
‘हाइड्रोजन हैरिटेज’ के तहत प्रदूषण रहित हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही चलेगी भारत में
देश में प्रदूषण रहित पर्यावरण के अनुकूल हाइड्रोजन ट्रेन जल्द ही चलेगी। देश के आठ हैरिटेज रूट्स पर इन ट्रेनों के साल के अंत तक चलने का अनुमान है।
भारत में भी हाइड्रोजन ट्रेन यानी गैस से चलने वाली ट्रेन पर तेजी से काम हो रहा है। रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार भारत की पहले हाइड्रोजन ट्रेन इस साल के अंत तक बनकर तैयार हो जाएगी। जोकि दुनिया की स्वच्छ ट्रेन होगी।
रेलवे के अनुसार ये ट्रेने पूरी तरह स्वदेशी होगी, इसका डिजाइन आत्म निर्भर भारत के तहत, स्वदेशी इंजीनियर तैयार कर रहे हैं। गैस से चलने वाली इस ट्रेन का डिजाइन मई-जून 2023 तक सामने आ जाएगा। रेलवे ने साल 2030 तक नेट जीरो कार्बन एमिटर बनने का लक्ष्य रखा है। इस दौरान 63 करोड़ यूनिट बिजली बचाने का अनुमान है जो 5.1 लाख टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन के बराबर है। रेलवे के अनुसार इस लक्ष्य को हासिल करने में हाइड्रोजन ट्रेने अहम भूमिका निभा सकती हैं।
जानकारी के अनुसार पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देश के आठ हैरिटेज रूट्स पर ये ट्रेन साल 2025 चलने लगेगी। देश में पर्यटन और ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा देने के लिए रेलवे इन हेरिटेज रूट्स पर हाइड्रोजन ट्रेन चला रही है। रेलवे ने इसे ‘हाइड्रोजन हैरिटेज’ का नाम दिया है। जिन हैरिटेज रूट्स पर ये ट्रेन चलेगी उनमें माथेरान हिल रेलवे, दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे, कालका शिमला रेलवे, कांगड़ा घाटी, बिलमोरा वघई, महू पातालपानी, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, मारवाड़-देवगढ़ मड़रिया को शामिल किया जा सकता है।
साथ ही इस साल के अंत तक ब्रॉड गेज यानी बड़ी लाइन पर भी इन ट्रेनों को चलाए जाने की योजना पर काम किया जा रहा है। इसके लिए हरियाणा के रेवाड़ी में इसके ट्रायल के लिए काम किया जा रहा है। रेलवे के अनुसार इसे लेकर ट्रेनों के इंजन और डिब्बों में कई सारे बदलाव भी किए जाएंगे। माना जा रहा है कि ये हाइड्रोजन ट्रेनें देश में 1950-60 के दशक की डिजाइन वाली ट्रेनों को बदल देंगी।
वहीं अन्य देशों की बात करें तो जर्मनी के बाद चीन ने भी हाइड्रोजन ट्रेन शुरू कर दी है। यह एशिया की पहली और दुनिया की दूसरी हाइड्रोजन ट्रेन है। जर्मनी ने पिछले साल अगस्त में दुनिया की पहली हाइड्रोजन ट्रेन चलाई थी। चीन की ये हाइड्रोजन ट्रेन 160 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है और एक बार गैस भराने पर 600 किमी तक चल सकती है। इन ट्रेनों से प्रदूषण नहीं होता है और इन्हे इको फ्रेंडली माना जाता है।
हाइड्रोजन ट्रेनों की छतों पर हाइड्रोजन को स्टोर किया जाता है और ऑक्सीजन से मिलने पर यह एच2ओ यानी पानी बनाता है। इस तरह से बनने वाली ऊर्जा के इस्तेमाल से ट्रेनों का संचालन किया जाता है। इसमें किसी तरह का प्रदूषण नहीं होता है और इंजन भी किसी तरह की आवाज नहीं करता।