
नई दिल्ली/श्रीनगर, (आईएएनएस)| विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने सोमवार को श्रीनगर का दौरा किया और कोरोनावायरस से जूझ रहे ईरान में फंसे कश्मीरी छात्रों के माता-पिता को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया।
ईरान में कोरोनावायरस की वजह से महामारी जैसी स्थिति है, जहां इस वायरस के संक्रमण से अभी तक 194 लोगों की मौत हो चुकी है।
जयशंकर की यात्रा ने इस वजह से ध्यान खींचा है, क्योंकि आमतौर पर भारत के विदेश मंत्री कश्मीर नहीं जाते और सामान्य तौर पर वहां जाकर स्थानीय लोगों की समस्याओं के बारे में बातचीत करते नहीं देखे जाते हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि हालांकि सरकार ने ईरान में पढ़ रहे 350 कश्मीरी छात्रों में से कुछ को निकाल लिया है, लेकिन कुछ को अभी भी निकाले जाने का इंतजार है।
कश्मीर से हर साल हजारों छात्र और शिया तीर्थयात्री ईरान जाते हैं। छात्रों को वार्षिक छुट्टियों के लिए कश्मीर में घर लौटना था, लेकिन ईरान में कई एयरलाइनों द्वारा तेहरान से अपनी उड़ानें रद्द करने के बाद वह वहीं पर फंसकर रह गए हैं।
सूत्रों ने बताया कि जयशंकर सोमवार तड़के गो एयर की उड़ान से श्रीनगर पहुंचे।
उन्होंने कश्मीर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन केंद्र में अभिभावकों के साथ एक विस्तृत बैठक की और उन्हें आश्वासन दिया कि मंत्रालय छात्रों की मदद के लिए सब कुछ करेगा।
मंत्री ने कहा कि सरकार पहले तीर्थयात्रियों को निकालने की प्रक्रिया में है, जो आमतौर पर उम्र में बड़े होते हैं और उम्रदराज होने की वजह से वह कोरोनावायरस संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील भी हैं। उन्होंने कहा कि तीर्थयात्रियों को वापस लाने के बाद जल्द ही छात्रों को निकाल लिया जाएगा।
इस दौरान जयशंकर ने जिला पासपोर्ट कार्यालय का उद्घाटन करने के साथ ही पर्यटन और व्यापार उद्योग के व्यापारियों के साथ बैठक भी की।
घाटी में जयशंकर के दौरे के दौरान यह भी संयोग रहा कि कुलगाम के एक शीर्ष कमांडर इशफाक अहमद सहित हिजबुल मुजाहिदीन के दो आतंकवादी शोपियां के रेबन क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए।