BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   सोमवार, 21 अप्रैल 2025 05:32 PM
  • 39.09°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. दुनिया उन्हें करुणा, विनम्रता के लिए रखेगी याद : पोप फ्रांसिस के निधन पर पीएम मोदी
  2. पोप फ्रांसिस का निधन, 88 वर्ष की उम्र में ली अंतिम सांस
  3. इमरान मसूद ने राहुल के अमेरिका में दिए बयान का किया समर्थन, बोले- ईसीआई को लेकर जो कहा वो सच
  4. आम आदमी पार्टी मेयर चुनाव में नहीं उतारेगी उम्मीदवार, भाजपा के लिए रास्ता खुला
  5. विदेशी में जाकर भारतीय संस्थाओं का अपमान राहुल गांधी की पहचान बन गया है : शहजाद पूनावाला
  6. भारत पहुंचे अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस, एयरपोर्ट पर दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर
  7. अहमदाबाद में खुद को वक्फ ट्रस्टी बताकर किराया वसूली का पर्दाफाश, पांच लोग गिरफ्तार
  8. आईपीएल 2025 : रोहित व सूर्या की शानदार बल्लेबाजी, मुंबई ने सीएसके को नौ विकेट से हराया
  9. आईपीएल 2025 : आरसीबी से हार के बाद पोंटिंग ने कहा, हमने अच्छी बल्लेबाजी नहीं की
  10. एनडीए से अलग होने पर पशुपति कुमार पारस बोले, ‘लोकसभा चुनाव में हमारे सांसदों का टिकट कटा, तो बहुत बुरा लगा था’
  11. भाजपा की पूरी सरकार ही प्रोपेगेंडा पर चल रही : अखिलेश यादव
  12. बिहार को ‘डबल इंजन’ नहीं, एक ही ‘पावरफुल इंजन’ की जरूरत : मल्लिकार्जुन खड़गे
  13. अदालत पर टीका-टिप्पणी ठीक नहीं, यह नहीं होना चाहिए : तेजस्वी यादव
  14. रामबन में बादल फटने से तबाही : सीएम उमर अब्दुल्ला ने जताया दुख, राहत और बचाव कार्य तेज करने के दिए निर्देश
  15. खड़गे के बिहार दौरे को आरजेडी प्रवक्ता मृत्यंजय तिवारी ने बताया ‘चुनावी रणनीति’

सीजेआई ने वाणिज्यिक विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता की प्रमुखता पर जोर दिया

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 21 मार्च 2022, 1:23 PM IST
सीजेआई ने वाणिज्यिक विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता की प्रमुखता पर जोर दिया
Read Time:5 Minute, 43 Second

सीजेआई ने वाणिज्यिक विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता की प्रमुखता पर जोर दिया

नई दिल्ली, 21 मार्च (बीएनटी न्यूज़)| भारत के प्रधान न्यायाधीश एन.वी. रमण ने शनिवार को कहा कि मध्यस्थता विवाद समाधान तंत्र के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक क्षेत्र में तेजी से प्रमुखता हासिल कर रही है। सीजेआई ने प्रसिद्ध लेखक आर.एल. स्टीवेंसन का हवाला देते हुए कहा, “समझौता सबसे अच्छा और सस्ता वकील है।”

दुबई में ‘वैश्वीकरण के युग में मध्यस्थता’ पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के चौथे संस्करण में भाग लेते हुए रमण ने कहा, “निजी मध्यस्थता, जो मुकदमेबाजी के पूर्व चरण में होती है, देश में अधिक प्रचलित हो रही है। अधिकांश वाणिज्यिक अनुबंधों में मध्यस्थता खंड में एक बहु-स्तरीय दृष्टिकोण होता है, जहां पार्टियों के बीच विवाद को हल करने का पहला प्रयास मध्यस्थता या बातचीत के जरिए होता है।

उन्होंने कहा, “मैं जहां भी यात्रा करता हूं, मुझसे अक्सर पूछा जाता है कि भारतीय न्यायिक प्रणाली निवेशकों के लिए कितनी अनुकूल है। मेरा जवाब हमेशा एक ही होता है : आप भारतीय न्यायपालिका पर उसकी पूर्ण स्वतंत्रता और सभी पक्षों के साथ समान व्यवहार करने के लिए निहित संवैधानिक ताकत पर भरोसा कर सकते हैं।”

अपने वास्तविक अर्थो में वैश्वीकरण को प्राप्त करने के लिए एक पूर्वापेक्षा कानून के शासन के लिए सार्वभौमिक सम्मान सुनिश्चित करना है। वैश्वीकृत दुनिया में विश्वास केवल कानून के शासन पर जोर देने वाली संस्थाओं का निर्माण करके ही बनाया जा सकता है।

सीजेआई ने आगे कहा कि कानून का शासन और मध्यस्थता एक-दूसरे के विरोध में नहीं हैं।

उन्होंने कहा, “मध्यस्थता और न्यायिक निर्णय दोनों का उद्देश्य एक ही लक्ष्य की सेवा करना है और वह है – न्याय की खोज। भारतीय अदालतें अपने समर्थक मध्यस्थता रुख के लिए जानी जाती हैं। अदालतें मध्यस्थता की सहायता और समर्थन करती हैं और निर्णय के वास्तविक हिस्से को मध्यस्थ न्यायाधिकरण पर छोड़ देती हैं।

उन्होंने कहा, “भारत में आधुनिक मध्यस्थता कानून का पता 18वीं और 19वीं सदी से लगाया जा सकता है, बंगाल विनियमन अधिनियम और मद्रास विनियमन अधिनियम जैसे कानून, जहां विवाद के पक्षकार स्वयं को एक मध्यस्थ के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं। 1940 में पहली बार हमने एक अखिल भारतीय मध्यस्थता अधिनियम बनाया।”

उन्होंने कहा कि 1985 में बढ़ते सीमा पार लेनदेन और उससे उत्पन्न होने वाले विवादों को ध्यान में रखते हुए यूएनसीआईटीआरएएल ने अंतर्राष्ट्रीय वाणिज्यिक मध्यस्थता पर एक मॉडल कानून बनाया।

सीजेआई ने कहा, “भारत में आर्थिक उदारीकरण के साथ अपने वाणिज्यिक विवादों को हल करने के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय, दोनों पक्षों को एक व्यवहार्य विकल्प देने की जरूरत महसूस की गई। मध्यस्थता और सुलह अधिनियम, 1996 को आशा के साथ मॉडल कानून के अनुरूप अधिनियमित किया गया था।”

उन्होंने कहा, “भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री, पी.वी. नरसिम्हा राव ने 26 साल पहले नई दिल्ली में वैकल्पिक विवाद समाधान पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान जो कहा था, मैं उसे उद्धृत करता हूं, “किसी भी लोकतंत्र को विवाद हल करने के लिए पर्याप्त और प्रभावी साधन उपलब्ध कराने चाहिए। उचित कीमत पर समाधान होना चाहिए, अन्यथा कानून का शासन एक अभिमान बन जाता है और लोग कानून को अपने हाथों में ले सकते हैं, जिससे शांति, व्यवस्था और सुशासन बाधित हो सकता है। व्यापार और वाणिज्य के सुचारु कामकाज को सुरक्षित करने के लिए प्रभावी विवाद समाधान भी जरूरी है।”

उन्होंने कहा कि मध्यस्थता प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बनाने और इसे मध्यस्थता पर अंतर्राष्ट्रीय कानून के बराबर लाने के लिए मध्यस्थता और सुलह अधिनियम 1996 को 2015 में, 2019 में और 2021 में संशोधित किया गया था।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *