BNT Logo | Breaking News Today Logo

Latest Hindi News

  •   मंगलवार, 06 मई 2025 10:36 PM
  • 29.09°C नई दिल्ली, भारत

    Breaking News

    ख़ास खबरें
     
  1. ‘पहलगाम हमले में मौतों की जिम्मेदारी ले केंद्र सरकार’, रांची में बोले कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे
  2. पहलगाम हमले का असर: वुलर झील का पर्यटन ठप, संकट में शिकारा मालिक
  3. अब भारत का पानी देश के हक में बहेगा : प्रधानमंत्री मोदी
  4. पहलगाम आतंकी हमले के बाद सरकार का सख्त निर्देश, देशभर में 7 मई को मॉक ड्रिल
  5. वक्फ कानून की वैधता पर नहीं आया सुप्रीम कोर्ट का फैसला, अगली सुनवाई 15 मई को
  6. पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान हवाई क्षेत्र पर असर, लुफ्थांसा और एयर फ्रांस ने बदले रूट
  7. ‘एडीबी’ पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत की विकास प्राथमिकताओं का पूर्ण समर्थन करता है : मासातो कांडा
  8. एलओसी पर तनाव के बीच रक्षा सचिव ने पीएम मोदी से की मुलाकात, सैन्य तैयारियों की दी जानकारी
  9. पुतिन ने पीएम मोदी से की फोन पर बात, कहा- आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ रूस
  10. ‘ये सिर्फ पब्लिसिटी के लिए…’, पहलगाम हमले को लेकर दाखिल जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुनवाई से इनकार
  11. कांग्रेस के नेता भारतीय सेना का गिरा रहे मनोबल, अपने किए पर करे गौर : सुधांशु त्रिवेदी
  12. ‘राफेल’ पर अजय राय का बयान, शर्मनाक और पूरी तरह अनुचित: तरुण चुघ
  13. राहुल गांधी का ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती मानना बड़ी बात: संजय राउत
  14. ममता बनर्जी के मुर्शिदाबाद दौरे पर दिलीप घोष ने उठाए सवाल, बोले- ‘पहले क्यों नहीं गईं’
  15. भारत सरकार ने न्यूज पोर्टल ‘बलूचिस्तान टाइम्स’ और ‘बलूचिस्तान पोस्ट’ का एक्स अकाउंट किया बैन

भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया ने भी किशोरों के बीच महामारी बनती वेपिंग पर लगाया प्रतिबंध

bntonline.in Feedback
अपडेटेड 10 मई 2023, 4:46 PM IST
भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया ने भी किशोरों के बीच महामारी बनती वेपिंग पर लगाया प्रतिबंध
Read Time:8 Minute, 12 Second

भारत की तरह ऑस्ट्रेलिया ने भी किशोरों के बीच महामारी बनती वेपिंग पर लगाया प्रतिबंध

सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने किशोरों के बीच बढ़ते उपयोग के चलते वैपिंग पर प्रतिबंध लगा दिया है। वैपिंग पर प्रतिबंध लगाने वाला ऑस्ट्रेलिया 47वां देश है और अब यह भारत, सिंगापुर, थाइलैंड, अर्जेंटीना, जापान, ब्राजील आदि देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने पहले ही ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। हाल ही में महामारी की तरह बढ़ती वैपिंग पर प्रतिबंध की घोषणा करते हुए ऑस्ट्रेलियाई स्वास्थ्य मंत्री मार्क बटलर ने कहा कि हाई स्कूल एवं प्राइमरी स्कूल में वैपिंग व्यवहार से जुड़ा मुद्दा और चिंता का कारण बन गई है। मंत्री ने वैप्स को हाइलाइटर पेन के रूप में छिपाने की मार्केटिंग रणनीति पर भी अपनी चिंता व्यक्त की। इसके चलते बच्चों के लिए स्कूल में उन्हें छिपाना और उनका उपयोग करना आसान हो जाता है। उन्होंने इसे कंपनियों की शर्मनाक चाल बताया और कहा कि सरकार इस बाजार को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार नॉन-निकोटीन डिवाइस सहित नॉन-प्रिस्क्रिप्शन वैपिंग उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाएगी।

एक ओर वैपिंग के हानिकारक प्रभाव अधिक स्पष्ट होते जा रहे हैं, तो दूसरी ओर किशोरों के बीच इनका उपयोग भी विश्व स्तर पर बढ़ रहा है। इसे देखते हुए डॉक्टर, पल्मोनोलॉजिस्ट, बाल विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक समेत विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ वैपिंग के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि वैपिंग धूम्रपान की शुरूआत का माध्यम बन गया है और विकसित देश इन उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने में देर कर रहे हैं। ई-सिगरेट से दीर्घकालिक स्तर पर पड़ने वाला प्रभाव अभी भी अज्ञात है, लेकिन अध्ययनों में इनसे फेफड़ों को गंभीर नुकसान होने और स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव सामने आए हैं।

