाई से रू-ब-रू कराया लेकिन इससे ज्यादा चैंकाने वाली बात नहीं हो सकती कि Drug Control Department के अफसरान ने उन सपफेदपोश कारोबारियों पर जो कच्ची पर्ची पर धंधा कर इन्सानी जिन्दगियों से खेल रहें हैं, के विरूध कार्यवाही करने की बजाय उनको सचेत कर दिया। इस बात की हमारे पास पुख्ता जानकारी है।
BNT की टीम ने जब Pharma Raw Material की देश की सबसे बडी मन्डी भागीरथ पैलेस का दौरा किया तो पाया कि Pharma Raw Material का ज्यादातर trade कुछ सीमित traders तक ही सीमित है। वो बडी packings में Pharma Raw Material खरीदते हैं और medicine manufaturers को छोटी packings में computer label लगाकर कच्ची पर्ची पर बेच देते हैं। इस तरह जो व्यापार हो रहा है उसे OGL कहते हैं। यह सब जानते हैं। सबसे चैंकाने वाली बात यह है कि यह सारा गोरखधंधा Drug Control Department के अपफसरान के संरक्षण में हो रहा है।