
त्रुटियों में कमी के लिए डायगराइट का ध्यान डायग्नोस्टिक प्रोसेस में अंतिम मील कनेक्टिविटी पर
मुंबई, 01 दिसंबर (बीएनटी न्यूज़)| भारतीय डायग्नोस्टिक्स उद्योग पिछले कुछ वर्षो में तेजी से विकसित हो रही है, जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के महत्वपूर्ण घटकों में से एक साबित हुई है, क्योंकि बीमारियों के सटीक निदान और सही उपचार के लिए चिकित्सकीय पेशेवर डायग्नोस्टिक स्टेटमेंट पर ही निर्भर होते हैं। हजारों प्रयोगशालाओं और लाखों लैब तकनीशियनों की मौजूदगी के बावजूद उद्योग उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने में विफल रहता है, क्योंकि पारिस्थितिकी तंत्र अत्यधिक असंगठित और खंडित है। एनसीबीआई (नेशनल सेंटर ऑफ बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन) के अनुसार, भारत में किए गए कुल लैब टेस्ट में से 61.9 फीसदी गलत थे। इसमें पूर्व-विश्लेषणात्मक त्रुटियों और प्रयोगशालाओं में नमूना परीक्षण के लिए नमूना संग्रह से जुड़ी तार्किक चुनौतियों का प्रमुख योगदान है।
विश्लेषणात्मक त्रुटियों, अंतिम मील वितरण और नमूनों के मूल्यांकन के संबंध में मुद्दों को हल करने के लिए गुड़गांव स्थित स्वास्थ्य तकनीक स्टार्टअप डायगराइट बाजार में प्रवेश कर रही है और अपनी तरह के पहले हाइपरलोकल मॉडल के साथ नैदानिक उद्योग में नवाचार ला रही है।
वर्ष 2020 में स्थापित डायगराइट की परिकल्पना लास्ट माइल डिलीवरी को मानकीकृत करने और पूर्व-विश्लेषणात्मक त्रुटियों के दायरे को कम करने के लिए की गई है, डायगराइट अपने संचालन के एक वर्ष के भीतर एक चेंजमेकर बनने में सफल रही है।
सह-संस्थापक और सीईओ असीतरंजन विश्वभूषण स्पष्ट रूप से कहते हैं कि चिकित्सा परीक्षणों की मांग बहुत बड़ी है, जबकि नैदानिक पारिस्थितिकी तंत्र में चुनौती बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि नैदानिक परीक्षणों की भारी मांग के बावजूद प्रशिक्षित तकनीशियनों की कमी है और यह प्रक्रिया काफी हद तक गैर-मानकीकृत और असंरचित है। इस प्रकार, डायगराइट भारत के नागरिकों के लिए नैदानिक अधिकारों के बारे में जागरूकता पैदा करने वाला सबसे आशाजनक स्वास्थ्य-तकनीक स्टार्टअप होने का दावा करती है।
आपूर्ति और मांग में अंतर को पाटने के लिए डायगराइट नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड ऑफ टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लेबोरेटरीज (एनएबीएल) इंडिया के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन कर रही है और प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ फ्लेबोटोमिस्ट की अंतिम मील कनेक्टिविटी का मानकीकरण कर रही है। निदान प्रक्रिया में त्रुटियों को कम करने के लिए डॉक्टरों द्वारा उपचार प्रोटोकॉल को मानना और उनके निर्देश पर अमल करना जरूरी है, क्योंकि उपचार के संबंध में इन सभी निर्णयों में से 70 प्रतिशत पूरी तरह से सही निदान पर निर्भर हैं।
सह-संस्थापक और सीओओ पुनीत शर्मा का कहना है कि “होम ब्लड सैंपल कलेक्शन ऐप उपभोक्ताओं को उनकी नैदानिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए 10 किलोमीटर के दायरे में किसी भी लैब को चुनने में सक्षम बनाता है। ग्राहकों के पास अपने डायग्नोस्टिक पैकेज को देखने के लिए अनुकूलित करने का विकल्प है। विभिन्न परीक्षणों के लिए प्रयोगशाला मूल्य निर्धारण का विवरण विकल्प के साथ ग्राहकों के लिए जारी किए जाते हैं। ये सभी आपको घर बैठे ही ऐप पर क्लिक करने पर मिल जाएंगे।”
ट्रैकराइट द्वारा विकसित डायगराइट तकनीक यह सुनिश्चित करती है कि सटीकता बनाए रखने के लिए नमूने का तापमान 8 डिग्री सेल्सियस से कम हो। रीयल-टाइम तकनीक भी ग्राहकों को ऐप पर किसी भी समय नमूने के तापमान की जांच करने की अनुमति देती है। असित कहते हैं, “नमूना संग्रह के 4 घंटे के भीतर परिणाम उच्चतम सटीकता के साथ प्रात हो जाते हैं।”
डायगराइट ने भारत भर में सैकड़ों प्रयोगशालाओं के साथ भागीदारी की है, और चिकित्सा रिपोर्ट के टीएटी को कम करने और प्रभावकारिता सुनिश्चित करने के लिए नमूनों को निकटतम संभावित स्थान पर भेजा जाता है।
भारत में पहले से ही 26 शहरों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए कंपनी ने वैश्विक स्तर पर विस्तार करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, खासकर उन देशों में जो अच्छी चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं। डायगराइट के सीओओ पुनीत शर्मा कहते हैं, “डायगराइट ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (यूएचसी) में महत्वपूर्ण योगदान देने और देशभर में अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण सुनिश्चित करने का वादा किया है।”
हेल्थ-टेक स्टार्ट अप न केवल अपने मूल्यवान ग्राहकों के लिए सही निदान सुनिश्चित करता है, बल्कि फ्लेबोटोमिस्ट की रोजगार क्षमता को भी जोड़ता है, जिससे उन्हें वित्तीय सहायता मिलती है और उन्हें अपने समर्पित डोमेन में अपने कौशल को बढ़ाने के लिए तैयार किया जाता है।
डायगराइट का लक्ष्य आगामी वर्षो में 20 लाख से अधिक फेलोबोटोमिस्टों को रोजगार देकर अपने लिए एक जगह बनाना है और जल्द ही फ्लेबोटोमिस्टों का सबसे बड़ा बेड़ा बनाने वाली यह एकमात्र कंपनी है।