आर्थिक नरमी और स्थानीय स्तर पर ऊंची कीमतों की वजह से भारत की सोने की मांग 2019 में 9 प्रतिशत घटकर 690.4 टन पर आ गई है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) ने बृहस्पतिवार को अपनी रपट में यह बात कही। हालांकि, भारत में सोने की मांग 2020 में बढ़कर 700-800 टन तक रह सकती है। आर्थिक सुधारों से उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ने और लोगों के ऊंची कीमतों को स्वीकार कर लेने से सोने की मांग में तेजी आने की संभावना है। डब्ल्यूजीसी ने अपनी हालिया रपट में कहा कि स्थानीय बाजार में, 2019 के अंत में सोने का भाव 39,000 रुपये प्रति दस ग्राम से ऊपर रहा। यह 2018 की तुलना में करीब 24 प्रतिशत अधिक है। विश्व स्वर्ण परिषद (डब्ल्यूजीसी) भारत के प्रबंध निदेशक सोमसुंदरम पीआर ने पीटीआई-भाषा को बताया, “नीतिगत उपायों, आर्थिक वृद्धि में व्यापक तेजी आने और लोगों के सोने की बढ़ी कीमतों को स्वीकार कर लेने के बाद 2020 में सोने की मांग 700-800 टन के दायरे में रहेगी।” उन्होंने कहा कि डब्ल्यूजीसी को उम्मीद है कि इस साल उद्योग को ज्यादा पारदर्शी और संगठित करने के लिए नीति आधारित और उद्योग आधारित पहल की जाएगी। सुंदरम ने कहा, “सरकार ने 15 जनवरी 2020 को सोने की हॉलमार्किंग को अनिवार्य कर दिया है। कारोबारियों को मौजूदा बिना हॉलमार्क वाली ज्वैलरी बेचने या बदलने के लिए एक साल का समय दिया गया है। यह भारतीय सोने को और विश्वसनीय बनाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।” परिषद ने कहा कि भारत में सोने की मांग 2018 में 760.4 टन से गिरकर 2019 में 690.4 टन पर रह गई। इसमें आभूषणों की मांग 598 टन से घटकर 544.6 टन जबकि बिस्कुट एवं सिक्कों की मांग 162.4 टन से कम होकर 145.8 टन रही। हालांकि, मूल्य के आधार पर सोने की मांग तीन प्रतिशत बढ़कर 2,17,770 करोड़ रुपये रही, जो 2018 में 2,11,860 करोड़ रुपये थी। परिषद ने कहा कि भारत का सोना आयात 2019 में 14 प्रतिशत गिरकर 646.8 टन रह गया। 2018 में यह 755.7 टन पर था। सोमसुंदरम ने कहा, “2019 में स्थानीय स्तर पर मांग गिरने और पुनर्चक्रित (रीसाइकिल) सोने में वृद्धि से आयात में गिरावट आई है। पुनर्चक्रित सोना 37 बढ़कर 119 टन हो गया।” उन्होंने कहा, “हमारा मानना है कि इस साल मांग में जितनी तेजी आएगी उतनी आयात में नहीं आएगी, लेकिन इस समय सोने पर सीमाशुल्क को 12.5 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करने की उम्मीद की जा रही है।”