बीएनटी न्यूज़
नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के पूर्व अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) का सदस्य नियुक्त किया है।
एक आधिकारिक बयान में सोमवार को यह जानकारी दी गई। अधिकारी ने बताया कि शनिवार को राष्ट्रपति की मुहर के बाद यह नियुक्ति की गई।
भोपाल के रहने वाले कानूनगो इससे पहले 2015-2018 तक एनसीपीसीआर के सदस्य रह चुके हैं। उन्होंने 2019-2024 तक एनसीपीसीआर के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में एक अध्यक्ष, पांच पूर्णकालिक सदस्य और सात मानद सदस्य होते हैं। आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए कानून में योग्यताएं निर्धारित की गई हैं।
एनएचआरसी की स्थापना 12 अक्टूबर 1993 को मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम (पीएचआरए), 1993 के तहत हुई थी, जिसे मानवाधिकार संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा संशोधित किया गया है।
यह पेरिस सिद्धांतों के अनुरूप है, जिसे अक्टूबर 1991 में पेरिस में आयोजित मानवाधिकारों के प्रचार और संरक्षण के लिए राष्ट्रीय संस्थानों पर पहली अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला में अपनाया गया था और 20 दिसंबर 1993 को संयुक्त राष्ट्र की महासभा द्वारा इसका समर्थन किया गया था।
इससे पहले, सोमवार को एनएचआरसी ने नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में गिग वर्कर्स के अधिकारों पर एक ओपन हाउस चर्चा का आयोजन किया।
‘गिग वर्कर्स के सामाजिक सुरक्षा लाभों की अनौपचारिकता और उनकी कानूनी अस्पष्टता’, ‘गिग वर्कर्स का स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और संरक्षा से वंचित होना’ और ‘महिला गिग वर्कर्स के लिए लैंगिक असमानता और वित्तीय अस्थिरता’ विषयों पर तीन तकनीक सत्रों में चर्चा हुई।
एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष विजया भारती सयानी ने अपने मुख्य भाषण में कहा कि गिग वर्करों की चुनौतियों, जिनमें लंबे समय तक काम करना, वित्तीय तनाव और शारीरिक थकावट शामिल है, को दूर करने के लिए विनियामक ढांचे के माध्यम से टारगेटेड प्रयासों की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि 83 प्रतिशत से अधिक ऐप-आधारित ड्राइवर प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक काम करते हैं। इससे उन पर शारीरिक और मानसिक तनाव पड़ता है। साथ ही “10 मिनट में डिलीवरी” जैसी नीतियों के कारण दुर्घटनाएं भी होती हैं, जिनसे बचा जा सकता है।
सयानी ने कहा कि महिलाओं को सुरक्षा जोखिम, अनियमित कार्यक्रम और शारीरिक मांगों जैसी अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उनकी भागीदारी हतोत्साहित होती है और उनके स्वास्थ्य के बारे में चिंताएं बढ़ती हैं।
एनएचआरसी के महासचिव भरत लाल ने कहा कि गिग वर्कर्स का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए देश में सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और अन्य श्रम कानूनों का कार्यान्वयन महत्वपूर्ण है।
उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक, राजस्थान और झारखंड जैसे कुछ राज्य गिग वर्कर्स को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य बीमा, कम मजदूरी, तनाव मुक्त कामकाजी परिस्थितियों से संबंधित उनकी गरिमा की रक्षा करने वाली अन्य प्रमुख चिंताओं को दूर करने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।