दिल्ली हाईकोर्ट ने ओयो की आईपीओ प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग वाली जोस्टेल की याचिका खारिज की
नई दिल्ली, 15 फ़रवरी (बीएनटी न्यूज़)| दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को होस्टल चेन जोस्टेल (जो रूम्स) द्वारा दायर उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ओयो होटल्स एंड होम्स को अपनी प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) प्रक्रिया के साथ आगे बढ़ने से रोकने लगाने की मांग की गई थी।
न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर ने जोस्टेल की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ओयो को आईपीओ के माध्यम से अपनी शेयरधारिता संरचना या कैप टेबल को संशोधित करने से रोकने के लिए अंतरिम आदेश देने की मांग की गई थी।
ओयो और जोस्टेल के बीच विवाद 2015 का है, जब उन्होंने विलय के लिए बातचीत शुरू की थी, लेकिन बातचीत विफल हो गई। यह अंतत: मध्यस्थता यानी आर्ब्रिटेशन अवार्ड का कारण बना। दोनों कंपनियों ने 2015 में एक अधिग्रहण करार के लिए बातचीत की प्रक्रिया शुरू की थी जो कि बाद में संपन्न नहीं हो सकी।
आर्ब्रिटेशन अवार्ड को लेकर दोनों कंपनियां आमने-सामने थीं। ओयो का तर्क है कि मध्यस्थता न्यायाधिकरण ने दो संस्थाओं के बीच विवाद का फैसला करते हुए आतिथ्य प्रमुख में स्वामित्व प्राप्त करने के मामले में जोस्टेल को कोई विशेष राहत नहीं दी है।
गौरतलब है कि जो रूम्स, जो कि ओयो के साथ कानूनी लड़ाई में उलझी हुई है, उसने हाईकोर्ट में एक अपील दाखिल की थी, जिसमें पिछले साल ओयो के खिलाफ अपने अधिकारों की रक्षा की अपील की गई थी। शेयर होल्डिंग से जुड़े इस विवाद के कारण जोस्टेल, ओयो के आईपीओ की प्रक्रिया को रोकने की मांग कर रही थी, लेकिन हाईकोर्ट के सोमवार को सुनाए गए फैसले के बाद इस प्रयास को बड़ा झटका लगा है और अदालत ने उसकी मांग को खारिज कर दिया है।
ओयो ने हाईकोर्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त मध्यस्थ यानी आर्ब्रिटेटर के पहले के आदेश पर रोक लगाने की भी मांग की, जिसने कहा था कि ओयो प्रस्तावित अधिग्रहण को लेकर छोटे प्रतिद्वंद्वी जोस्टेल के साथ अपने समझौते का उल्लंघन कर रहा है।