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सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों के साथ मिलीभगत के लिए तिहाड़ जेल अधिकारियों को निलंबित करने का दिया निर्देश

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अपडेटेड 07 अक्टूबर 2021, 12:44 PM IST
सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों के साथ मिलीभगत के लिए तिहाड़ जेल अधिकारियों को निलंबित करने का दिया निर्देश
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सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों के साथ मिलीभगत के लिए तिहाड़ जेल अधिकारियों को निलंबित करने का दिया निर्देश

नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (बीएनटी न्यूज़)| सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के पूर्व प्रमोटर संजय चंद्रा और अजय चंद्रा के साथ मिलीभगत के आरोपों के बाद बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल के अधिकारियों के खिलाफ पूर्ण जांच और तत्काल निलंबन का आदेश दिया है। शीर्ष अदालत का यह निर्देश जेल में ही यूनिटेक के पूर्व प्रमोटरों (प्र्वतकों) को गुप्त तरीके से अपना दफ्तर खोलने की सुविधा देने के आरोपों के बीच सामने आया है। दरअसल संजय चंद्रा और अजय चंद्रा ने तिहाड़ जेल में रहने के दौरान कथित तौर पर एक गुप्त भूमिगत ऑफिस खोला था, जहां से लेनदेन सहित कई कार्य निपटाए जा रहे थे।

शीर्ष अदालत ने 26 अगस्त को यूनिटेक कंपनी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में चंद्रा बंधुओं को मुंबई की जेलों में अलग-अलग रखने का आदेश दिया था। जांच में सामने आए तथ्यों पर सुनवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूनिटेक के पूर्व प्र्वतकों संजय चंद्रा और अजय चंद्रा को दिल्ली स्थित तिहाड़ जेल से मुंबई स्थित ऑर्थर रोड जेल व तलोजा जेल भेजने का आदेश दिया था।

दिल्ली पुलिस ने शीर्ष अदालत को सूचित किया कि जेल अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आपराधिक मामला दर्ज किया गया है।

न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और एम. आर. शाह ने दिल्ली पुलिस प्रमुख की रिपोर्ट की पृष्ठभूमि में कहा कि प्रथम ²ष्टया ऐसा लगता है कि जेल अधिकारियों ने आरोपियों के साथ मिलीभगत की है; इसलिए उन्हें निलंबित किया जाना चाहिए।

यह आदेश दिल्ली पुलिस प्रमुख राकेश अस्थाना द्वारा अपनी रिपोर्ट में ‘उल्लेखित व्यक्ति और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी जिनका उल्लेख नहीं किया गया है’ के खिलाफ पूर्ण आपराधिक जांच की अनुमति मांगने के बाद पारित किया गया है।

आदेश में कहा गया है, “हम निर्देश देते हैं कि तिहाड़ जेल के उन अधिकारियों को, जो प्रथम ²ष्टया संलिप्त पाए गए हैं, कार्यवाही के लंबित रहने तक के लिए निलंबित कर दिया जाए।”

इस बीच, चंद्रा बंधुओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने शीर्ष अदालत से उन्हें फोरेंसिक ऑडिटर ग्रांट थॉर्नटन की रिपोर्ट तक पहुंच प्रदान करने का आग्रह किया, जो आरोपी के लिए अपना बचाव करने के लिए आवश्यक है।

पीठ और सिंह के बीच एक गरमागरम बहस देखने को मिली, क्योंकि सिंह ने शीर्ष अदालत से मामले में एकतरफा तरीके से आगे नहीं बढ़ने का आग्रह किया और कहा कि उनके मुवक्किल के परिवार के सदस्यों को सलाखों के पीछे डाल दिया गया है। सिंह ने दोहराया कि उन्हें ग्रांट थॉर्नटन रिपोर्ट की पृष्ठभूमि के खिलाफ बचाव करने की अनुमति दी जानी चाहिए। हालांकि, पीठ ने रिपोर्ट तक पहुंच स्थापित करने के लिए सिंह की याचिका को खारिज कर दिया।

26 अगस्त को, शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एक रिपोर्ट के बाद चंद्रा बंधुओं को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था, जिसमें दावा किया गया था कि उन्हें एक ‘गुप्त भूमिगत कार्यालय’ मिला है, जिसे उनके पिता और यूनिटेक के संस्थापक रमेश चंद्रा और उनके दोनों बेटे संजय और अजय द्वारा संचालित किया जा रहा है। आरोप लगाया गया था कि चंद्रा बंधु पैरोल या जमानत पर होने की स्थिति में कार्यालय का दौरा करते थे। एजेंसी ने आरोप लगाया था कि यह तिहाड़ जेल अधिकारियों की मिलीभगत से किया गया था। शीर्ष अदालत ने नोट किया कि चंद्रा बधुओं द्वारा उसके अधिकार क्षेत्र को कमजोर करने के प्रयास किए गए थे।

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