डॉ. विकास मित्तल, एसोसिएट डायरेक्टर पल्मोनोलॉजी, मैक्स हेल्थकेयर ने कहा, वैपिंग और ई-सिगरेट नशे की अपेक्षाकृत नई आदतें हैं और इनके दीर्घकालिक प्रभावों को अभी पूरी तरह से समझा नहीं गया है। हालांकि, 2019 के बाद से कई प्रतिष्ठित पत्रिकाओं ने ई-सिगरेट से फेफड़ों को होने वाले नुकसान के बारे में बताया है। कुछ नुकसान बहुत गंभीर हैं, जिनमें आईसीयू में भर्ती होने तक की जरूरत पड़ जाती है। इस तरह की चिंताओं और किशोरों के बीच इन डिवाइस के बढ़ते प्रयोग ने देशों को इन पर कार्रवाई करने और ई-सिगरेट के हानिरहित होने के दावों पर सवाल उठाने के लिए प्रेरित किया है।

डॉ. मित्तल ने आगे कहा, भारत ने ई-सिगरेट पर जल्द प्रतिबंध लगाकर अच्छा काम किया है। जो देश इस तरह के उपाय नहीं कर रहे हैं, उनकी गति असल में धीमी है और इससे निस्संदेह भविष्य की पीढ़ियों के स्वास्थ्य के लिए जोखिम पैदा होगा।

मंत्री बटलर ने कहा कि लोगों से वादा किया गया था कि वैपिंग धूम्रपान से बाहर निकलने का माध्यम होगी, न कि उसमें जाने का। दुर्भाग्य से यह अब धूम्रपान की माध्यम हो गई है।

डॉ. राजेश गुप्ता, एडिशनल डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी एंड क्रिटिकल केयर – फोर्टिस हेल्थकेयर नोएडा ने कहा, यह दावा करना वैज्ञानिक रूप से सही नहीं है कि सिगरेट के बजाय ई-सिगरेट को अपनाने से निकोटीन की लत प्रभावी रूप से खत्म हो सकती है। अभी तक की जानकारी के अनुसार, यह ²ष्टिकोण सही नहीं है, क्योंकि ई-सिगरेट में भी निकोटीन होता है। जब कोई व्यक्ति ई-सिगरेट का उपयोग करता है, तो निकोटीन की वाष्प उसके रक्त में पहुंचती है और डोपामाइन के रिलीज को ट्रिगर करती है। यह ऐसा रसायन है जो खुशी का अनुभव कराता है और इससे लत पैदा होती है। इस प्रकार, धूम्रपान के एक रूप को किसी दूसरे विकल्प से प्रतिस्थापित करते हुए बढ़ावा देने का कोई मतलब नहीं है।

डॉ. गुप्ता ने आगे कहा, ई-सिगरेट विशेष रूप से बच्चों के लिए पारंपरिक सिगरेट की ओर कदम बढ़ाने का माध्यम बन जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ई-सिगरेट की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस कई अन्य उच्च स्तर के नशीले तत्वों के रिलीज होने का माध्यम बन सकती है।

मुझे आश्चर्य है कि विकसित देश ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगाने में इतना समय क्यों ले रहे हैं।

सितंबर 2019 में ई-सिगरेट पर भारत ने प्रतिबंध लगाया था, जिसका उद्देश्य ई-सिगरेट से आने वाली पीढ़ियों को होने वाले संभावित नुकसान को रोकना था। यह निर्णय भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के परामर्श से किया गया था, जिसने एक श्वेत पत्र में इसे प्रतिबंधित करने के कारणों को सूचीबद्ध किया था । श्वेत पत्र में बताया गया कि इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) में अत्यधिक नशे की लत वाले निकोटीन सॉल्यूशन के साथ-साथ स्वाद देने वाले तत्व और वेपोराइजर जैसे अन्य तत्व भी होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। ये तत्व हृदय और तंत्रिका संबंधी विकारों के साथ-साथ भ्रूण के विकास को भी प्रभावित कर सकते हैं।

ई-सिगरेट के दो रूपों को बढ़ावा दिया जा रहा है: गर्म तम्बाकू उत्पाद (हीटेड टबैको प्रोडक्ट्स) और वैपिंग डिवाइस हीटेड टोबैको ई-सिगरेट असली तम्बाकू को जलाने के बजाय गर्म करती है और उससे बनने वाले एयरोसोल को सांस से खींचा जाता है। वहीं वैपिंग डिवाइस तम्बाकू का उपयोग नहीं करते हैं, लेकिन एरोसोल बनाने के लिए आमतौर पर निकोटीन युक्त तरल को गर्म करते हैं।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *