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चीनी सीजन 2020-21 में 70 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात : आर्थिक सर्वेक्षण

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अपडेटेड 01 फ़रवरी 2022, 1:50 PM IST
चीनी सीजन 2020-21 में 70 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात : आर्थिक सर्वेक्षण
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चीनी सीजन 2020-21 में 70 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात : आर्थिक सर्वेक्षण

नई दिल्ली, 1 फ़रवरी (बीएनटी न्यूज़)| चीनी सीजन 2020-21 में करीब 70 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया है, जबकि 2019-20 सीजन में 59.60 मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया था। यह बात आर्थिक सर्वेक्षण में कही गई है। सर्वेक्षण में कहा गया है, “इसके अलावा, चीनी सीजन 2021-22 में चीनी के निर्यात के लिए लगभग 30 मीट्रिक टन के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए जा चुके हैं।”

उन्होंने कहा, “गन्ना का औसत वार्षिक उत्पादन लगभग 35.5 करोड़ टन है, जिसका उपयोग लगभग तीन करोड़ टन चीनी उत्पादन के लिए किया जाता है।”

इसमें कहा गया है कि 2020-21 को समाप्त होने वाले पिछले चार चीनी सीजन में चीनी मिलों/डिस्टिलरी द्वारा तेल विपणन कंपनियों को इथेनॉल की बिक्री से लगभग 35,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, जिससे किसानों के गन्ना मूल्य बकाया को चुकाने में मदद मिली है।

भारत की अर्थव्यवस्था के लिए गन्ना और चीनी उद्योग के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह कपास के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा कृषि आधारित उद्योग है। यह पांच करोड़ से अधिक किसानों और उनके आश्रितों की आजीविका को प्रभावित करता है। भारत दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उपभोक्ता और दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, “2020-21 में घरेलू खपत लगभग 2.6 करोड़ टन होने का अनुमान है। पिछले कुछ वर्षो में भारत चीनी उत्पादन और खपत की प्रवृत्ति से परिलक्षित एक चीनी अधिशेष राष्ट्र बन गया है। वित्तवर्ष 2016-17 को छोड़कर 2010-11 के बाद से उत्पादन और खपत में लगातार वृद्धि हुई है। ”

सरकार ने कहा कि यह उसके द्वारा किए गए विभिन्न उपायों के कारण संभव हुआ है, जैसे उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी), जो दस वर्षो की अवधि में दोगुना हो गया है।

सर्वेक्षण में कहा गया है, “इसके अलावा, कुछ राज्य सरकारें एफआरपी से अधिक स्तर पर राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) की घोषणा करती हैं। गन्ना खरीदने वाली चीनी मिलें गन्ना आरक्षण क्षेत्र के रूप में निर्दिष्ट दायरे के भीतर किसानों से फसल खरीदें, यह अनिवार्य है। इस तरह, गन्ना किसानों का बीमा किया जाता है और उन्हें मूल्य जोखिम से बचाया जाता है।”

इसके अलावा, अधिशेष उत्पादन को संभालने और मिलों की तरलता बढ़ाने के लिए सरकार ने विभिन्न कदम उठाए हैं, जैसे अतिरिक्त गन्ना/चीनी को इथेनॉल उत्पादन में बदलने के लिए प्रोत्साहित करना, चीनी के निर्यात को सुविधाजनक बनाने के लिए चीनी मिलों को परिवहन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना।

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