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नई दिल्ली। दिल्ली कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अनिल चौधरी ने सोमवार को महिलाओं के लिए अरविंद केजरीवाल की नई योजनाओं पर सवाल उठाए। दिल्ली सरकार की ओर से महिलाओं को एक हजार रुपये देने की योजना का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह केवल एक चुनावी चाल है। इस योजना को लेकर पंजाब में उठ रहे सवालों का भी उन्होंने जिक्र किया।
महिलाओं को एक हजार रुपये देने की घोषणा पर अनिल चौधरी ने कहा कि सबसे पहले तो अरविंद केजरीवाल को यह जवाब देना होगा कि जिन गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा बिल के तहत राशन कार्ड दिए गए थे और जिन परिवारों की मुखिया महिलाएं थीं, वह आज यह सवाल पूछ रही हैं कि उनके बढ़े हुए परिवार के सदस्यों का नाम राशन कार्ड में क्यों नहीं दर्ज किया गया?। करीब 40 से 50 लाख लोग ऐसे हैं, जिनके राशन कार्ड नहीं बने हैं और इन सवालों का जवाब भी केजरीवाल को देना चाहिए।
शराब नीति का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली में शराब को बढ़ावा दिया, जिससे सबसे ज्यादा महिलाएं प्रभावित हुईं। शराब नीति के कारण महिलाएं चौक-चौराहे पर अपने बच्चों को स्कूल से लाने-ले जाने में तकलीफ का सामना करती थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस नीति के कारण समाज में हिंसा और घरेलू तनाव बढ़ा है, जो महिलाओं के लिए और भी खतरनाक साबित हुआ है। शराब को लेकर केजरीवाल की नीति पूरी तरह से गलत है। शराब एक बुराई का प्रतीक है और इससे घरों में तनाव बढ़ता है, जिससे महिलाओं को सबसे ज्यादा नुकसान होता है। एक रिसर्च में यह बात सामने आई है कि शराब की वजह से घरेलू हिंसा और बच्चों का शोषण बढ़ता है।
चौधरी ने पंजाब में लागू की गई 1000 रुपये वाली योजना पर भी सवाल उठाया और कहा कि पंजाब में इस योजना का कोई असर नहीं हुआ है। पंजाब से कांग्रेस के नेता ने सार्वजनिक तौर पर यह कहा है कि वहां किसी के खाते में एक रुपये भी नहीं आए हैं। चुनावी वादों को पूरा करने में केजरीवाल की सरकार नाकाम रही है। अगर केजरीवाल के पास अपनी योजनाओं का इतना ही भरोसा है, तो पटपड़गंज विधानसभा क्षेत्र से उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया क्यों नहीं लड़ रहे रहे हैं? वहां की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि सिसोदिया यहां से भाग क्यों गए। जब कोई चुनाव जीतने की हालत में नहीं होता, तो वह क्षेत्र छोड़कर भाग जाता है और यही हाल सिसोदिया का है।
दिल्ली में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि शीला दीक्षित के समय में दिल्ली की पहचान एक आधुनिक शहर के रूप में थी और उनकी सरकार ने हर चुनौती का सामना करते हुए शहर का विकास किया। डीजल बसों को हटाना और सीएनजी में बदलना एक बड़ी चुनौती थी, जिसे कांग्रेस सरकार ने सफलतापूर्वक पूरा किया था। आज अरविंद केजरीवाल के दस साल के शासन के बाद दिल्ली की स्थिति बदतर हो गई है।