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पिछले 10 वर्षों में महिला लोको पायलटों की संख्या में 5 गुना वृद्धि

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अपडेटेड 09 मार्च 2025, 12:11 AM IST
पिछले 10 वर्षों में महिला लोको पायलटों की संख्या में 5 गुना वृद्धि
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बीएनटी न्यूज़

नई दिल्ली। पिछले 10 वर्षों में देश में ट्रेन चलाने वाली महिला लोको पायलटों की संख्या में लगभग पांच गुना वृद्धि हुई है, जो इस क्षेत्र में महिलाओं की बढ़ती हिस्सेदारी के साथ ही टूटती रूढ़िवादिता को दर्शाता है। भारत के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्तमान में भारतीय रेलवे में 2024 तक करीब 1,828 महिला लोको पायलट काम कर रही हैं, जबकि एक दशक पहले यह संख्या मात्र 371 थी।

आंकड़ों के अनुसार, महिला लोको पायलट की संख्या में पिछले 10 वर्षों में आया यह उछाल अलग-अलग राज्यों से देखा गया है। उत्तर प्रदेश से महिला लोको पायलट की यह संख्या 36 से बढ़कर 222 हो गई है। इसी तरह तेलंगाना से महिला लोको पायलट 13 से बढ़कर 196 और तमिलनाडु से 39 से बढ़कर 180 हो गई हैं।

महिलाओं ने लोको पायलट, स्टेशन मास्टर, ट्रैकमैन, सिग्नल मेंटेनेंस, गार्ड और गैंगमैन जैसे क्षेत्रों में प्रवेश किया है।

वर्तमान में, भारतीय रेलवे में 1 लाख महिला कर्मचारी हैं, जो कुल वर्कफोर्स का लगभग 8.2 प्रतिशत हैं।

पिछले 10 वर्षों में महिला स्टेशन मास्टरों की संख्या भी लगभग पांच गुना बढ़कर 1,828 हो गई है।

इस बीच, सरकार का लक्ष्य भारतीय रेलवे के लिए ‘नेट जीरो’ कार्बन उत्सर्जन हासिल करना है, जिसके लिए वित्त वर्ष 2025-26 में 100 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।

आज तक, भारतीय रेलवे ने अपनी एनर्जी जरूरतों के लिए 4,260 मेगावाट (स्थापित) सौर और 3,427 मेगावाट (स्थापित) पवन ऊर्जा के लिए समझौता किया है।

भारतीय रेलवे ने पहले ही 1,500 मेगावाट रिन्यूएबल एनर्जी के लिए समझौता किया है।

अपने खुद के सौर सिस्टम स्थापित करने के अलावा, भारतीय रेलवे डेवलपर्स के साथ पीपीए व्यवस्था के माध्यम से सौर ऊर्जा भी हासिल कर रहा है।

2030 तक, भारतीय रेलवे की ट्रैक्शन पावर की आवश्यकता 10,000 मेगावाट तक पहुंचने का अनुमान है।

केंद्रीय रेल और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, अब तक इसने अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए 4,260 मेगावाट स्थापित सौर क्षमता और 3,427 मेगावाट स्थापित पवन क्षमता हासिल की है।

वैष्णव ने सभी राज्यों से भारतीय रेलवे को रिन्यूएबल एनर्जी (सौर, पवन, जल या परमाणु ऊर्जा) का योगदान करने का आग्रह किया है, उन्होंने सस्टेनेबल एनर्जी के लिए एक सहयोगी अप्रोच पर जोर दिया है।

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