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टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले ने कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को कमजोर किया

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अपडेटेड 17 जनवरी 2020, 5:57 AM IST
टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले ने कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को कमजोर किया
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नई दिल्ली. सायरस मिस्त्री के मामले में टाटा सन्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। टाटा सन्स ने अंतरिम राहत के तौर पर ट्रिब्यूनल के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। उसने दलील दी कि अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले ने कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को कमजोर किया है। बता दें 9 जनवरी को टाटा ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की बोर्ड बैठक होनी है। ऐसे में 6 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट खुलेगा तो टाटा सन्स के वकील चाहेंगे कि तुरंत सुनवाई हो।एनसीएलएटी ने 18 दिसंबर को मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया था। ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री को हटाने और एन चंद्रशेखरन को चेयरमैन नियुक्त करने के टाटा सन्स के फैसले को गलत बताया था। टाटा सन्स को अपील के लिए 4 हफ्ते का वक्त मिला था।

टाटा सन्स की 5 अहम दलीलें

1.अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इसकी कोई वजह नहीं बताई कि सायरस मिस्त्री को हटाने का फैसला गैर-कानूनी कैसे था?

2.सायरस मिस्त्री की बहाली के अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश से ग्रुप की अहम कंपनियों के कामकाज को लेकर भ्रम पैदा हुआ है।

3. टाटा सन्स के चेयरमैन और निदेशक पद पर सायरस मिस्त्री का कार्यकाल मार्च 2017 में ही खत्म हो गया था। मिस्त्री ने बहाली की मांग नहीं की थी, लेकिन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता की मांग से भी आगे जाकर फैसला दिया।

4. रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट के नामित व्यक्तियों के फैसले लेने पर रोक लगाना शेयरधारकों और बोर्ड ऑफ मेंबर्स के अधिकारों को दबाना है। इससे कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को नुकसान हो रहा है।

5. ट्रिब्यूनल का आदेश खतरनाक कानूनी फैसले का उदाहरण है।

रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज की याचिका पर अपीलेट ट्रिब्यूनल शुक्रवार को सुनवाई करेगा
अपीलेट ट्रिब्यूनल ने टाटा सन्स-मिस्त्री मामले में फैसला देते हुए कहा था कि टाटा सन्स को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी में बदलने की मंजूरी देने का फैसला गैर-कानूनी था। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) ने इस पर ऐतराज जताते हुए कहा कि कानून के मुताबिक ही मंजूरी दी गई थी। आरओसी ने अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले से गैर-कानूनी शब्द हटाने की अपील की है। इस मामले में ट्रिब्यूनल ने सुनवाई शुक्रवार तक टाल दी। ट्रिब्यूनल ने कॉर्पोरेट अफेयर्स मिनिस्ट्री से कंपनीज एक्ट के नियमों के तहत प्राइवेट और पब्लिक कंपनियों की परिभाषा का ब्यौरा मांगा है।

मिस्त्री परिवार के पास टाटा सन्स के 18.4% शेयर

सितंबर 2017 में टाटा सन्स को पब्लिक से प्राइवेट कंपनी बनाने के लिए शेयरधारकों ने मंजूरी दी थी। उसके बाद आरओसी ने टाटा सन्स को प्राइवेट कंपनी के तौर पर दर्ज किया था। इसके बाद कंपनी के अहम फैसलों के लिए शेयरधारकों की मंजूरी जरूरी नहीं रही, सिर्फ बोर्ड की मंजूरी से फैसले लिए जा सकते हैं। सायरस मिस्त्री परिवार इसके खिलाफ था। मिस्त्री परिवार के पास टाटा सन्स के 18.4% शेयर हैं। टाटा सन्स टाटा ग्रुप की होल्डिंग कंपनी है।

मिस्त्री ने टाटा सन्स पर अल्पशेयरधारकों को दबाने के आरोप लगाए थे

टाटा सन्स के बोर्ड ने 24 अक्टूबर 2016 को मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था। बोर्ड के सदस्यों का कहना था कि मिस्त्री पर भरोसा नहीं रहा। इसके बाद दिसंबर 2016 में मिस्त्री ने टाटा ग्रुप की कंपनियों के निदेशक पद से भी इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने चेयरमैन के पद से हटाने से फैसले को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में चुनौती दी थी। मिस्त्री ने टाटा सन्स के प्रबंधन में खामियों और अल्प शेयरधारकों को दबाने के आरोप लगाए थे।  हालांकि, एनसीएलटी ने पिछले साल जुलाई में टाटा सन्स के पक्ष में फैसला दिया था। इसके बाद मिस्त्री अपीलेट ट्रिब्यूनल पहुंचे थे। मिस्त्री अभी अपने परिवार के कारोबारी समूह की फर्म शपूरजी पलोंजी एंड कंपनी के एमडी हैं।

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