
बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ और इसके भारतीय व्यवसाय पर पड़ने वाले प्रभाव की आशंकाओं के बीच केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल इस सप्ताह निर्यातकों से मुलाकात कर सकते हैं।
इंडस्ट्री से जुड़े सूत्रों के अनुसार, यह बैठक बुधवार को हो सकती है, जिसमें मंत्रालय के अधिकारी और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (एफआईईओ) और निर्यात संवर्धन परिषदों (एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल) के प्रतिनिधियों के अलावा अन्य उद्योग हितधारक शामिल हो सकते हैं।
अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय उत्पादों पर 27 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा के बाद विशेष रूप से एमएसएमई से जुड़े निर्यातक अपने व्यापार पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर चिंतित हैं और वो इससे निपटने के लिए कुछ राजकोषीय प्रोत्साहन की मांग कर रहे हैं।
इंडियन फार्मास्युटिकल एक्सपोर्टर्स के साथ भी वाणिज्य मंत्रालय लगातार बातचीत कर रहा है। दरअसल, इस क्षेत्र पर संभावित अमेरिकी टैरिफ को लेकर चिंताएं बढ़ रही हैं, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ की पहली किस्त में छूट दी गई थी।
हालांकि मार्जिनल टैरिफ से बहुत अधिक असर नहीं पड़ सकता, लेकिन भारी शुल्क निर्माताओं के प्रॉफिट मार्जिन को नुकसान पहुंचा सकता है।
भारत ने वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका को 8 बिलियन डॉलर के फार्मा उत्पाद निर्यात किए। भारत, अमेरिका में खपत होने वाली जेनेरिक दवाओं का 40 प्रतिशत आपूर्ति करता है।
वित्त वर्ष 2023 से अमेरिका को भारत का निर्यात घट रहा है, कुल निर्यात में इसकी हिस्सेदारी लगभग 17-18 प्रतिशत है।
एसबीआई रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका को निर्यात की जाने वाली शीर्ष 15 वस्तुओं का कुल निर्यात में 63 प्रतिशत हिस्सा है।
इसमें कहा गया है कि वैश्विक विकास में समग्र मंदी और टैरिफ में दुनिया भर में बढ़ोतरी के कारण वैश्विक वित्तीय अस्थिरता बढ़ने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव अधिक पड़ेगा।
साथ ही, भारत पर लगाए गए टैरिफ अपने एशियाई देशों में सबसे कम हैं, जबकि चीन पर 34 प्रतिशत, थाईलैंड पर 36 प्रतिशत, इंडोनेशिया पर 32 प्रतिशत और वियतनाम पर 46 प्रतिशत हैं।
एसबीआई की रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे भारत को इन देशों पर तुलनात्मक लाभ मिलने की उम्मीद है और इसके परिणामस्वरूप लंबी अवधि में कुछ क्षेत्रों में निर्यात में वृद्धि होगी।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (पीएचडीसीसीआई) ने कहा है कि भारत की मूल्य प्रतिस्पर्धा और सहायक सरकारी नीतियों के कारण, उसे उम्मीद है कि हाल ही में घोषित अमेरिकी रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण जीडीपी पर केवल 0.1 प्रतिशत का मामूली प्रभाव पड़ेगा।