
‘रिवर्स माइग्रेशन से टियर-2 और टियर-3 शहरों में घरों की मांग बढ़ेगी’
नई दिल्ली, 25 मई (आईएएनएस)| कोरोनावायरस महामारी के कारण बड़े शहरों (मेट्रो सिटी) से शुरू हुए पलायन के कारण रिवर्स माइग्रेशन को बढ़ावा मिला है, जिससे टियर-2 और टियर-3 शहरों में प्रारंभिक तौर पर घरों की मांग बढ़ने की संभावना है। प्रॉपर्टी कंसलटेंट फर्म एनरॉक की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा समय में भारत के कुल आवासीय बाजार का 70 फीसदी हिस्सा शीर्ष सात शहरों में है, जबकि शेष 30 फीसदी हिस्सा टियर-2 और टियर-3 शहरों में है। भविष्य में आवासीय बाजार का यह औसत बदल सकता है।
राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान होने वाला पलायन सामान्य दिनों की अपेक्षा होने वाले पलायन से एकदम उलट है। अमूमन हम सब रोजगार पाने व बेहतर जीवन जीने की आशा में गांवों और कस्बों से महानगरों की ओर पलायन होते देखते है, मगर इस समय महानगरों से मध्यम व छोटे शहरों की ओर पलायन की संभावना अधिक बढ़ गई है। इसी स्थिति को ही जानकारों ने रिवर्स माइग्रेशन का नाम दिया है।
एनरॉक की ओर से इंडिया रियल एस्टेट: कोविड-19 के बाद एक अलग विश्व नाम से तैयार की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के बाद की दुनिया भारत के रियल एस्टेट के लिए अपने आप में प्रेरणादायक रहेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी का कारण शुरू हुआ रिवर्स माइग्रेशन टियर-2 और टियर-3 शहरों में आवास की मांग में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मेट्रो शहरों में नौकरी खोने वाले लोगों के रिवर्स माइग्रेशन से लखनऊ, इंदौर, चंडीगढ़, कोच्चि, कोयंबटूर, जयपुर और अहमदाबाद जैसे शहर लाभान्वित होंगे। इन लोगों को टियर-2 और टियर-3 शहरों के बेहतरीन बुनियादी ढांचे और जीने की कम लागत का लाभ मिलेगा।
अनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, प्रवासी मजदूरों के बीच रिवर्स माइग्रेशन पहले से ही बहुत दिखाई दे रहा है। यह प्रवृत्ति उन कुशल पेशेवरों में भी दिख सकती है, जो अधिकृत रूप से नौकरी से बाहर हो चुके हैं या उनके बार हो जाने की संभावना है। इस कारण छोटे कस्बों और शहरों में घरों की मांग बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा कि प्राथमिक तौर पर किराये के घर (रेंटल हाउसिंग) की मांग बढ़ेगी। रेंटल हाउसिंग की मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय निवेशकों की ओर से किए जाने वाले निवेश से खरीदारी बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में नौकरी की संभावना कम होने के बाद बड़ी संख्या में एनआरआई के भारत लौटने की संभावना है। इन एनआरआई के लिए शीर्ष सात शहर पहली प्राथमिकता रहेंगे, लेकिन इनमें से कई अपने परिवारों के नजदीक छोटे शहरों में रहने के बारे में भी विचार करेंगे। उन्होंने कहा कि रिवर्स माइग्रेटिंग के जरिए छोटे शहरों में लौट रहे भारतीयों को उपयुक्त रोजगार उपलब्ध कराना भी एक चुनौती साबित हो सकता है।
बंद के दौरान अनारॉक के हालिया उपभोक्ता सर्वेक्षण से संकेत मिलता है कि उत्तरदाताओं ने 2020 में टियर-2 और टियर-3 शहरों में निवेश करना पसंद किया है।